Exclusive Interview: जेपी नड्डा बोले, बंगाल में जय श्रीराम का नारा 'असोल परिवर्तन' का प्रतीक

आत्मविश्वास से भरे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कहते हैं कि ममता ने पश्चिम बंगाल को अपनी मिल्कियत समझ ली थी। शासक का धर्म छोड़कर तुष्टीकरण के जरिए केवल वोट बैंक की राजनीति की। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से बातचीत का एक अंश-

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 11 Apr 2021 06:19 PM (IST) Updated:Sun, 11 Apr 2021 08:07 PM (IST)
Exclusive Interview: जेपी नड्डा बोले, बंगाल में जय श्रीराम का नारा 'असोल परिवर्तन' का प्रतीक
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की फाइल फोटो

नई दिल्ली / कोलकाता, [जागरण स्पेशल]। बंगाल की आधी लड़ाई पूरी हो चुकी है और यह चर्चा गर्म है कि कभी लाल रहा बंगाल क्या अब कथित हरे (तुष्टीकरण) से भगवा की ओर बढ़ गया है। चुनाव में विकास का मुद्दा चल रहा है या भावनात्मक मुद्दा। ममता बनर्जी जिसे बाहरी कह कर पुकारती हैं क्या जनता ने उसे ही घर का असली संरक्षक बनाने का मन बनाया है। आत्मविश्वास से भरे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा कहते हैं कि ममता ने पश्चिम बंगाल को अपनी मिल्कियत समझ ली थी। शासक का धर्म छोड़कर तुष्टीकरण के जरिए केवल वोट बैंक की राजनीति की। वह दावा करते हैं कि पांच राज्यों के चुनाव में चार प्रदेश में भाजपा व राजग की सरकार होगी। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से बातचीत का एक अंश-

-चार राज्यों में चुनाव हो चुके हैं और पश्चिम बंगाल में आपने पूरी ताकत लगा दी है। क्या आकलन है?उत्तर- पहली बात कि हमने केवल पश्चिम बंगाल में ताकत लगा दी है ऐसा नहीं है। भाजपा हर चुनाव को गंभीरता और आक्रामकता से लड़ती है। पश्चिम बंगाल को तो ममता जी ने गरमा दिया है। बौखलाहट में कुछ भी बोलती रही, करती रहीं। वह कुछ ऐसा कर रही है जैसे पश्चिम बंगाल उनकी मिल्कियत हो। केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों तक को घेरने की बात कर दी। भाजपा तो नगरनिगम तक के चुनाव को गंभीरता से लड़ती है क्योंकि जानती है कि लोकतंत्र में जनता की मर्जी चलती है। हमने कभी सुरक्षा बलों पर सवाल नहीं खड़ा किया। लेकिन मैं आपको कह दूं कि जनता ने पश्चिम बंगाल में भाजपा को लाने का मन बना लिया है। असम में हम दोबारा बड़े बहुमत से आ रहे हैं। पुद्दुचेरी में हमारी सरकार बनेगी। तमिलनाडु में राजग आएगा और केरल मे भाजपा अपनी ताकत बढ़ा रही है।

- लेकिन यह तो मानेंगे कि पश्चिम बंगाल पर ज्यादा फोकस है?

उत्तर- हमारे लिए तो पूरे देश का विकास प्राथमिकता है और यह सच्चाई है कि भाजपा व राजग की सरकार में शासन का फोकस विकास पर होता है। अगर आप चुनाव अभियान की बात कर रहे हैं तो पूरे आंकड़े उठाकर देख लीजिए, प्रधानमंत्री जी बंगाल में होते थे तो अमित शाह और मैं किसी और राज्य में। अमित शाह असम में होते थे तो मैं तमिलनाडु में। बंगाल का अभियान बहुत लंबा है तो जाहिर है कि हम ज्यादा दिखेंगे।

- भाजपा लगातार कहती रही है? कि चुनाव विकास के मुद्दे पर होने चाहिए। लेकिन आपको नहीं लगता कि पश्चिम बंगाल का चुनाव विकास पर नहीं तुष्टीकरण, जय श्रीराम जैसे मुद्दों पर केंद्रित हो गया है? आपका जोर भी इसी पर है?

