लोकसभा चुनाव में इन दस बड़ी ग‍लतियों के चलते पूर्वी यूपी में नाकाम हुईं प्रियंका गांधी

कांग्रेस ने प्रियंका की छवि को इंदिरा गाधी से जोड़कर प्रचारित किया इसके बावजूद प्रियंका गांधी जनता में छाप छोड़ने में असफल रहीं।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 07:00 PM (IST) Updated:Fri, 24 May 2019 04:54 AM (IST)
लोकसभा चुनाव में इन दस बड़ी ग‍लतियों के चलते पूर्वी यूपी में नाकाम हुईं प्रियंका गांधी
लोकसभा चुनाव में इन दस बड़ी ग‍लतियों के चलते पूर्वी यूपी में नाकाम हुईं प्रियंका गांधी

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। प्रियंका गांधी को लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने महत्‍वपूण भूमिका सौंपी थी। उन्‍हें पूर्वी उत्‍तर प्रदेश का महासचिव बनाया गया। कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों के दौरान उन्‍होंने जमकर प्रचार किया। माना जाता है कि प्रियंका गांधी की छवि लोगों के बीच बेहतर है। कांग्रेस ने प्रियंका की छवि को इंदिरा गाधी से जोड़कर प्रचारित किया, इसके बावजूद प्रियंका गांधी जनता में छाप छोड़ने में असफल रहीं। आइये जानते हैं प्रियंका की वह 10 गलतियां जो चुनावों में की। जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा।

1. सिर्फ चुनावों के लिए राजनीति में आना - प्रियंका गांधी के बारे में लोगों की ऐसी छवि है कि वह सिर्फ के लिए राजनीति में आती हैं और पांच साल गुम हो जाती हैं। लोगों ने 2004,2009 और 2014 के चुनावों के दौरान उन्‍हें ऐसा करते देखा है। पिछले चुनावों में वह सिर्फ अमेठी और रायबरेली का प्रचार किया। इस बार उन्‍होंने अपनी भूमिका पूर्वी उत्‍तर प्रदेश पर केंद्रित की।

इसका असर तुलनात्‍मक रूप से सकारात्‍मक रहा। लेकिन सिर्फ चुनावों के लिए राजनीति में आने पर लोगों ने सवाल खड़े किए। अगर लोगों के दिलों में जगह बनानी थी तो उन्‍हें राजनीति में पहले आना चाहिए था। लोगों के मुद्दे पर संघर्ष करना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। पीएम मोदी को लेकर लोगों के बीच ऐसी छवि है कि वह 24 घंटे में 18 घंटे काम करते हैं और लोगों के हित के बारे में सोचते रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ गांधी परिवार के लोग हैं। यही कारण है कि प्रियंका की टाइमिंग को लेकर तरह-तरह से सवाल किए गए।

2. बनारस से चुनाव नहीं लड़ना- प्रियंका के बनारस से चुनाव लड़ने की चर्चाओं को लेकर भी काफी सवाल किए गए। चुनावों के दौरान प्रियंका गांधी ने यह बयान दिया है कि अगर पार्टी चाहेगी तो मैं बनारस से लड़ने के लिए तैयार हूं। अंतत वह बनारस से चुनाव नहीं लड़ी, इसका नकारात्‍मक असर पड़ा। अगर वह वहां से लड़कर हारतीं तो भी लोगों के बीच फाइटर होने का संदेश जाता लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अंतत: बनारस से चुनाव लड़ने का मुद्दा हवा हवाई ही रहा।

3. सिर्फ पूर्वी उत्‍तर प्रदेश पर केंद्रित होना- प्रिंयंका गांधी को गांधी परिवार से जोड़कर देखा जाता है। उन्‍हें जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के परिवार का महत्‍वपूर्ण सदस्‍य माना जाता है। इसलिए उनकी छवि अखिल भारतीय है। जिसका वह बेहतर इस्‍तेमाल कर सकतीं थीं लेकिन उन्‍होंने अपने आप को ज्‍यादातर पूर्वी उत्‍तर प्रदेश तक सिमेटा रखा। यानी कांग्रेस ने प्रियंका का बेतर तरीके से इस्‍तेमाल नहीं किया।

4. अमेठी और रायबरेली में ज्‍यादा ध्‍यान देना- प्रिंयंका गांधी के बारे में माना जाता है कि वह अमेठी में अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के चुनाव प्रचार के लिए आती हैं। इस बार भी उन्‍होंने ऐसा ही किया। उन्‍होंने अपना ज्‍यादातर प्रचार अमेठी और रायबरेली पर केंद्रित रखा। फिर भी वह अमेठी में सफल नहीं हुर्इं। गौरतलब है कि उत्‍तर प्रदेश में लंबे समय से सत्‍ता में नहीं होने के कारण कांग्रेस का अमेठी और रायबरेली में संगठन मृत प्राय हो चुका है। प्रिंयका की सबसे बड़ी जिम्‍मेदारी यही थी कि कांग्रेस के उस मृतप्राय संगठन को खड़ा किया। इसमें वह कुछ हद ही सफल रहीं।

5. कांग्रेस के संगठन पर ध्‍यान नहीं देना- संगठन के बगैर कोई पार्टी लंबे समय तक शासन नहीं कर सकती है। इसके बावजूद कई राज्‍य ऐसे हैं जहां कांग्रेस का पार्टी संगठन मृतप्राय है। कांग्रेस पार्टी संगठन के बजाय कुछ व्‍यक्तियों के सहारे खड़ी है। यही कारण है कि कुछ राज्‍यों में नई पार्टियों के बरक्‍स कांग्रेस को महत्‍व नहीं दिया गया। इसके साथ पार्टी ने यह समझने की कोशिश नहीं की कि कौन सा वर्ग, समुदाय और जाति उसका मतदाता है। देश के अधिकतर राज्‍यों में पुराने नेताओं पर निर्भर है। उनके पास नए नेता नहीं आ रहे हैं। यही कारण है कि 80 की उम्र पार करने के बावजूद पुराने नेताओं को लड़ाने के लिए मजबूर है। यही कारण है कि कांग्रेस अपने पुराने नेताओं को चुनाव लड़ाने पर ज्‍यादा विश्‍वास किया।

