8Years Of Raanjhanaa: नमाज पढ़ती 'जोया' से हो गया था 'कुंदन' को प्यार, 'रांझणा' बन पहुंचे थे बनारस से दिल्ली

आठ साल पहले बनारस की गलियों से निकली कुंदन और जोया की प्रेम कहानी। जिसे बड़े पर्दे पर सोनम कपूर और धनुष ने फिल्म रांझणा में दिखाया। ये एक साधारण सी कहानी थी जिसे बेहद खास बनाया गया।

By Pratiksha RanawatEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 05:55 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 05:55 PM (IST)
8Years Of Raanjhanaa: नमाज पढ़ती 'जोया' से हो गया था 'कुंदन' को प्यार, 'रांझणा' बन पहुंचे थे बनारस से दिल्ली
रांझणा फिल्म ने पूरे किए आठ साल, फोटो साभार: Instagram

 नई दिल्ली, जेएनएन। आठ साल पहले बनारस की गलियों से निकली कुंदन और जोया की प्रेम कहानी। जिसे बड़े पर्दे पर सोनम कपूर और धनुष ने फिल्म 'रांझणा' में दिखाया। ये एक साधारण सी कहानी थी जिसे बेहद खास बनाया गया। कुंदन जिसे बचपन में पहली नजर में जोया से प्यार हो जाता है। जोया पढने के लिए दिल्ली चली जाती है, वहां उसे जसजीत सिंह यानी कि अभय देओल से प्यार हो जाता है। कुंदन अपने प्यार का इंतजार सालों तक करता है। लेकिन उसका इंतजार ही उसकी मौत का कारण बन जाता है।

कहानी शुरू होती है छोटे कुंदन से जो जोया के घर अपने दोस्तों के साथ भोलेनाथ का चोला पहने चंदा लेने पहुंचता है। वहां उसकी आंखें दो-चार होती हैं जोया से जो नमाज पढ़ रही होती है। कुंदन का डायलॉग यहां भावनाओं को व्यक्त करता है 'नमाज में वो थी और दुआ हमारी कुबूल हो रही थी।' यहां से जोया और कुंदन की अलग और अनोखी प्रेम कहानी की शुरुआत हो जाती है। कुंदन का बचपन जोया के प्यार में ही कब जवान हो जाता है उसे भी पता नहीं चलता। लेकिन बचपन के प्यार पर परिवार का पहरा पड़ जाता है और जोया के पिता उसे कुंदन और बनारस से दूर दिल्ली पढ़ने भेज देते हैं।

यहां से कहानी में असल मोड़ शुरू होता है। कुंदन (धनुष) तो जोया (सोनम कपूर) के प्यार में 'रांझणा' बन जाता है। लेकिन यहां जोया का प्यार बदल जाता है। या यूं कहें कि जोया को प्यार के असल मायने समझ आने लगते हैं। लेकिन कुंदन तो जोया के प्यार में गा रहा था 'रांझणा हुआ मैं तेरा, कौन तेरे बिन मेरा'। कुंदन का इंतजार खत्म होता है और जोया दोबारा बनारस की गलियों में आ जाती है। लेकिन परिवार का पहरा अब तक खत्म कहां हुआ था, जोया का परिवार उसकी शादी करवाना चाहता था। कुंदन कहां ऐसा होने दे सकता था। 'मोहल्ले के लड़कों का प्यार अक्सर डॉक्टर और इंजीनियर उठाकर ले जाते हैं।'

कुंदन को तो पता ही नहीं था कि जोया अब उसकी है ही नहीं। इसके बाद कहानी में जो ट्विस्ट आता है उसने हर किसी के रुला दिया। जोया जिंदगी में खुद को लाने के लिए कुंदन कुछ ऐसा कर देता है जिसके बाद खुद को माफ नहीं कर पाता। इसके बाद कुंदन बनारस से दिल्ली का सफर तय करता है जोया की माफी के लिए। 'पिया मिलेंगे' की आस में चायवाला तक बनने वाला कुंदन अपनी जिंदगी हार जाता है। लेकिन ये कहानी केवल कुंदन और जोया की नहीं बल्कि बिंदिया (स्वरा भास्कर), मुरारी (जीशान अय्युब) और जसजीत सिंह (अभय देओल) की भी है।

फिल्म में सभी के अभिनय ने चार चांद लगा दिए। जोया के किरदार में सोनम कपूर ने अपना 100 प्रतिशित दिया। तो वहीं धनुष की कुंदन के रूप में तमिल एक्सेंट वाली हिंदी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। बिंदिया के किरदार में स्वरा और मुरारी के किरदार में जीशान ने सभी का मन मोह लिया। फिल्म का म्यूजिक भी बेहतरीन था जिसे आज तक पसंद किया जाता है। इसके अलावा फिल्म के डायलॉग्स ने इसे आज तक फैंस के बीच चर्चा में रखा है।

फिल्म के क्लाइमैक्स धनुष के द्वारा बोला गया डायलॉग जिसमें वो अपनी आखिरी सांसे गिन रहे होते हैं, (मेरे सीने की आग या तो मुझे जिंदा कर सकती थी या फिर मार सकती थी। पर सारा अब उठे कौन।) ये लोगों को मुंहजुबानी याद है। साधारण से कुंदन की आम सी कहानी को फिल्म के म्यूजिक, डायलॉग्स, कास्ट सभी ने खास बना दिया। फिल्म को आज भी दर्शकों का खूब प्यार मिलता है।

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