Amrish Puri को जिस चेहरे और आवाज़ की वजह से ठुकराया गया था, बाद में उसी ने सिनेमा में रचा इतिहास

लगभग 450 फ़िल्मों में काम करने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह गये थे और अपने पीछे छोड़ गये अदाकारी की ऐसी विरासत जो अर्धसत्य निशांत और मंथन जैसी कला फ़िल्मों से शुरू होकर करण-अर्जुन जैसी विशुद्ध मसाला फ़िल्मों को समेटे हुए है।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Tue, 12 Jan 2021 01:02 PM (IST) Updated:Wed, 13 Jan 2021 11:29 AM (IST)
Amrish Puri को जिस चेहरे और आवाज़ की वजह से ठुकराया गया था, बाद में उसी ने सिनेमा में रचा इतिहास
अमरीश पुरी की 12 जनवरी को पुण्य तिथि है। फोटो- मिड-डे

नई दिल्ली, जेएनएन। हिंदी सिनेमा में बहुत कम अभिनेता ऐसे हुए हैं, पर्दे पर जिनकी अदाकारी का असर वास्तविक ज़िंदगी में दिखता हो। अमरीश पुरी ऐसे ही कलाकार हैं, जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से किरदारों को ऐसे जीवंत किया कि उन पर बेयक़ीनी की कोई वजह नहीं रह जाती है। फिर चाहे मिस्टर इंडिया का ख़ूंखार विलेन मोगैम्बो हो या दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे का सख़्त मिज़ाज पिता।

लगभग 450 फ़िल्मों में काम करने वाले अमरीश पुरी 12 जनवरी 2005 को इस दुनिया को अलविदा कह गये थे और अपने पीछे छोड़ गये अदाकारी की ऐसी विरासत, जो अर्धसत्य, निशांत और मंथन जैसी कला फ़िल्मों से शुरू होकर लोहा, घायल और करण-अर्जुन जैसी विशुद्ध मसाला फ़िल्मों को समेटे हुए है। जाने-माने अभिनेता मदन पुरी के छोटा भाई होते हुए भी अमरीश पुरी के लिए फ़िल्मों की राह आसान नहीं रही। वो भी किसी दूसरे संघर्षरत कलाकार की तरह ठुकराये गये।

50 के दशक में अमरीश पुरी ने फ़िल्मों में काम ढूंढना शुरू किया था, मगर ऑडिशन के समय उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता था। जागरण डॉट कॉम से बातचीत में उनके बेटे राजीव पुरी ने अमरीश पुरी के संघर्षों के बारे में बताते हुए कहा था- शुरुआत में जहां भी ऑडिशन देते। लोग यही कहते कि अजीब से शक्ल है। आवाज़ बहुत सख़्त है। दरअसल, वो दौर कोमल चेहरे और मखमली आवाज़ वाले हीरो का था, जिसे खांचे में अमरीश फिट नहीं बैठते थे। अभिनय से लगाव के चलते फ़िल्मों से रिजेक्शन के बाद अमरीश पुरी थिएटर की ओर मुड़ गये। 1978-79 तक अमरीश पुरी थिएटर करते रहे।

He screen-tested in 1954 but was rejected by producer. Then for 16 yrs he did theatre & voiceover for jingles. Debuted in 1970 in a minor role in Prem Pujari. Received recognition 5 yrs later in films Bhumika, Nishant, Manthan.

Remembering AMRISH PURI

(22 Jun 1932 -12 Jan 2005) pic.twitter.com/RZi8dMXXDb

— Film History Pics (@FilmHistoryPic) January 11, 2021

हालांकि, इस बीच वो कमर्शियल फ़िल्मों में छोटी-छोटी भूमिकाएं भी निभाते रहे। 1970 में आयी देव आनंद क फ़िल्म प्रेम पुजारी में उन्होंने एक छोटी-सी भूमिका निभाकर फ़िल्मों में डेब्यू किया था। उस वक़्त अमरीश की उम्र 38 साल थी। मगर, 1975 में आयी श्याम बेनेगल की निशांत में ज़मींदार की भूमिका से अमरीश पुरी को उनके हिस्से की पहचान मिली। हालांकि, कमर्शियल फ़िल्मों में अमरीश पुरी का संघर्ष 1980 में आयी हम पांच से ख़त्म हुआ। इस फ़िल्म से अमरीश फ़िल्म इंडस्ट्री में मशहूर हो गये। इसके बाद फ़िल्मों में उनके विलेन बनने का सिलसिला चल पड़ा।

