Amitabh Bachchan को इस तरह मिला था 'बच्चन' सरनेम, माता-पिता की शादी की सालगिरह पर किया शेयर किया ये मजेदार किस्सा
बॉलीवुड मशहूर सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हमेशा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वो अक्सर अपनी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं। साथ ही जिंदगी से जुड़े खास किस्सा भी बताते रहते हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड मशहूर सुपरस्टार अमिताभ बच्चन हमेशा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं। वो अक्सर अपनी फोटो और वीडियो सोशल मीडिया पर अपने फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं। साथ ही जिंदगी से जुड़े खास किस्सा भी बताते रहते हैं। रविवार 24 जनवरी को अमिताभ बच्चन के मां और बाबू जी की शादी की सालगिरह होती है।
ऐसे में बिग बी ने अपने मां बाबू जी को शादी की सालगिरह की बधाई देते हुए एक ब्लॉग लिखा है। इस ब्लॉग में उन्होंने अपने बच्चन सरनेम से जुड़ा एक किस्सा भी शेयर किया है। अमिताभ बच्चन ने ब्लॉग में लिखा, '23 जनवरी की आधी रात बीती और 24 जनवरी शुरू हुई, मां और बाबू जी की शादी की सलगिरह...।' '24 जनवरी, साल 1942 को एक शादी ने तमाम बैरियरों को तोड़ दिया।' 'जाति और नस्ल से परे बच्चन नाम स्वीकार किया और फिर इस दुनिया में मैं आया।’
अभिताभ बच्चन ने आगे लिखा, दोनों की मुलाकात का किस्सा बाबूजी की ऑटोबायोग्राफी में है। तब से अब तक जो मोमेंट मैंने कैप्चर किया या दोहराएं हैं, वो भी जल्द ही आप सबके सामने होंगे। अमिताभ बच्चन ने इससे पहले अपने ब्लॉग में लिखा था कि उनके पिता समाज के कास्ट सिस्टम को नहीं मानते थे और इसी के चलते उन्होंने बच्चन सरनेम अपने नाम के पीछे लिखना शुरू कर दिया। और अमिताभ बच्चन के जन्म के और स्कूल में दाखिले के बाद यही परिवार का सरनेम हो गया।
आपको बता दें कि ये वो जमाना था जब कवि और बुद्धिजीवी अपने पसंद से अपने नाम के पीछे कोई नाम या कोई भी शब्द जोड़ लेते थे। अमिताभ बच्चन ने अपने सरनेम की कहानी के बारे में भी बताया उन्होंने लिखा, बाबू जी का जन्म कायस्थ परिवार में हुआ था और श्रीवास्तव लिखते थे। लेकिन वह हमेशा जाति और उसकी पहचान के खिलाफ थे।
ऐसे में उन्होंने कवि के तौर पर अपना सरनेम बच्चन लिखना शुरू कर दिया था। आपको बता दें अभिनेता की मां तेजी बच्चन खत्री पंजाबी परिवार से तालुक रखती थीं और बच्चन परिवार को अक्सर सिख तीर्थस्थलों के दर्शनों के लिए जाते रहते हैं।