ओडिशा में केंद्रपारा है नाक की लड़ाई, भाजपा को उम्मीदवार बैजयंत जय पांडा से हैं बड़ी आशाएं

Lok Sabha Election 2019 ओडिशा के चुनावों में केंद्रपारा का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है इसलिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां रैली को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे।

By BabitaEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 09:49 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 09:53 AM (IST)
ओडिशा में केंद्रपारा है नाक की लड़ाई, भाजपा को उम्मीदवार बैजयंत जय पांडा से हैं बड़ी आशाएं
ओडिशा में केंद्रपारा है नाक की लड़ाई, भाजपा को उम्मीदवार बैजयंत जय पांडा से हैं बड़ी आशाएं

केंद्रपारा, नितिन प्रधान। ओडिशा के चुनावों में प्रतिष्ठा की लड़ाई में केंद्रपारा का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण है। ओडिशा में सरकार बनाने और लोकसभा में यहां से अपनी संख्या बढ़ाने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने बीजेडी छोड़कर भाजपा में आए बैजयंत जय पांडा को उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ बीजेडी बीते 21 साल से पार्टी का गढ़ रहे इस संसदीय क्षेत्र को बचाने के लिए फिल्म स्टार और राज्यसभा सदस्य अनुभव मोहंती के सहारे है।

ओडिशा में इस सीट के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां रैली को संबोधित करने के लिए पहुंचे। दरअसल, भाजपा की रणनीति में केंद्रपारा और पांडा दोनों से बड़ी आशाएं हैं। यही कारण है कि पांडा को पार्टी मे आते ही उपाध्यक्ष भी बनाया गया और प्रवक्ता भी और अब उन्हें प्रदेश में पार्टी के बड़े चेहरों में शुमार कर लिया गया है।

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पूरे ओडिशा में केंद्रपारा बीजू जनता दल के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई इसलिए भी है क्योंकि 1998 के बाद से यहां बीजेडी का ही कब्जा रहा है। पांडा के पार्टी छोड़ने और बीजेपी का दामन थामने के बाद यह पहला चुनाव है जहां बीजेडी को अपने पूर्व सांसद  और लोकप्रिय नेता के खिलाफ अपनी सीट बचाने की कशमकश से गुजरना पड़ रहा है।15 लाख मतदाताओं वाली इस संसदीय सीट पर साल 2014 में 74 फीसद मतदान हुआ था। केंद्रपारा में इस बार सीधी लड़ाई बीजेडी और बीजेपी के बीच है। पांडा को बीजेडी उम्मीदवार के तौर पर पिछले चुनाव में 52 फीसद से अधिक वोट पड़ा था। जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस उम्मीदवार थे जिन्हें 34 फीसद मत मिले थे। बीते चुनाव में भाजपा 10 फीसद मतों के साथ तीसरे नंबर पर रही थी। लेकिन इस बार स्थिति उलट है।

पांडा भाजपा में हैं और वह अपनी लोकप्रियता और चुनावी क्षेत्र में मतदाताओं तक अपनी पहुंच की वजह से लाभ की स्थिति में हैं। हालांकि बीजेडी का मानना है कि यह उसका परंपरागत गढ़ है। पार्टी के चुनाव अभियान से जुड़े सुजीत कुमार मानते हैं कि पांडा को पिछले चुनावों में मिला वोट पार्टी का समर्थन था, यह आवश्यक नहीं है कि पांडा को इस बार इतना ही समर्थन मिले।

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पांडा के बारे में माना जाता है कि उन्होंने अपने मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया है। व्यक्तिगत ही नहीं पूरी तरह से व्यवस्थित अपने कार्यालय और कार्यकर्ताओं के जरिए वह अपने क्षेत्र की जनता से जुड़े रहते हैं। पांडा खुद कहते हैं ‘वह औसतन महीने में 10 से 15 दिन अपने क्षेत्र में गुजारते हैं। उनके हर अच्छे बुरे में साथ रहता हूं।’ इस बार उनके साथ भाजपा का समर्थन भी है। बावजूद इसके यह चुनाव तय करेगा कि बीजेडी के उम्मीदवार के तौर पर उन्हें मिले 52 फीसद वोट में उनकी अपनी लोकप्रियता का हिस्सा कितना है। इसे बनाये रखना उनकी सबसे बड़ी चुनौती है। हालांकि पांडा का कहना है कि वे जितने मार्जिन से यहां से जीतते रहे हैं बीजेडी के किसी भी सांसद का उतना मार्जिन कभी नहीं रहा। 

केंद्रपारा में गैस एजेंसी चलाने वाले बीरेन मानते हैं कि पांडा का अपना आधार है। लेकिन फिल्म स्टार होने के नाते मोहंती युवाओं में लोकप्रिय है इसलिए वह पांडा को चुनाव में कड़ी टक्कर देंगे। केंद्र सरकार की उज्‍जवला स्कीम ने भी यहां भाजपा का समर्थन बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी है। जहां तक विधानसभा क्षेत्रों का सवाल है भाजपा के लिए दो राजनीतिक फैसले महत्वपूर्ण साबित हुए हैं। पहला अपने नाराज नेता बिजॉय मोहापात्रा की वापसी जो इस बार फिर पातकुरा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में हैं। दूसरे कांग्रेसी नेता प्रकाश बेहरा का भाजपा में शामिल होना जो सालेपुर विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं और भाजपा ने उन्हें यहीं से अपना उम्मीदवार बनाया है। 

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