MP Election 2018: गायब हुआ जयस-सपाक्स का असर भी नहीं आ रहा नजर

सवर्णों के संगठन सपाक्स ने जब से खुद को राजनीतिक दल घोषित किया, क्षेत्र में उसका असर कम नजर आ रहा है।

By Prashant PandeyEdited By: Publish:Fri, 16 Nov 2018 01:00 PM (IST) Updated:Fri, 16 Nov 2018 01:00 PM (IST)
MP Election 2018: गायब हुआ जयस-सपाक्स का असर भी नहीं आ रहा नजर
MP Election 2018: गायब हुआ जयस-सपाक्स का असर भी नहीं आ रहा नजर

झाबुआ, अहद खान। जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन ने आदिवासी क्षेत्रो में इतनी तेजी से सक्रियता बढ़ाई थी कि कम समय में ही राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण फैक्टर के रूप में इसे पहचाना जाने लगा था। लेकिन जैसे ही सभी दलों में टिकट वितरण हुआ जयस भी दिखाई देना बंद हो गया। खास तौर पर कांग्रेस की लिस्ट आने के बाद। जिले में तीसरी शक्ति होने का दावा करने वाले संगठन को एक भी टिकट नहीं मिला। पास के जिले में एक मिला था, वो भी कांग्रेस ने बाद में बदल दिया। अब मनावर में संगठन के अध्यक्ष मैदान में बचे हैं। उनके लिए भी राह आसान नहीं बताई जाती।

पहले होती थी रैलियां-सभाएं

दूसरी ओर सवर्णों के संगठन सपाक्स ने जब से खुद को राजनीतिक दल घोषित किया, क्षेत्र में उसका असर कम नजर आ रहा है। टिकट बंटने के पहले जयस की रैलियां-सभाएं लगातार चल रही थी, बैठकें हो रही थी, बाहर से नेता आ रहे थे और सोशल मीडिया पर भी संदेश चल रहे थे। आदिवासी दिवस पर भीड़ जुटाकर ये संदेश भी दिया गया कि अगर हमें नहीं साधा गया तो किसी पार्टी का भला नहीं होगा। लेकिन जब असली लड़ाई की बात आई तो जयस कहीं नजर नहीं आ रहा।

संगठन के साथ जो लोग थे, उन्होंने भी संभवत: राजनीतिक दल के रूप में संगठन को गंभीरता से नहीं लिया। अब वो या तो कांग्रेस के साथ हैं या भाजपा के या किसी अन्य दल व निर्दलीय के साथ। जिले में एक भी सीट पर जयस की दावेदारी टिक नहीं सकी। रतलाम ग्रामीण से कांग्रेस ने लक्ष्मणसिंह डिंडोर को टिकट दिया था। उन्होंने टिकट मिलते ही कह दिया, जयस कोटे से नहीं मिला है। हालांकि बाद में पार्टी ने भी उनका टिकट रद्द कर दिया।

संगठन के लोग ही एक मत नहीं...

जानकारों का कहना है, जयस के लोग जिस तरह की बातें और विचार रख रहे थे, उससे लग रहा था कि ये एक आंदोलन की आग है। लेकिन राजनीतिक उधेड़बुन में नेताओं के लगने और संगठन के दो फाड़ होने के बाद पता चला, आग सिर्फ सतह पर थी, नीचे की ओर तो पानी ही है। कुल मिलाकर क्षेत्र का आदिवासी संगठन से जुड़ा जरूर, लेकिन राजनीतिक रूप से खुद को उपयोग में नहीं आने दिया।

नए बायलॉज हो रहे तैयार

जयस का नए सिरे से गठन होगा, नए बायलॉज तैयार किए जा रहे हैं, संगठन सिर्फ आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कार्य करेगा। वैसे भी जो नेता राजनीति में चले गए उनकी सदस्यता स्वत: ही निरस्त है। - विक्रम अछालिया संस्थापक सदस्य जयस

क्या है जयस

जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) की पकड़ धार, झाबुआ और आलीराजपुर जिले में है। इसके अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा है, जो कांग्रेस के के टिकट पर मनावर से चुनाव लड़ रहे हैं। इस संगठन ने कुछ सीटों पर कांग्रेस से समझौता किया है तो कुछ सीटों पर यह गौणवाना गणतंत्र पार्टी का समर्थन कर रहा है। अलावा ने पहले मालवा-निमाड़ की 60 सीटों पर जयस के प्रत्याशी उतारने की बात की थी।

क्या है सपाक्स : सपाक्स संगठन गैर राजनीतिक था, जिसकी स्थापना सामान्य व पिछड़ा वर्ग के अफसरों और कर्मचारियों ने की थी। इसका उद्देश्य अपने अधिकारों की सुरक्षा करना था, लेकिन बाद में यह राजनीतिक रंग में ढल गया।  

chat bot
आपका साथी