उत्तर- बिल्कुल नहीं, भाजपा लगातार विकास के मुद्दों को उठा रही है।आप हमारे घोषणापत्र को पढ़ लीजिए, हमने प्रदेश के विकास के विजन को सामने रखा है। ममता ने कैसे केंद्र सरकार की ओर से चलाए जा रहे कल्याणकारी योजनाओं को रोका है यही नही बताया है बल्कि यह भी स्पष्ट किया है कि भाजपा कैसे पश्चिम बंगाल को पूरे पूर्व के विकास का केंद्र बनाएगी। लेकिन यह सच है कि प्रदेश में जिस तरह ममता काल में तुष्टीकरण हुआ है उससे वहां की जनता भी क्षुब्ध है। ममता के रणनीतिकार प्रशांत किशोर का जो आडियो सामने आया है उसमें भी इसकी स्वीकारोक्ति है। ममता जय श्रीराम से चिढ़ती हैं तो लोग ही पूछ रहे हैं कि ऐसा क्यूं है। जबकि सच्चाई यह है कि जय श्रीराम तो असोल परिवर्तन का प्रतीक है। लोगों ने उसे अपना लिया है। ममता के खिलाफ मतदान इन सभी कारणों से हो रहा है लेकिन हमारा मंत्र को विकास है। हम वहां सत्ता में आ रहे हैं और विकास का मंत्र होगा- तुष्टीकरण के बिना हर किसी का सशक्तिकरण। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास।

- जय श्रीराम और असोल परिवर्तन कैसे जुड़ा है। स्पष्ट करेंगे?

उत्तर- जैसे वंदे मातरम आजादी का नारा था। वैसे ही जय श्रीराम परिवर्तन का नारा बन गया है। प्रदेश की जनता तृणमूल सरकार की सोच से मुक्ति चाहती है, उसके शासन से मुक्ति चाहती है। जय श्रीराम बोलकर वह ममता को संदेश दे रही है कि उसे परिवर्तन चाहिए।

- भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की सोच मुफ्त की बिजली, पानी जैसे वादों से उलट रही है। लेकिन पश्चिम बंगाल में आपके घोषणापत्र में यह सब हैं। यह बदलाव क्यो?

उत्तर- पिछले पच्चीस तीस साल में तृणमूल, वाम, कांग्रेस ने बंगाल को इतना खोखला कर दिया कि वहां लोगों की हालत बहुत खराब हो गई है। सबसे ज्यादा मानव तस्करी पश्चिम बंगाल से होती है। यह क्यों है, क्योंकि वहां लोगों की स्थिति चिंताजनक है। हम लोगों के हालात को समझ रहे हैं और इसीलिए ऐसा वादा किया गया है।

- पिछले कुछ दिनों में आपका या गृहमंत्री अमित शाह का अभियान रैली से हटकर रोड शो पर केंद्रित हो गया है। कोई खास रणनीति है?

उत्तर- जो नैरैटिव सेट करना था वह हो चुका है। लोगों को मुद्दों की जानकारी है। उन्हें पता है कि ममता ने क्या और कितना गलत किया। उन्हें पता है कि भाजपा आएगी तो क्या करेगी। अब हमें लोकल पर जाना है। विधानसभा के स्तर पर संपर्क को ज्यादा प्रगाढ़ बनाना है। एक रोड शो में हम पचास साठ हजार संपर्क बना लेते हैं। यह हमारी रणनीति है।

- अभी कुछ महीने पहले बिहार में ओवैसी फैक्टर चर्चा में रहा और फायदा आपको मिला। बंगाल में ओवैसी भी? हैं और अब्बास भी?

