MP Election 2018: भाजपा के 60 से ज्यादा बागी मैदान में, 10 से ज्यादा सीटों पर बने मुसीबत

MP Election 2018 नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख निकलने के बाद भी भाजपा कोशिश कर रही है कि बागी पार्टी के लिए मैदान छोड़ दें।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 09:20 PM (IST) Updated:Sat, 17 Nov 2018 01:20 AM (IST)
MP Election 2018: भाजपा के 60 से ज्यादा बागी मैदान में, 10 से ज्यादा सीटों पर बने मुसीबत
MP Election 2018: भाजपा के 60 से ज्यादा बागी मैदान में, 10 से ज्यादा सीटों पर बने मुसीबत

भोपाल। वर्ष 2013 के मुकाबले इस विधानसभा चुनाव में बागी उम्मीदवार भारतीय जनता पार्टी के लिए ज्यादा मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। भाजपा ने लगभग 63 बागियों को पार्टी से निकाल दिया है। वहीं लगभग 10 सीटें ऐसी हैं, जिन पर यह बागी भाजपा की जीत को हार में बदल सकते हैं।

नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख निकलने के बाद भी भाजपा कोशिश कर रही है कि बागी पार्टी के लिए मैदान छोड़ दें। वैसे इस बार बागियों को मनाने में भाजपा नाकाम साबित हुई है। सरकार के चार मंत्रियों के खिलाफ भी बागी मैदान में उतरे हैं।

सरताज सिंह: बागियों में इस बार सबसे बड़ा चेहरा। सिवनी मालवा से भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस में शामिल होकर होशंगाबाद से टिकट लिया। भाजपा के लिए न सिर्फ होशंगाबाद बल्कि सिवनी मालवा में भी चुनौती बन रहे हैं।

रामकृष्ण कुसमरिया: पूर्व मंत्री और पांच बार के सांसद। दमोह और पथरिया से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में प्रत्याशी। दमोह से वित्त मंत्री जयंत मलैया और पथरिया से लखन पटेल के लिए मुसीबत बने। पथरिया में 14 प्रतिशत और दमोह में 5 प्रतिशत जातिगत वोट में लगाएंगे सेंध।

धीरज पटेरिया: भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष। जबलपुर उत्तर-मध्य से मंत्री शरद जैन के खिलाफ निर्दलीय मैदान में। युवाओं के बीच अच्छी पैठ। भाजपा ने आखिरी समय तक कोशिश की, लेकिन नहीं माने। अब पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ रहे हैं।

समीक्षा गुप्ता: ग्वालियर की पूर्व महापौर। ग्वालियर दक्षिण से मंत्री नारायण सिंह कुशवाह को टिकट देने से नाराज होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहीं। सीट पर भाजपा की अंदरूनी कलह भी मुसीबत बन रही है। भाजपा के लिए मुश्किल बढ़ाने लायक वोट काटने की क्षमता।

ब्रह्मानंद रत्नाकर: बैरसिया के पूर्व विधायक। विधानसभा क्षेत्र में नजीराबाद और आसपास के गांव में बहुत अच्छा प्रभाव। परिणाम जो भी हो, लेकिन भाजपा के हजारों वोट काटने का माद्दा रखते हैं। भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ विरोध दिक्कतें और बढ़ाएगा। 2008 में 23 हजार से ज्यादा वोट से जीते थे।

नरेंद्र सिंह कुशवाह: मौजूदा विधायक, भिंड से सपा के टिकट से चुनाव मैदान में। भाजपा ने राकेश चौधरी को मैदान में उतारा है। भिंड में ठाकुर समाज के वोट अच्छी खासी तादाद में है। इसके अलावा क्षेत्र में दबंग छवि भी है। 2013 में उन्हें 51 हजार वोट मिले थे।

केएल अग्रवाल: शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री रहे। 2013 में लगभग 53 हजार वोट हासिल किए थे। हालांकि जीत से वे काफी दूर रहे। इस बार भाजपा ने उम्मीदवार बदला तो निर्दलीय मैदान में उतरे। भाजपा आखिरी समय तक मनाने की कोशिश करती रही। भाजपा को डर है कि पांच हजार वोट भी काटे तो दिक्कतें बढ़ेंगी।

ये भी बिगाड़ेंगे समीकरण

इन बड़े नामों के अलावा आमला सीट से मनोज डहेरिया, शाजापुर सीट से जेपी मंडलोई, महेश्वर सीट से राजकुमार मेव और बदनावर से राजेश अग्रवाल भी पार्टी के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक भाजपा इन उम्मीदवारों को अभी भी प्रचार नहीं करने के लिए मना रही है। 

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