MP Election 2018 : 36 सौ सहकारी समितियों में गैर सरकारी प्रशासकों को हटाया
MP Election 2018 मार्च 2018 में प्रदेश की अधिकांश सहकारी समितियों के निर्वाचित संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म हो गया।
भोपाल। प्रदेश की तीन हजार 600 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति में गैर सरकारी प्रशासकों को सहकारिता विभाग ने हटा दिया। समितियों का चुनाव नहीं होने के कारण विभाग ने कार्यकाल समाप्त होने के बाद संचालक मंडल के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को ही प्रशासक बनाने का निर्णय लिया था।
सितंबर में इनका यह कार्यकाल भी खत्म हो गया पर अधिकांश जगहों पर ये अभी भी काम कर रहे थे। कांग्रेस ने चुनाव आयोग की फुल बेंच से इसकी शिकायत की। सीईओ कार्यालय ने सहकारिता विभाग से इस पर जवाब-तलब कर लिया। जवाब देने से पहले गुरुवार को आनन-फानन में आदेश निकाले कि अब संयुक्त, उप व सहायक आयुक्त अपने अधीनस्थ कर्मचारियों से समितियों का काम कराएंगे।
मार्च 2018 में प्रदेश की अधिकांश सहकारी समितियों के निर्वाचित संचालक मंडल का कार्यकाल खत्म हो गया। विभाग ने अपने अधिकारियों को प्रशासक नियुक्त करने की कार्यवाही करने के लिए कह दिया। दरअसल, सहकारी अधिनियम में प्रशासक शासकीय कर्मचारी को ही बनाया जा सकता था, लेकिन सरकार ने इसमें संशोधन करते हुए समिति का सदस्य बनने की पात्रता रखने वाले व्यक्ति को प्रशासक बनाने का निर्णय कर लिया।
इसके आधार पर अपेक्स बैंक (राज्य सहकारी बैंक) से लेकर प्राथमिक समितियों में गैर शासकीय व्यक्तियों (सहकारिता से जुड़े नेता) को प्रशासक नियुक्त कर दिया। नियमानुसार प्रशासक छह माह के लिए बनाया जा सकता है। यह अवधि सितंबर और अक्टूबर के पहले सप्ताह में समाप्त हो गई।
इसके बाद भी कई जगहों पर प्रशासक काम कर रहे थे। इसको लेकर प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ओपी रावत की अध्यक्षता में भोपाल आई आयोग की फुल बेंच के सामने बताया कि समिति के पदाधिकारियों को कार्यकाल खत्म होने के बाद प्रशासक बना दिया और ये भाजपा के पक्ष में चुनाव का काम कर रहे हैं।
आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह के साथ वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में मुद्दे को रखा और विस्तृत रिपोर्ट मांगी। रिपोर्ट सौंपने से पहले ही सहकारिता आयुक्त केदार शर्मा ने आदेश जारी कर कहा कि प्रशासकों का कार्यकाल छह माह की अवधि बीतने के साथ स्वमेव ही समाप्त हो गया है।
संस्था का प्रभार पंजीयक के पास आ गया है। अब वे संस्थाओं का संचालन अपने अधीनस्थ सरकारी कर्मचारियों से कराएं। उधर, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि सहकारी समितियों के मामले में प्रतिवेदन मांगा गया है, जो नहीं मिला।