जानिए- पहली बार चुनावी समर में उतरने वाले ठाकरे परिवार के इस सदस्य की कहानी
आदित्य ठाकरे चुनावी मैदान में उतरने वाले ठाकरे परिवार के पहले सदस्य हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। ठाकरे परिवार से चुनावी मैदान में उतरने वाले पहले सदस्य आदित्य ठाकरे सबकी उम्मीदों की मुताबिक वर्ली सीट से आगे चल रहे हैं। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी एनसीपी के सुरेश माने पर बड़ी बढ़त बनाकर रखी है। आदित्य ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उतरने की घोषणा कर सबको चौंका दिया था क्योंकि शिवसेना के संस्थापक और आदित्य के दादा बाल ठाकरे और पिता उद्धव ठाकरे ने कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा।
2009 में शुरू की थी राजनीतिक पारी
आदित्य ठाकरे ने आज से ठीक दस साल पहले 2009 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के दौरान पहली बार राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए अपना पॉलिटिकल करियर शुरू किया था। आदित्य ने इस साल जुलाई में भी इसी तरह की यात्रा निकाली थी। उन्होंने इस साल लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना को मिली भारी जीत पर मतदाताओं का आभार प्रकट करने के लिए इस यात्रा की शुरुआत की थी लेकिन एक मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी की तरह उन्होंने इसके साथ ही विधानसभा चुनावों का बिगुल फूंक दिया था।
इस कारण से चुनावी मैदान में उतरे आदित्य
बाल ठाकरे ने 1966 में मराठी अस्मिता के मुद्दे को आगे करते हुए शिवसेना की स्थापना की थी। उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ने का उल्लेखनीय फैसला किया था। इसकी बजाय उन्होंने पार्टी संगठन पर अपनी पकड़ मजबूत रखी लेकिन कभी किसी संवैधानिक पद पर नहीं बैठे। इस तरह उन्होंने खुद को कई तरह के पचड़ों से दूर रखा लेकिन जब आदित्य ने चुनाव लड़ने का मन बताया तो साथ ही कारण भी स्पष्ट तौर पर बताया। उन्होंने मुंबई में आयोजित इंडिया टूडे कॉन्क्लेव में खुद अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के बारे में बताया। अपने पिता से अलग आदित्य काफी युवा अवस्था से ही राजनीति में काफी सक्रिय रहे हैं। वह पार्टी के यूथ विंग से जुड़े हैं और अपने दादा की तरह ही संगठन पर अच्छी पकड़ रखते हैं। साथ ही आदित्य के खुद चुनावी मैदान में आने से शिवसेना समर्थकों में भी एक नई तरह की ऊर्जा आ गई। यह पार्टी के लिए काफी जरूरी था क्योंकि 2014 के बाद से भाजपा जिस तरह राज्य में अपना विस्तार कर रही है, उससे कहीं-ना-कहीं उसकी साझीदार पार्टी शिवसेना की ही चिंता बढ़ गई थी।
बन सकते हैं उपमुख्यमंत्री
चुनावी रुझानों में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरती दिख रही है लेकिन वह अकेले दम पर बहुमत पाती नजर नहीं आ रही। ऐसे में वह शिवसेना को उपमुख्यमंत्री पद ऑफर कर सकती है। अगर ऐसा होता है तो शिवसेना आदित्य को उपमुख्यमंत्री बना सकती है। इससे सरकार में शिवसेना का कद और बढ़ जाएगा और महत्वपूर्ण फैसलों में पार्टी की पूछ बढ़ जाएगी।
यहां से की है पढ़ाई
उद्धव ठाकरे और रश्मि ठाकरे के बड़े बेटे आदित्य का जन्म 13 जून, 1990 को हुआ था। उन्होंने बॉम्बे के स्कॉटिश स्कूल से स्कूलिंग की है। मुंबई के सेंट जेवियर्स कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन करने के बाद आदित्य ने के सी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की।
इतनी है कुल संपत्ति
उद्धव ठाकरे के बेटे ने वर्ली सीट से नामांकन दाखिल करते हुए अपने हलफनामे में जानकारी दी कि उनके पास 16.05 करोड़ रुपये की संपत्ति है। आदित्य की चल संपत्ति की बात की जाए तो यह 11.38 करोड़ रुपये है। उनके पास 4.67 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है।