MP Election 2018: निर्दलीय और बागी पर भरोसा नहीं करते बड़वानी के मतदाता
Madhya Pradesh Elections 2018: विधानसभा चुनावों में इतिहास रहा है कि जिले की चार सीटों पर कभी अन्य दल या निर्दलीय को जनता ने मान नहीं दिया है।
बड़वानी, विवेक पाराशर। बड़वानी के जिला बनने से पूर्व व बाद में अब तक का विधानसभा चुनावों में इतिहास रहा है कि जिले की चार सीटों पर कभी अन्य दल या निर्दलीय को जनता ने मान नहीं दिया है। इनकी जीत तो दूर जमानत बचने तक के लाले ही रहे हैं। अब तक महज एक प्रत्याशी ने अन्य दल से मैदान में उतरकर जमानत बचाई है। हालांकि इस बार जिला मुख्यालय की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। ज्ञात हो कि 2003 तक जिले में चार विधानसभा सीटें बड़वानी, सेंधवा, अंजड़ व राजपुर रही हैं। 2008 से अंजड़ को हटा कर पानसेमल सीट की गई है।
विधानसभा चुनाव के इतिहास पर गौर किया जाए तो अब तक कि सी भी निर्दलीय या अन्य दल को जनता का प्यार व साथ नहीं मिला है। इस बार की भी बात की जाए तो तीन सीटों सेंधवा, राजपुर व पानसेमल में दोनों प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस में ही मुकाबला माना जा रहा है। बड़वानी में भाजपा व कांग्रेस के अतिरिक्त कांग्रेस से बागी होकर निर्दलीय उतरे प्रत्याशी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है।
सिर्फ परमार बचा पाए हैं जमानत
वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में सेंधवा सीट पर कांग्रेस से बगावत कर सुखलाल परमार ने राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था। जिले की चार सीटों के इतिहास में परमार अब तक एकमात्र प्रत्याशी हैं, जिन्होंने जमानत बचाई थी। उस चुनाव में परमार ने कांग्रेस प्रत्याशी ग्यारसीलाल रावत के लगभग बराबर मत पाए थे। इस चुनाव में जीते भाजपा के अंतरसिंह आर्य को कुल 50.1 प्रतिशत मत मिले थे, वहीं कांग्रेस के रावत को 21.61 प्रतिशत व राकांपा के परमार को 21.41 प्रतिशत मत मिले थे।
इस बार घमासान की उम्मीद
चुनाव में जिले की एकमात्र बड़वानी सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। मैदान में कांग्रेस की ओर से वर्तमान विधायक रमेश पटेल हैं। भाजपा की ओर से प्रेमसिंह पटेल हैं, जो पहले लगातार चार बार विधायक रह चुके हैं। वहीं निर्दलीय राजन मंडलोई भी मैदान में हैं, वे भी पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष रह चुके हैं।
जीत-हार के अंतर से ज्यादा मत मिले थे बागी को
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में बड़वानी सीट पर कांग्रेस से बागी होकर लक्ष्मण चौहान ने चुनाव निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस की ओर से राजन मंडलोई प्रत्याशी थे। इस चुनाव में जीत तो भाजपा प्रत्याशी प्रेमसिंह पटेल की हुई थी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी से उनकी जीत का आंकड़ा लक्ष्मण चौहान को मिले मतों से कम था। जीत-हार का अंतर 14 हजार 327 मत का था, जबकि चौहान को 15 हजार 880 मत मिले थे।