6. अमेठी में दिया वोट कटुवा वाला बयान यूपी में हुआ घातक- प्रियंका गांधी का अमेठी में दिया गया भाषण कांग्रेस के लिए घातक सिद्ध हुआ। कांग्रेस महा‍सचिव प्रियंका गांधी ने कहा था कि 2019 में बीजेपी को यहां से हराना, यूपी से हराना हमारा लक्ष्‍य है। भाजपा यूपी में बुरी तरह पीछे जाएगी, बहुत बुरी तरह हारेगी। ये बिलकुल स्पष्ट है कि यहां हमारे उम्मीदवार अच्छा लड़ रहे हैं. जहां उम्मीदवार मजबूत हैं, वहां कांग्रेस जीतेगी। जहां हमारे उम्मीदवार थोड़े हल्के हैं, वहां हमने ऐसे उम्मीदवार दिए हैं, जो भाजपा का वोट काटे। कांग्रेस भाजपा का का वोट काटेगी। इसे लेकर कांग्रेस को उत्‍तर प्रदेश में वोटकटुआ पार्टी के रूप में कहा गया, इसको ज्‍यादातर पार्टियों ने उनकी आलोचना की। बाद में वह अपने बयान से पलट गईं।

7. रॉबर्ट वाड्रा को लेकर जरूरत से ज्‍यादा भावुक होना प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा कई मामलों में आरोपी है। उन पर किसानों की जमीन बहुत कम कीमत से लेने सहित कई आरोप हैं। चुनावों से पहले और उस दौरान ईडी कई घंटे तक रॉबर्ट वाड्रा से पूछताछ कर चुकी है। वह पूछताछ के दौरान रॉबर्ट वाड्रा को छोड़ने जाती थी। प्रियंका गांधी अपने पति रॉबर्ट वाड्रा को लेकर काफी भावुक हैं। वह कई बार दिखा चुकी है। इसे लेकर भाजपा कई बार हमला कर चुकी है। भाजपा के प्रमुख नेता उमा भारती, स्‍मृति ईरानी इसको लेकर उनकी आलोचना कर चुके हैं।

8. पुराने ओल्‍ड गार्ड को जरूरत से ज्‍यादा भरोसा दिखाना- माना जाता है कि कांग्रेस अपने पुराने ओल्‍ड गार्ड पर जरूरत से ज्‍यादा निर्भर है। यही कारण है कि कांग्रेस अपनी नीतियों में भी ज्‍यादा परिवर्तित नहीं कर पाती है। यही कारण है कि यहां युवाओं को जगह नहीं मिलती है। माना जाता है कि पार्टी ने 80 पार कर चुके नेताओं को भी चुनाव लड़ाया। इसका यह भी संदेश गया कि पार्टी में नए नेताओं का अभाव है। यही कारण है कि चुनावों के दौरान कई लोगों ने पार्टी छोड़ दी।

9. कांग्रेस शासित राज्‍यों में पार्टी का फोकस नहीं करना- कांग्रेस ने चुनावों के दौरान कांग्रेस शासित राज्‍यों पर फोकस नहीं किया। यही कारण है कि इन राज्‍यों में भी पार्टी ज्‍यादा सीट पाने में असफल रही। यहां तक कि कांग्रेस शासित राजस्‍थान जैसे राज्‍य में पार्टी एक भी सीट जीत पाने में असफल रही। प्रियंका गांधी ने कांग्रेस शासित राज्‍यों जैसे में चुनाव प्रचार नहीं किया, इसका खामियाजा पार्टी का भुगतना पड़ा।

10. चुनाव प्रचार में पीछे रहना, अपना एजेंडा सेट नहीं कर पाना- चुनाव प्रचार के दौरान प्रि‍यंका गांधी अपना एजेंडा सेट करने में नाकाम रही। उन्‍होंने चुनाव के बार-बार बेरोजगोरी, किसानों की स्थिति आदि का जिक्र किया। वह देश के गरीब लोगों, मध्‍यवर्ग के लिए क्‍या करेंगी, यह समझाने में असफल रही। हालांकि कांग्रेस ने देश में गरीबों के लिए न्‍याय स्‍कीम का बहुत प्रचार किया। इसके देश के पांच करेाड़ सबसे बड़े गरीबों को 72 हजार रुपये प्रति वर्ष देगी।

गरीब लोगों को कांग्रेस समझाने में असफल रही कि इस योजना के तहत कैसे लाभ देगी। इसके बरक्‍श मोदी सरकार की कई योजनाएं जैसे उज्‍जवला योजना, जन धन योजना, किसानों को छह हजार का मुआवजा, सबके लिए मकान, सभी के लिए शौचालय से गरीबों को सीधे लाभ हुआ। यही कारण है कि देश के गरीबों ने कांग्रेस की न्‍याय स्‍कीम के बजाय मोदी सरकार की योजनाओं पर ज्‍यादा विश्‍वास किया। देश के मध्‍यवर्ग के लिए कांग्रेस क्‍या करेगी, इसका कोई ब्‍लूप्रिंट नहीं दिया। यही कारण है कि मध्‍यवर्ग का विश्‍वास जीतने में प्रियंका गांधी असफल रहीं। यही कारण है कि देश के ग्रामीण भारत के साथ ज्‍यादातर शहरों में भाजपा विजयी रही। 

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