Lok Sabha Election: द्वारिकानाथ का नाम ले गोपालकों से संबंध साधते दिखे PM मोदी
Lok Sabha Election प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को बिहार क अररिया में जनसभा को संबांधित किया। इसमें उन्होंने विपक्ष द्वारा की गई कुनबाई घेरेबंदी तोड़ने की कोशिश की।
भागलपुर [संयम कुमार]। अररिया लोकसभा के फारबिसगंज आयोजित विजय संकल्प रैली में शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले देश की सुरक्षा का जज्बा जगाया, फिर विपक्ष द्वारा मतदाताओं के लिए की गई कुनबाई घेरेबंदी को तोड़ने की कोशिश की। इशारे में उन्होंने समझाने की कोशिश की कि जाति विशेष के नाम पर जड़ता देशहित में नहीं।
कहा: द्वारिकानाथ की भूमि से आया हूं
कहा कि मैं द्वारिकानाथ की भूमि से आया हूं। द्वारिकानाथ और गोपालकों के बीच क्या संबंध रहा है, इसे आप सभी जानते हैं। यह विपक्ष के उन राजनीतिक दलों की रणनीति पर प्रहार था, जो एक जाति विशेष के मतदाताओं को घेरकर रखना चाहते हैं। विशेषकर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक उक्ति प्रचलित है- रोम पोप का और मधेपुरा गोप का। इसे हर चुनाव में भुनाने की कोशिश की जाती रही है। विजय संकल्प रैली में चार लोकसभा क्षेत्र के लोगों का जुटान था, जिसमें मधेपुरा भी शामिल रहा।
जाति के नाम ध्रुवीकरण पर पड़ेगा असर
प्रधानमंत्री का यह बयान सिर्फ मधेपुरा ही नहीं, सभी लोकसभा क्षेत्रों में एक जाति विशेष के नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण पर असर डालेगा। मोदी ने आरक्षण पर भी लोगों को भरमाने-डराने पर चोट की। कहा कि वषों से झूठ बोला जा रहा है। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर कहा कि पहले पिता झूठ बोलते थे, अब पुत्र बोल रहे हैं।
कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति की जा रही है। ये लोग दलित, आदिवासी और पिछड़ों का थोड़ा-थोड़ा आरक्षण काटकर उन्हें देने की कोशिश में हैं, जिन्हें अपना वोट बैंक मानते हैं। सच तो यह है कि बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा आरक्षण के किए गए प्रावधानों को कोई हाथ नहीं लगा सकता है। मोदी के संवाद में जाति से ऊपर उठकर विकास की धारा से जुड़ने का साफ संदेश था। बावजूद, यह सतर्कता भी बरती गई कि कहीं कुनबाई ध्रुवीकरण में चुनाव का गुणा-गणित न गड़बड़ा जाए। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले 10 दिनों से मधेपुरा में प्रवास कर राज्य के अन्य हिस्सों में चुनाव प्रचार की मुहिम चला रहे हैं।
इनके बीच है मुकाबला
गौरतलब है कि इस लोकसभा सीट से जदयू के अलग होकर शरद यादव राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने चार बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जबकि, जदयू से दिनेश चंद्र यादव और वर्तमान सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी से चुनाव मैदान में हैं।
कहा: द्वारिकानाथ की भूमि से आया हूं
कहा कि मैं द्वारिकानाथ की भूमि से आया हूं। द्वारिकानाथ और गोपालकों के बीच क्या संबंध रहा है, इसे आप सभी जानते हैं। यह विपक्ष के उन राजनीतिक दलों की रणनीति पर प्रहार था, जो एक जाति विशेष के मतदाताओं को घेरकर रखना चाहते हैं। विशेषकर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र में एक उक्ति प्रचलित है- रोम पोप का और मधेपुरा गोप का। इसे हर चुनाव में भुनाने की कोशिश की जाती रही है। विजय संकल्प रैली में चार लोकसभा क्षेत्र के लोगों का जुटान था, जिसमें मधेपुरा भी शामिल रहा।
जाति के नाम ध्रुवीकरण पर पड़ेगा असर
प्रधानमंत्री का यह बयान सिर्फ मधेपुरा ही नहीं, सभी लोकसभा क्षेत्रों में एक जाति विशेष के नाम पर वोटों के ध्रुवीकरण पर असर डालेगा। मोदी ने आरक्षण पर भी लोगों को भरमाने-डराने पर चोट की। कहा कि वषों से झूठ बोला जा रहा है। लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव का नाम लिए बगैर कहा कि पहले पिता झूठ बोलते थे, अब पुत्र बोल रहे हैं।
कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति की जा रही है। ये लोग दलित, आदिवासी और पिछड़ों का थोड़ा-थोड़ा आरक्षण काटकर उन्हें देने की कोशिश में हैं, जिन्हें अपना वोट बैंक मानते हैं। सच तो यह है कि बाबा भीमराव अंबेडकर द्वारा आरक्षण के किए गए प्रावधानों को कोई हाथ नहीं लगा सकता है। मोदी के संवाद में जाति से ऊपर उठकर विकास की धारा से जुड़ने का साफ संदेश था। बावजूद, यह सतर्कता भी बरती गई कि कहीं कुनबाई ध्रुवीकरण में चुनाव का गुणा-गणित न गड़बड़ा जाए। इसी उद्देश्य से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी पिछले 10 दिनों से मधेपुरा में प्रवास कर राज्य के अन्य हिस्सों में चुनाव प्रचार की मुहिम चला रहे हैं।
इनके बीच है मुकाबला
गौरतलब है कि इस लोकसभा सीट से जदयू के अलग होकर शरद यादव राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने चार बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है। जबकि, जदयू से दिनेश चंद्र यादव और वर्तमान सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी से चुनाव मैदान में हैं।