महागठबंधन में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कौन?, बसपा का बड़ा बयान
Lok Sabha Elections 2019 अगर एक मंच पर विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आ भी जाते हैं तो अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को हराने के लिए एक साथ चुनावी मैदान में भी उतरेंगे? क्या सभी दल मिलकर चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर पाएंगे?
नई दिल्ली(जेएनएन)। 2019 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2019) में भाजपा और पीएम मोदी के खिलाफ कोलकाता में ममता बनर्जी की महारैली विपक्षी एकजुटता का संकेत तो दे गई। ये नेता एक मंच पर एक साथ तो जरूर आ गए, मगर इनमें से कई ऐसे हैं जो पहले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग जाने का फैसला ले चुके हैं।
अगर एक मंच पर विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आ भी जाते हैं तो अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी को हराने के लिए एक साथ चुनावी मैदान में भी उतरेंगे? क्या सभी दल मिलकर चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार तय कर पाएंगे? जिसके नेतृत्व में एकजुट होकर चुनाव लड़ सके। या यह कहें की यह एकजुटता महज दिखावा है।
इसी के बीच आज प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर बहुजन समाज पार्टी ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। बसपा के प्रवक्ता सुधींद्र भदौरिया ने कहा कि दलित, मुस्लिम, महिलाएं और गरीब, मायावती जी को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहते हैं।
वहीं कांग्रेसी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान रहे हैं, लेकिन पार्टी इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बच रही है। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने आज कहा कि जहां तक पीएम पद का सवाल है, इस पर फैसला चुनाव के बाद होगा, लोकतांत्रिक तरीके का पालन किया जाएगा, हर कोई पीएम पद के लिए योग्य है।
मंच पर साथ-साथ, मगर चुनावी मैदान में अलग
दरअसल, शनिवार को ममता बनर्जी द्वारा आहुत 'संयुक्त भारत रैली' में करीब 20 से 22 दलों के 20 नेता एक मंच पर साथ आए। ये नेता एक मंच पर एक साथ तो जरूर आ गए, मगर इनमें से कई ऐसे हैं जो पहले ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से अलग जाने का फैसला ले चुके हैं। अगर एक मंच पर विपक्षी दलों के नेता एक साथ नजर आ भी जाते हैं तो अब सवाल उठता है कि क्या भाजपा को हराने के लिए एक साथ चुनावी मैदान में भी उतरेंगे? इसका जवाब शायद ज्यादातर ना ही होगा।
क्योंकि हाल ही में उत्तर प्रदेश में मायावती और अखिलेश यादव ने सपा-बसपा के गठबंधन का ऐलान कर इस बात की तस्दीक कर दी कि यूपी में कांग्रेस अकेली हो गई है। यानी यूपी में अब कांग्रेस को भाजपा से तो लड़ना है ही, साथ ही उसे बसपा और सपा से भी लड़ना है। इस तरह से विपक्षी पार्टियों के पास विजन स्पष्ट है कि केंद्र की सत्ता से मोदी सरकार को हराना है, मगर कैसे हटाना है यह तरीका नहीं पता है।
ममता की राह कांग्रेस से अलग
ममता बनर्जी ने भले ही लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता का नेतृत्व शनिवार को कोलकाता में किया।मगर वह मंच पर भले ही कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन चुनावी मैदान में कांग्रेस के साथ नहीं हैं। ममता बनर्जी पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि वह लोकसभा चुनाव में अकेली चुनाव लड़ेंगी। यानी टीएमसी का कांग्रेस से गठबंधन नहीं होगा। इसलिए यहां भी कांग्रेस भाजपा के साथ-साथ टीएमसी से भी लड़ेगी।