चुनावी ड्यूटी से गायब होने की फिराक में 850 कर्मचारी, बड़े अधिकारियों से करवा रहे हैं सिफारिश

चुनाव आयोग ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर चुनाव में करीब 11 हजार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। इनमें से कई गायब होने की फिराक में हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 10:48 AM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 10:48 AM (IST)
चुनावी ड्यूटी से गायब होने की फिराक में 850 कर्मचारी, बड़े अधिकारियों से करवा रहे हैं सिफारिश
चुनावी ड्यूटी से गायब होने की फिराक में 850 कर्मचारी, बड़े अधिकारियों से करवा रहे हैं सिफारिश

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। Lok Sabha Election 2019: चुनाव आयोग ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर चुनाव में करीब 11 हजार कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है। इनमें से कई गायब होने की फिराक में हैं। ये कर्मचारी चुनावी ड्यूटी नहीं करना चाहते हैं। यही वजह है कि पिछले हफ्ते जिला निर्वाचन कार्यालय की ओर से आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में करीब 850 कर्मचारी गैरहाजिर रहे।

इनमें कई कर्मचारियों की तरफ से निर्वाचन कार्यालय में चुनावी ड्यूटी न लगाने की सिफारिश आने लगी है, लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी शशि कौशल ने इसे गंभीरता से लिया है। उन्होंने गैरहाजिर रहे सभी कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। अब अगर ये कर्मचारी नोटिस का जवाब के साथ 23 अप्रैल को होने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम में नहीं पहुंचे तो इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी।

उत्तर-पूर्वी जिले के अतिरिक्त जिलाधिकारी एमके द्विवेदी ने इसकी पुष्टि की है। निर्वाचन कार्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, एक पोलिंग बूथ पर एक पीठासीन अधिकारी के साथ तीन अधिकारी लगाए जाते हैं। इसके अलावा अन्य जगहों पर भी ड्यूटी लगाई जाती है।

इस साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट पर करीब 2250 पोलिंग बूथ हैं। इसके लिए 11 हजार सरकारी कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी पर लगाया गया है। इन सभी को प्रशिक्षण देने के लिए पिछले हफ्ते तीन दिवसीय शिविर भी लगाया गया, जिसमें 850 कर्मचारी नहीं पहुंचे।

ये कर्मचारी चुनाव में ड्यूटी नहीं करना चाहते हैं। इतनी संख्या में अगर कर्मचारी यदि ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो चुनाव कराना मुश्किल हो जाएगा। इस वजह से निर्वाचन अधिकारी ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। उन्होंने इन सभी को नोटिस जारी कर प्रशिक्षण कार्यक्रम से अनुपस्थित रहने का कारण पूछा है। साथ ही 23 अप्रैल को हर हाल में पहुंचने का आदेश दिया है।

अधिकारियों की मानें तो चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाने के लिए बड़े-बड़े अधिकारियों की तरफ से पैरवी कराई जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि पुरुषों के मुकाबले महिला कर्मचारी ज्यादा अनुपस्थित रहीं। पोलिंग बूथों पर महिला पोलिंग अधिकारी भी जरूरी हैं। ऐसे में डर यह है कि कहीं इनकी संख्या कम न हो जाए।

अधिकारी के मुताबिक सभी कर्मचारियों की उपलब्धता सुनिश्चित होने के बाद पोलिंग पार्टी बनाई जाती है। यानी इन सभी को टीम में बांट दिया जाता है। फिलहाल जो स्थिति है, उसमें टीम बनाने में भी दिक्कत आ रही है। इस वजह से निर्वाचन अधिकारी ने सख्त रुख अपनाया है। दरअसल चुनाव में ड्यूटी पूरे दिन की लगती है, लेकिन उस अनुपात में कर्मचारियों को भुगतान नहीं मिलता।

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