1984 में आयी स्टीवन स्पिलबर्ग की फ़िल्म इंडियाना जोंस एंड टेम्पल ऑफ़ डूम में अमरीश पुरी का मोला राम का किरदार बेहद चर्चित रहा। अमरीश पुरी की आख़िरी फ़िल्म सुभाष घई निर्देशित किशना- द वॉरियर पोइड है, 2005 में उनके निधन के बाद 21 जनवरी को रिलीज़ हुई थी। 

अमरीश पुरी का जन्म 22 जून 1932 को पंजाब के नवांशहर में हुआ था। उनके दोनों बड़े भाई चमन पुरी और मदन पुरी फ़िल्म कलाकार थे। मदन पुरी तो 60 और 70 के दौर में अपनी खलनायकी के लिए मशहूर रहे थे। पर्दे पर ख़तरनाक विलेन के रोल में दिखने वाले अमरीश पुरी निजी ज़िंदगी में काफ़ी शांत और परिवार के लिए समर्पित इंसान थे। अमरीश को कारों का शौक़ था। ख़साकर, एम्बेस्डर उनकी पसंदीदा कार थी। बतौर खलनायक अमरीश पुरी के कुछ यादगार किरदार- 

मिस्टर इंडिया :

1987 में रिलीज हुई फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में एक विलेन का किरदार निभाया था जिसमें उनका नाम ‘मोगैंबो’ था। अमरीश का ये किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा है। इस फिल्म में उनका एक डायलॉग था ‘मोगैंबो’ खुश हुआ। ये डायलॉग इतना फेमस है कि लोग आज भी इसे दोहराते हैं।

नगीना :

‘नगीना’ में अमरीश ने एक सपेरे तांत्रिक का रोल निभाया था। अमरीश इस फिल्म में भी विलेन बने थे। 1986 में रिलीज हुई इस फिल्म में श्रीदेवी और ऋषि कपूर लीड रोल में थे। इस फिल्म में अमरीश पुरी का एक डायलॉग था ‘अलख निरंजन बोलत’, ये डायलॉग काफी फेमस हुआ था।

करण-अर्जुन :

शाह रुख़ ख़ान और सलमान ख़ान की फ़िल्म 'करण-अर्जुन' में अमरीश ने जिस तरह एक विलेन का रोल निभाया था वो शाहरुख और सलमान पर भारी पड़ गए थे। उसमें वो ठाकुर दुर्जन सिंह बने थे जो पैसों के लिए अपने भाई का ही खून कर देता है। अमरीश का ये रोल भी काफी दमदार था।

लोहा :

जब भी अमरीश के नेगेटिव रोल को याद किया जाएगा तो उनकी फिल्म लोहा को जरूर याद किया जाएगा। साल 1987 में आई 'लोहा' फिल्म का किरदार अमरीश पुरी के फिल्मी करियर का सबसे खतरनाक किरदार माना जाता है। इसमें अमरीश पुरी की न केवल एक्टिंग बल्कि उनके लुक ने भी लोगों को डरा दिया था।

कोयला :

राकेश रोशन ने निर्दशन में बनी फिल्म ‘कोयला’ 7 अप्रैल 1997 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म में अमरीश पुरी ने जो नेगेटिव रोल निभाया था वो सालों तक लोगों को याद रहा था। फिल्म में अमरीश पुरी ने राजा साहब का किरदार किया था।

नायक :

7 सितंबर 2001 को रिलीज हुई अनिल कपूर की फिल्म ‘नायक’ को कौन भूल सकता है। इस फिल्म में अमरीश ने मुख्यमंत्री का रोल निभाया था। जो अपनी कुर्सी बचाने के लिए शहर में दंगा बढ़ने देता है। अमरीश का ये रोल काफी फेमस हुआ था।

गदर :

अमीषा पटेल और सनी देओल की फिल्म 'गदर: एक प्रेम कथा' में अमरीश पुरी ने पाकिस्तानी पॉलिटिशनय का किरदार निभाया था, जो हिंदुस्तान की धरती पर पांव रखने के लिए भी राजी नहीं था। (फोटो- मिड-डे)

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