MP Election 2018: 18 साल के संघर्ष के बाद मिला वोट डालने का हक
Madhya Pradesh Chunav 2018: करीब दो माह पहले तक स्थिति यह थी कि इनका नाम बैतूल जिले की मतदाता सूची में नहीं था। इस कारण 2001 से अब तक हुए चुनाव में ये लोग मतदान नहीं कर सके।
बैतूल, उत्तम मालवीय, नवदुनिया। लोकतंत्र में सबसे बड़ी शक्ति मताधिकार की होती है। जिसमें गरीब से गरीब व्यक्ति को भी अपने मत का प्रयोग कर सत्ता परिवर्तन करने की ताकत हासिल रहती है। यूं तो यह अधिकार सभी को प्राप्त होता है, लेकिन बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत रामपुर (भतोड़ी) के ग्राम दानवाखेड़ा के ग्रामीण लगातार 18 साल तक इस अधिकार से वंचित रहे। अब 18 साल बाद यह अधिकार उन्हें फिर से हासिल होने पर उनमें भारी उत्साह है। इनमें से कई मतदाता पहली बार वोट डालेंगे।
बैतूल जिला मुख्यालय से लगभग 100 किमी दूर घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में स्थित ग्राम दानवाखेड़ा में वर्ष 2001 से कोरकू समाज के लोग रहते हैं। वर्तमान में इनकी आबादी 500 से अधिक है। जिनमें 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की संख्या 300 से अधिक है। करीब दो माह पहले तक स्थिति यह थी कि इनका नाम बैतूल जिले की मतदाता सूची में नहीं था। इस कारण 2001 से अब तक हुए चुनाव में ये लोग मतदान नहीं कर सके। ऐसा नहीं है कि वे मताधिकार को लेकर जागरूक नहीं थे या उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वजह यहां की सरकारी मशीनरी की जिद थी, जो उन्हें बैतूल का मानती ही नहीं थी। ये लोग छिंदवाड़ा जिले से यहां आए थे, इसलिए सरकारी अमला उन्हें छिंदवाड़ा का ही मानता था।
लगातार किया आंदोलन
ग्रामीणों को यह अधिकार दिलाने के लिए सामाजिक संगठन समाजवादी जनपरिषद और श्रमिक आदिवासी संगठन ने वर्षों तक संघर्ष किया। सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र गड़वाल बताते हैं कि इन ग्रामीणों का नाम जुड़वाने के लिए सैकड़ों आवेदन देने, धरना-प्रदर्शन करने और शांतिप्रिय ढंग से आंदोलन किए, लेकिन मतदाता सूची में नाम नहीं जुड़े। फिर मजबूर होकर ग्रामीणों के साथ भोपाल पहुंचे और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वी. कांताराव से भेंट कर उन्हें समस्या बताई। उन्होंने तत्काल इसे गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को इन ग्रामीणों के नाम जोड़ने के निर्देश दिए। करीब दो माह पहले सबके नाम जुड़ गए। अब इन ग्रामीणों को गांव से करीब सात किमी दूर स्थित रामपुर भतोड़ी के मतदान केंद्र से जोड़ा गया है।
ग्रामीण बोले: पहले शरणार्थी जैसा महसूस करते थे हम
मतदान का अधिकार मिलने से ग्रामीण बेहद खुश हैं। गांव के शेखलाल, पीपरलाल, रेंगलाल और झनियाबाई
ने बताया कि लंबे समय से हम मताधिकार देने की मांग कर रहे थे, लेकिन सुनवाई के अभाव में वंचित थे। ऐसा लगता था कि हम इस देश के नहीं, बल्कि किसी और देश के रहने वाले हैं और शरणार्थी जैसा जीवन गुजार रहे हों, पर अब मताधिकार मिलने से हम वास्तव में बेहद खुश हैं। अब हमें भी खुद पर गर्व हो रहा है। देश की शासन व्यवस्था चलाने की जिम्मेदारी जिन लोगों पर होती है, उन्हें चुनने में हमारी भी भागीदारी रहेगी, अब हम बिना किसी शक के यह बात महसूस कर सकेंगे।