उत्तर- हमारे के लिए यह मुद्दा नहीं है। भाजपा तो अपने दम पर चुनाव लड़ती है और हर किसी का साथ लेकर चलती है।

- भाजपा शहरों की पार्टी मानी जाती है। लेकिन पश्चिम बंगाल में आपको गांव से ज्यादा समर्थन मिलता दिख रहा है। शहरों में आप क्यों कमजोर हैं?

उत्तर- हम शहर की पार्टी रहे हैं लेकिन बढ़ते बढ़ते तो हम गांव की पार्टी हो गए। आप लोकसभा का आंकड़ा उठाकर देख लीजिए कि सबसे ज्यादा एससी और एसटी सांसद हमारे पास है। ओबीसी सांसदों की संख्या भी हमारी ही अधिक है। पश्चिम बंगाल में पिछली बार हमारे तीन ही विधायक थे यानी हम कमजोर तो बाकी हर जगह थे। लेकिन इस बार हम हर जगह मजबूत हैं। नतीजे आने दीजिए आपकी यह गलतफहमी भी दूर हो जाएगी कि वहां शहरों में हमारे पास समर्थन नहीं है।

-कहा जा रहा है? कि केरल में भाजपा ने वाममोर्चा को मदद की है? और पश्चिम बंगाल में अब्बास के जरिए वाम भाजपा को मदद कर रहा है?

उत्तर- बिल्कुल गलत बात है। केरल में सबरीमाला के मुद्दे पर हमने वाम का जितना विरोध किया, उसे कठघरे में खड़ा किया उतना किसी और ने नहीं किया। वहां हमारी पूरी ताकत भाजपा को मजबूत करने में लगी और आप देखेंगे। हां, कांग्रेस और वाम के बीच क्या चल रहा है यह सबने देखा है। पश्चिम बंगाल में दोनों साथ हैं। केरल में सबरीमाला के मुद्दे पर कांग्रेस की कोई आक्रामकता नहीं थी।

- असम में जंग कितनी मुश्किल थी?

उत्तर- हर चुनाव एक परीक्षा होती है। लेकिन आप देखिए कि वहां कांग्रेस का दिवालियापन और दोहरा चेहरा दिखा। राहुल गांधी कहते हैं कि बदरुद्दीन अजमल असम की पहचान है। हम कहते हैं कि असम की पहचान बोरदोलोई है, शंकर देव हैं, भूपेन हजारिका है, बदरुद्दीन नहीं। तरुण गोगोई जी ने बदरुद्दीन अजमल के अस्तितिव पर सवाल उठाया था और आज उनके पुत्र व कांग्रेस नेता गौरव गोगोई उनके सहारे की लाठी लेकर चल रहे थे। हमने तो केवल कांग्रेस को बेनकाब किया। असम की जनता ने तो सबकुछ देखा सुना। मैं आपको पूरे विश्वास के साथ कहता हू कि हम बड़े बहुमत के साथ आ रहे हैं।

- क्या असम में दोबारा नेतृत्व भी वही होगा।

उत्तर- देखिए ये सारे फैसले संसदीय बोर्ड मे होते हैं। असम हो या पश्चिम बंगाल हर जगह नेतृत्व का फैसला हो जाएगा।

- दो मई को नतीजे आने हैं और इससे पहले असम में कांग्रेस व सहयोगी एआइयूडीएफ के उम्मीदवारों को जयपुर पहुंचा दिया गया है ताकि वह भाजपा की पहुंच से दूर रहें। आप क्या कहेंगे?

उत्तर- उनकी मर्जी जहां चाहें ले जाएं। मैं सिर्फ यही कहूंगा कि कांग्रेस में कार्यकर्ताओं को अपने नेता पर भरोसा नहीं है और नेता को कार्यकर्ताओं पर नहीं। केवल असम की बात नहीं है,आप पूरी पार्टी को उठाकर देख लीजिए।

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