अब कैंट उपचुनाव में होगी जोर-आजमाइश, दावेदारों की लंबी फौज

रीता बहुगुणा जोशी अब इलाहाबाद से सांसद चुन ली गईं हैं। उनकी कैंट विधानसभा सीट पर दावेदारी के लिए विपक्षी दल सक्रिय हो गए हैं।

By Divyansh RastogiEdited By: Publish:Fri, 24 May 2019 10:59 AM (IST) Updated:Fri, 24 May 2019 02:46 PM (IST)
अब कैंट उपचुनाव में होगी जोर-आजमाइश, दावेदारों की लंबी फौज
अब कैंट उपचुनाव में होगी जोर-आजमाइश, दावेदारों की लंबी फौज

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। प्रोफेसर रीता बहुगुणा जोशी अब इलाहाबाद से सांसद चुन ली गईं हैं तो उनकी कैंट विधानसभा सीट पर दावेदारी करने वालों की नजरें टिक गई हैं। उप चुनाव में इस सीट का टिकट मांगने वालों में भाजपा की सूची लंबी है। चुनावी नतीजों के साथ ही कैंट की सीट भी चर्चा में रही। विपक्षी दलों में भी टिकट पाने वाले भी सक्रिय हो गए हैं।

कैंट सीट से तीन बार विधायक रहे और अवध क्षेत्र के अध्यक्ष सुरेश तिवारी के समर्थक तो यह प्रचार भी करने लगे हैं कि टिकट तो सुरेश तिवारी को ही मिलेगा। रीता जोशी के इलाहाबाद से चुनाव लडऩे के दौरान ही सुरेश की सक्रियता पार्टी खेमे में बढ़ गई थी। 

हालांकि, रीता बहुगुणा जोशी अपने पुत्र मंयक जोशी को उपचुनाव में उतारकर सीट को अपने कब्जे में रखना चाहती हैं। इस तरह का इशारा भी भाजपा कार्यकर्ताओं को दे दिया गया था। कुछ समय से कैंट क्षेत्र में मंयक की सक्रियता भी बढ़ गई थी और भाजपा के प्रचार में उनकी फोटो भी दिखती थी। मध्य विधानसभा क्षेत्र से विधायक और विधि एवं न्याय मंत्री ब्रजेश पाठक की पत्नी नम्रता पाठक भी दावेदार हैं। वह महिला आयोग की सदस्य भी रही हैं और कुछ समय से वह भाजपा की राजनीति में काफी सक्रिय भी हैं। भाजपा के सभी कार्यक्रमों में वह महिला टीम के साथ दिखती भी हैं। खास यह है कि वह भी कैंट विधानसभा क्षेत्र की ही निवासी हैं। 

आरएसएस खेमे से प्रशांत भाटिया भी दावेदारों में शामिल हैं। प्रशांत के पिता सतीश भाटिया 1991 और 1993 में कैंट से विधायक थे और 1991 में पहली बार उन्होंने कैंट सीट पर भाजपा का परचम फहराया था। प्रशांत की मां संयुक्ता भाटिया मेयर हैं। 

लालकुआं से पार्षद सुशील कुमार तिवारी भी भाजपा के दावेदारों में हैं और उन्होंने अपना दायरा लालकुंआ से बढ़ाकर कैंट क्षेत्र में कर दिया है। पीसीएफ के चेयरमैन और लंबे समय से भाजपा से जुड़े मान सिंह तो ताल ठोंककर कहते हैं कि टिकट पाने के लिए पूरा जोर लगाऊंगा। बहुत चुनाव लड़ा दिया है। कुछ समय पहले ही भाजपा का दामन थामने वाले व्यापारी मुरलीधर आहूजा भी दावेदारों में हैं। वह पूर्व में 2007 में कांग्रेस के टिकट पर कैंट सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। 

विपक्षी दलों में लाइन 

किसी की लोकसभा सीट से टिकट न पाने से निराश मुलायम की बहू अपर्णा यादव भी कैंट सीट पर एक बार फिर जोर-आजमाइश कर सकती हैं। वह किस दल से लड़ेंगी यह सवाल है। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने सपा से लड़ा था और तब कांग्रेस ने गठबंधन के चलते समाजवादी पार्टी के पक्ष में प्रचार किया था। हालांकि सपा के टिकट पर लडऩे वालों में लंबी सूची है। इसमें पूर्व पार्षद व 2012 में कैंट से सपा उम्मीदवार सुरेश चौहान भी हैं। कांग्रेस खेमे से भी टिकट पाने वालों की भीड़ है। छात्र नेता रहे राजेश शुक्ला के अलावा लंबे समय से कांग्रेस मीडिया की जिम्मेदारी संभालने वाले वीरेंद्र मदान भी दावेदारों में हैं। पांच बार से पार्षद गिरीश मिश्र भी टिकट मांग रहे हैं तो चार बार से पार्षद राजेंद्र सिंह गप्पू भी दावेदार हैं। गप्पू 2002 में कैंट सीट से कांग्रेस उम्मीदवार भी थे। 

ऐसे सीट पाई थीं रीता बहुगुणा

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुईं रीता जोशी ने भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश तिवारी का पत्ता काट दिया था और वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा का परचम लहराया था। रीता को टिकट दिए जाने से सुरेश तिवारी के समर्थकों में निराशा दिखी थी। कैंट सीट इसलिए चर्चा में आ गई थी क्योंकि सपा उम्मीदवार अपर्णा यादव मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव की पत्नी थी। सपा ने इस सीट पर ताकत झोंक दी थी। अन्य चुनावी सभाओं में नहीं गए मुलायम सिंह यादव ने कैंट विधानसभा सीट पर सभा की थी। खुद अखिलेश यादव भी सभा करने पहुंचे थे।  

2012 में जोशी ने जीती थी सीट

वर्ष 2012 में कांग्रेस उम्मीदवार रीता जोशी ने कैंट सीट से भाजपा विधायक सुरेश तिवारी को हरा दिया था। रीता जोशी को 63052 तो सुरेश तिवारी को 41299 मत मिले थे। हालांकि, सुरेश तिवारी 2007, 2002 और 1996 में भी विधायक रहे तो इससे पहले भी भाजपा का इस सीट पर कब्जा था। इससे पहले 1991 और 1993 में सतीश भाटिया ने भाजपा का परचम लहराया था। 1957 से लेकर 1989 तक कैंट सीट दो चुनाव को छोड़कर सात चुनाव में कांग्रेस के कब्जे में रही थी। 

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