MP Election 2018: रीवा संभाग में बिना लहर के चुनाव में मतदाता की चुप्पी कर रही परेशान

MP Election 2018 लगातार रैलियों व आम सभाओं के बाद भी मतदाता खामोश है। पहली बार लग रहा है कि बिना किसी लहर के चुनाव हो रहे हैं।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 10:29 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 01:29 AM (IST)
MP Election 2018: रीवा संभाग में बिना लहर के चुनाव में मतदाता की चुप्पी कर रही परेशान
MP Election 2018: रीवा संभाग में बिना लहर के चुनाव में मतदाता की चुप्पी कर रही परेशान

रीवा। रीवा संभाग प्रदेश की राजनीति प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने दूसरी बार रीवा संभाग पहुंचकर 4 आम सभाओं को संबोधित किया। इसके दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा 20 नवंबर को रीवा में होने जा रही है।

बहुजन समाज पार्टी की ओर से अभी तक कोई स्टार प्रचारक नहीं आया है। सुप्रीमो मायावती 23 को रीवा आ रही है। कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल ने मोर्चा संभाला हुआ है। वे लगातार छोटी-छोटी सभाएं कर अपनी बात जनता तक पहुंचा रहे हैं।

किसानों और युवाओं को लुभाया

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अमित शाह ने केन्द्र और प्रदेश शासन की योजनाओं का जिक्र अपनी आम सभा में किया है। उनका पूरा उदबोधन युवाओं, बेरोजगारों और किसानों के आसपास ही केन्द्रित रहा है। सतना और रीवा जिले में सभा को लेकर कार्यकताओं और समर्थकों में उत्साह देखा गया है। इस बार शाह की सभा में मुस्लिम मतदाता भी सुनने पहुंचे थे। उन्होंने धर्म नगरी मैहर में रात्रि विश्राम किया और सुबह देवी दर्शन किए।

दो-दो ईवीएम लगाना पड़ीं

रीवा संभाग में 15 क्षेत्रीय दलों ने उपस्थिति दर्ज कराई है। इससे 13 सीटों पर त्रिकोणीय संघर्ष के हालात बन रहे हैं। रीवा जिले की आठ सीटों पर 158 प्रत्याशी मैदान में हैं। सबसे अधिक 25 उम्मीदवार रीवा में हैं। जिसके कारण सभी सीटों पर दो-दो ईवीएम लगाना पड़ रहीं हैं। रीवा में चुनावी घमासान की स्थिति का अंदाजा शिकायतों से लिया जा सकता है। अभी पहले ही सप्ताह में 155 शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं। प्रारंभिक जांच के बाद 50 शिकायतों में से 20 मामलों में एफआईआर कराई गई है।

एट्रोसिटी एक्ट मुहिम कमजोर

सवर्ण समाज पार्टी और सपाक्स के प्रत्याशी मैदान में हैं। उनका प्रभाव एक-दो ही सीटों पर दिख रहा है। जिस तेजी से इस आंदोलन ने जोर पकड़ा था उतनी ही तेजी से यह शांत हो गया है। दोनों ही दलों के उम्मीदवारों को उम्मीद है कि एट्रोसिटी एक्ट का प्रभाव मतों में बदलेगा। दोनों बडे दल भाजपा और कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर चर्चा भी नहीं कर रहे हैं। यह आम सभाओं में भी सुनने नहीं मिल रहा है।

सतना, सिंगरौली में भी त्रिकोणीय मुकाबले

सतना, सिंगरौली जिले में बहुजन समाज पार्टी की उपस्थिति 4 से 5 सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना बन रही है। सिंगरौली में आदिवासी संगठनों की मौजूदगी भी बड़े दलों का खेल बिगाड़ रही है। इसी तरह कुछ सीटें ऐसी हैं जहां असंतुष्ट भितरघात करते दिख रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस असंतुष्टों को मनाने लगातार कोशिश कर रहे हैं लेकिन पहली बार दिख रहा है कि असंतुष्ट किसी की सुनने तैयार नहीं हैं।

अंतिम सप्ताह में लगेगा जोर

अभी कांग्रेस के स्टार प्रचारकों का इंतजार रीवा संभाग में किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि छत्तीसगढ़ चुनाव के बाद सभी स्टार प्रचारक रीवा आ सकते हैं। आगामी एक दो दिन में कांग्रेस नेता और फिल्म अभिनेता राज बब्बर, पंजाब के उपमुख्यमंत्री और क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू की आम सभा हो सकती है। अभी तक आम सभाओं और चुनावी रैलियों में भाजपा ने काफी जोर दिखाया है।

मतदाता खामोश

लगातार रैलियों आम सभाओं के बाद भी मतदाता खामोश है। पहली बार लग रहा है कि बिना किसी लहर के चुनाव हो रहे हैं। मतदाता लगातार नेताओं को सुन रहा है। लेकिन अपने मन की नहीं बता रहा है। भाजपा का पूरा प्रचार विकास और समृद्धि की ओर है वहीं कांग्रेस लगातार 15 साल की नाकामियों और और अधूरे वादों पर सवाल उठा रही है। रीवा संभाग के बारे में कहा जाता है कि पूरे चुनाव के दौरान मतदाता सबकी सुनता है लेकिन करता अपने मन की है। यहां जात-पात के आधार पर मतदान करने का इतिहास है।

दृष्टि पत्र और जनसंकल्प जारी

भारतीय जनता पार्टी ने दृष्टि पत्र जारी किया है वहीं कांग्रेस ने जनसंकल्प के नाम से चुनावी घोषणा पत्र जारी किया है। इसमें कांग्रेस ने 973 घोषणाएं की हैं और भाजपा ने 585 वादे किए हैं। जिसमें शहरी विकास, सड़क, उद्योग, किसान, कर्मचारी, महिला, युवा और एससीएसटी वर्ग के लिए अलग-अलग दावे किए गए हैं। इसमें दोनों ही दलों ने रीवा संभाग के जिलों के लिए अलग से घोषणाएं की हैं।  

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