MP Election 2018 : आधे अधूरे समझौते से 'जयस' के एक दर्जन निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस का सिरदर्द
MP Election 2018 कांग्रेस के साथ जयस का विधानसभा चुनाव में समझौते के लिए कई दौर की चर्चाएं हुई थीं।
रवींद्र कैलासिया, भोपाल। विधानसभा चुनाव में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) के साथ कांग्रेस का आधा अधूरा समझौता अब 12 सीटों पर सिरदर्द बनने जा रहा है।
कांग्रेस ने जयस के दो गुटों में से एक के प्रमुख डॉ. हीरालाल अलावा को टिकट दिए और दूसरे गुट को तव्वजो नहीं दिए जाने से यह स्थिति बनी है। निर्दलीय के रूप में उतरे जयस के इन प्रत्याशियों से मालवा-निमाड़ और बैतूल क्षेत्र की दर्जनभर सीटों पर कांग्रेस का गणित गड़बड़ाने के हालात बन रहे हैं।
कांग्रेस के साथ जयस का विधानसभा चुनाव में समझौते के लिए कई दौर की चर्चाएं हुई थीं। इसमें जयस के दो गुटों में एक गुट डॉ. हीरालाल अलावा की भूमिका रही। समझौते की बातचीत में व्यापमं घोटाले के व्हिसल ब्लोअर डॉ. आनंद राय भी साथ रहे।
कांग्रेस ने जयस के दोनों गुटों को संतुष्ट करने के लिए दो सीटें देने का फैसला किया। जिसमें एक सीट डॉ. हीरालाल अलावा को मनावर दे दी गई तो दूसरी सीट रतलाम ग्रामीण से लक्ष्मण सिंह डिंडोर को दी गई। मगर इन टिकटों को लेकर जयस कोर कमेटी की असहमति रही जो अभी तक है। उन्होंने संगठन को गैर राजनीतिक व सामाजिक बताया और चुनाव से दूर रहने की बात कर रहे हैं।
जयस के जो कार्यकर्ता चुनाव मैदान में उतरे हैं, उनमें भीकनगांव के राजेंद्र तुकाराम, बड़वाह के चेतन मंडलोई, महेश्वर के रोशन वर्मा, भगवानपुरा के केदार डाबर, जोबट के विक्रम वसुनिया, बड़वानी के राजन मंडलोई, थांदला के इलियास मचार, सैलाना के कमलेश्वर डोडियार, बामौरी के रामस्वरूप भील, भैंसदेही के योगेंद्र सिंह चौहान, टिमरनी के नंदकिशोर बेटे अमाखाल और बागली के सुरेश शामिल हैं। इन सीटों पर जयस प्रत्याशियों के उतरने से कांग्रेस प्रत्याशियों को ज्यादा परेशानी आएगी।
नौकरी से इस्तीफे में फंसा दूसरा गुट
जयस के दूसरे गुट के लक्ष्मण सिंह डिंडोर को कांग्रेस ने प्रत्याशी घोषित कर दिया लेकिन उनके सरकारी नौकरी के इस्तीफे पर नामांकन पर्चा दाखिल करने की अंतिम तिथि के एक दिन पहले तक विभाग का फैसला नहीं होने से पार्टी ने अपने कार्यकर्ता को टिकट दे दिया।
वहीं, इस सीट भाजपा प्रत्याशी दिलीप मकवाना का शासकीय सेवा से इस्तीफा समय सीमा में स्वीकृत हो गया। इस सीट पर जयस के दूसरे गुट के पेशे से चिकित्सक डॉ. अभय वोहरी के साथ भी डिंडोर जैसी स्थितियां बनीं। उनका स्वास्थ्य विभाग ने नामांकन पर्चा दाखिल होने की अंतिम तिथि तक इस्तीफा स्वीकृत नहीं किया जिससे पर्चा निरस्त हो गया। हालांकि डॉ. वोहरी ने अदालत में इसकी लड़ाई शुरू कर दी है।
षड़यंत्र कर चुनाव लड़ने से दूर किया
नामांकन पर्चा भरने के काफी पहले स्वास्थ्य विभाग की सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था। विभाग को स्मरण कराने के बाद भी नामांकन पर्चा भरने की अंतिम तारीख तक इससे स्वीकार नहीं किया गया। विभाग के खिलाफ हाईकोर्ट में प्रकरण लगाया है। षड़यंत्र कर मुझे चुनाव से दूर करने के लिए इस्तीफा स्वीकार करने में देरी की गई।
- डॉ. अभय वोहरी, जयस नेता और नामांकन पर्चा निरस्त
कांग्रेस पर असर नहीं पड़ेगा
कांग्रेस का शुरू में यह प्रयास था कि सरकार विरोधी वोट बंटे नहीं और उसके लिए पूरे प्रयास किए। इसमें दूसरे दलों ने अव्यवहारिक मांगें रखीं जिससे अब सभी अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। मगर जनता सरकार के खिलाफ है और उसे उखड़ फेंकना चाहती है। कांग्रेस को दूसरे दलों या निर्दलीयों से असर नहीं पड़ेगा।
- शोभा ओझा, मीडिया विभाग अध्यक्ष, मप्र कांग्रेस
कांग्रेस को नुकसान होगा
जयस सामाजिक संगठन है और डॉ. अलावा को व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस ने टिकट दिया है। हम न कांग्रेस का समर्थन करते और न भाजपा का। जयस से जुड़े जो लोग निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, वे सरकार विरोधी वोट लेंगे। इससे कांग्रेस को नुकसान होगा।
- महेंद्र कन्नौजे, कोर कमेटी, जयस