Loksabha Election 2019 : वाराणसी और चंदौली से सपा के प्रत्याशी घोषित, कांग्रेस पीछे
लोकसभा चुनाव में कम से कम पीएम की संसदीय सीट वाराणसी पर एकजुट होकर लडऩे की संभावना सपा ने सोमवार शाम को खत्म कर दी।
वाराणसी, जेएनएन। लोकसभा चुनाव में कम से कम पीएम की संसदीय सीट पर एकजुट होकर लडऩे की संभावना सपा ने सोमवार शाम खत्म कर दी। इससे सपा ने चरखा दांव लगाते हुए कांग्रेस को दोहरा झटका दिया। पुराने कांग्रेसी परिवार और पूर्व सांसद श्याम लाल यादव की बहू व पिछले महापौर चुनाव में प्रत्याशी रहीं शालिनी यादव को पार्टी में शामिल कराने के साथ ही उन्हें आनन-फानन प्रत्याशी घोषित कर दिया। वहीं चंदौली से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. महेंद्र नाथ पांडेय के सामने संजय चौहान को सपा ने उतारा है। देर रात संजय को प्रत्याशी बनाए जाने का कार्यकर्ताओं ने विरोध भी किया। सपा कार्यकर्ताओं ने जीटी रोड स्थित कार्यालय पर हंगामा करते हुए शीर्ष नेतृत्व के फैसले का विरोध किया। उनका कहना था कि पार्टी का यह निर्णय सही नहीं है पूर्व ब्लॉक प्रमुख बाबू लाल यादव के समझाने बुझाने के बाद हालांकि कार्यकर्ता शांत हुए।
वाराणसी में सियासी गुणा गणित : प्रत्याशी को लेकर अब तक सस्पेंस रच रही कांग्रेस के लिए यह स्थिति दोहरे झटके से कम न रही। हालांकि राष्ट्रीय नेतृत्व के इस कदम ने सपाजनों में भरपूर उत्साह का संचार कर दिया। पार्टी पदाधिकारियों की अलग-अलग ठीहों पर बैठकों में चुनावी गुणा-गणित भी लगाई जाने लगी। इसमें बनारस संसदीय सीट पर चुनौती खड़ी करने के लिहाज से महापौर चुनाव के वोट जोड़े जाते रहे। शालिनी पिछले निगम चुनाव में कांग्रेस से महापौर प्रत्याशी थीं और उन्हें 1.28 लाख वोट मिले थे। वहीं सपा के खाते में 99,800 और बसपा को 35 हजार मत प्राप्त हुए थे। इसमें उत्साहित होने का तर्क यह कि निगम चुनाव के मत सिर्फ तीन शहरी विधानसभा क्षेत्रों के रहे और दो ग्रामीण विस क्षेत्र इसमें प्लस ही होंगे।
नया नहीं सपा से नाता : गौर करने की बात यह कि शालिनी यादव के परिवार का सपा से नाता नया नहीं है। उनके श्वसुर भले आजीवन कांग्रेसी रहे मगर बीच के दौर में सपा में शामिल होकर चिरईगांव से विधानसभा चुनाव भी लड़ा। हालांकि उसमें हार का सामना करना पड़ा था। श्याम लाल यादव के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो वे विधानसभा, राज्यसभा से होते लोकसभा तक पहुंचे थे। वर्ष 1957 और 1967 में मुगलसराय विस क्षेत्र से निर्वाचित हुए तो 1970 और 1976 में राज्यसभा के सदस्य रहे। वर्ष 1982 में तीसरी बार राज्यसभा के लिए निर्वाचित होकर राज्यसभा के उपसभापति रहे। वर्ष 1984 के चुनाव में कांग्रेस ने उन्हें वाराणसी संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया और जीत के बाद तत्कालीन पीएम राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में कृषि राज्य मंत्री बने थे।
टूटा नहीं 'सस्पेंस' का दामन : सपा की ओर से प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भी सपा व कांग्रेस में पदाधिकारियों के एक वर्ग का सस्पेंस से दामन टूटा नहीं है। वे इसे असल चरखा दांव की तैयारी मान कर चल रहे हैं। वास्तव में सपा इस तरह का प्रयोग पिछले विधानसभा चुनाव में कर चुकी है जिसमें अपने पार्टी सदस्य को कांग्रेस के टिकट से लड़ाया था। साथ ही कई स्थानों पर टिकट घोषित कर दबाव की रणनीति भी बनाई थी। ऐसे में माना जा रहा है अगले तीन- चार दिन अभी चौंकाने वाले हो सकते हैं।
पहले ही निकाल चुके : बहरहाल, शालिनी यादव के सपा में शामिल होने और प्रत्याशी घोषित हो जाने के बाद कांग्रेस ने नया खुलासा किया। जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा ने कहा कि शालिनी यादव को 20 अप्रैल को ही पार्टी से निकाला जा चुका है। इसकी जानकारी प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर को दे दी गई थी। हालांकि सपा ने इसे खीझ मिटाने की कवायद करार दिया। महानगर अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने कहा कि यह कैसा निष्कासन जिसे न किसी ने जाना-न सुना।