तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में इन दिग्‍गजों की प्रतिष्‍ठा लगी दांव पर, जानें कौन कहां से प्रत्‍याशी

लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान में कई दिग्‍गजों की किस्‍मत का फैसला ईवीएम में बंद हो जाएगा। आइए डालें इन दिग्‍गजों पर एक नजर।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Mon, 22 Apr 2019 04:16 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2019 09:10 AM (IST)
तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में इन दिग्‍गजों की प्रतिष्‍ठा लगी दांव पर, जानें कौन कहां से प्रत्‍याशी
तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव में इन दिग्‍गजों की प्रतिष्‍ठा लगी दांव पर, जानें कौन कहां से प्रत्‍याशी

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल। 17वीं लोकसभा के लिए मंगलवार को तीसरे चरण का मतदान हो रहा है। इसमें कई दिग्‍गज नेताओं की किस्‍मत ईवीएम के जरिए बंद हो जाएगी। तीसरे चरण में कांग्रेस के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राहुल गांधी, भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष  अमित शाह, समेत कई अन्‍य दिग्‍गजों पर जनता फैसला करेगी। आइए जानते हैं इन दिग्‍गजों और इनकी सीटों के बारे में :- 

राहुल गांधी
कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी वर्ष 2004 से ही अमेठी लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्‍व करते आ रहे हैं। हालांकि इस बार वह अमे‍ठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी मैदान में उतरे हैं। जहां तक अमेठी की बात है तो यह कांग्रेस का गढ़ और पारंपरिक सीट मानी जाती रही है। यहां से 1980 में संजय गांधी, 1981-1991 तक राजीव गांधी, 1999- 2004 तक सोनिया गांधी सांसद चुनी जाती रही हैं। राहुल गांधी 2004 में सक्रिय राजनीति में उतरे थे। 2007 में उन्‍हें पार्टी में महासचिव बनाया गया और 16 दिसंबर 2017 को उन्‍हें पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया। मध्‍य प्रदेश, छत्‍तीसगढ़ और राजस्‍थान के विधानसभा चुनाव में मिली जीत का श्रेय राहुल गांधी को ही दिया जाता है।

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अमित शाह
भाजपा की रणनीति में चाणक्‍य की भूमिका निभाने वाले अमित शाह पीएम मोदी के काफी करीब माने जाते हैं नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार में वह मंत्री भी रह चुके हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्‍हें उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था जहां पर पार्टी ने 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस अभूतपूर्व सफलता को देखते हुए ही उन्‍हें 2014 में पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया था। उन्‍होंने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 1983 में एबीवीपी के जरिए की थी। इसके बाद 1986 में उन्‍होंने भाजपा की सदस्‍यता ली। 1991 के लोकसभा चुनाव में वह लाल कृष्‍ण आडवाणी के चुनाव प्रभारी थे। पार्टी को गुजरात में जमीनी मजबूती देने में भी शाह की बड़ी भूमिका रही है। शाह की सबसे बड़ी खास बात यही है कि वह अपने राजनीतिक जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं हारे हैं। शाह पहली बार लोकसभा चुनाव में खड़े हुए हैं और गांधीनगर सीट से किस्‍मत आजमा रहे हैं।

मुलायम सिंह
मुलायम सिंह तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं, जबकि उनकी समाजवादी पार्टी ने सूबे में चार बार अपनी सरकार बनाई है। मुलायम कभी टीचर हुआ करते थे। 1998 में उन्‍होंने जसवंत नगर से अपना राजनीतिक करियर शुरू किया। 1967 में वह पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और राज्‍य में मंत्री भी बने। 1992 में उन्‍होंने समाजवादी पार्टी की नींव रखी। वर्तमान में मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक हैं और यूपी की मैनपुरी सीट से पार्टी प्रत्‍याशी भी हैं। 1996 में मुलायम सिंह यादव पहली बार ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे। वह केंद्र में रक्षा मंत्री की भी भूमिका अदा कर चुके हैं। इतना ही नहीं उनका नाम प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार के रूप में भी सामने आ चुका है।

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शशि थरूर
थरूर 2009 से केरल के थिरुवनंतपुरम से लोक सभा सांसद हैं। वह केंद्र में अहम भूमिकाओं में रह चुके हैं। राजनीति में आने से पहले वह 2007 संयुक्त राष्ट्र में कार्यरत थे। यहां पर उन्‍होंने दो दशक तक सेवा दी है। 2006 में संयुक्‍त राष्‍ट्र का महासिचव बनने की दौड़ में वह दूसरे नंबर पर रहे थे, जिसके बाद वह राजनीति में आ गए। थरूर राजनीतिज्ञ के अलावा लेखक भी हैं।

संतोष कुमार गंगवार
लगातार 6 बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले संतोष गंगवार 1996 में उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई के महासचिव बनाए गए थे। गंगवार ने अपना पहला चुनाव सन 1981 मे बरेली से भाजपा के टिकट पर लड़ा था जिसमें उनकी हार हुई थी। 1984 के आम चुनाव में भी उन्‍हें हार का मुंह देखना पड़ा था। इसके बाद 1989 में उन्‍होंने बरेली से जीत हासिल की। वह यहां से लगातार 2009 तक सांसद रहे। 2009 में उन्‍हें कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन के हाथों हार झेलनी पड़ी थी।

वरुण गांधी 
फिरोज वरुण गांधी वर्तमान पीलीभीत से सांसद हैं। इसके अलावा वह भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पार्टी के इतिहास में सबसे युवा राष्ट्रीय महासचिव हैं। वरुण की पहचान काबिल और युवा सांसद के तौर पर की जाती है, जो कई मुद्दों पर अपनी बेबाक टिप्‍पणी करने से गुरेज नहीं करते हैं। जब उनके पिता संजय गांधी की विमान हादसे में मृत्‍यु हुई थी तब वह महज तीन माह के थे। 1999 में पहली बार मेनका गांधी ने पीलीभीत के लोगों से वरूण का परिचय करवाया था। 2004 में वह भाजपा में शामिल हुए थे। 2009 में पार्टी ने उन्‍हें पीलीभीत से टिकट दिया था। 

महबूबा मुफ्ती 
महबूबा मुफ्ती जम्मू कश्मीर की 13वीं और राज्य की प्रथम महिला मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। उन्‍होने भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई थी, लेकिन बाद में मनमुटाव होने के बाद भाजपा ने उनकी सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। वर्तमान में वे अनंतनाग से लोकसभा सांसद है। साथ ही जम्मू और कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष भी हैं। 

शरद यादव
शरद यादव जनता दल (यूनाइटेड) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्‍होंने बिहार के मधेपुरा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का चार बार प्रतिनिधित्व किया है। वर्तमान में वे राज्य सभा सांसद हैं। कभी वह बिहार के सीएम नीतिश कुमार का करीबी कहा जाता था, लेकिन बाद में दोनों में मतभेद पैदा हो गए। उन्‍होंने 1974 से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। इसके बाद से वह कई बार सांसद और केंद्र में मंत्री की भूमिका भी निभा चुके हैं। 

संबित पात्रा
डॉ संबित पात्रा पेशे से शल्यचिकित्सक हैं। उनकी पहचान बेहद शांत और मंझे हुए प्रवक्‍ता के में की जाती है। 2006 में इन्होने एक 'स्वराज' नाम से एक एनजीओ स्थापित किया, जिसका उद्देश्य पिछड़े समुदाय की  सहायता करना था। इन्होने 2002 में एससीबी मेडिकल कोलेज कटक, उत्कल विश्वविद्यालय से जनरल सर्जरी में मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) किया है। पात्रा भाजपा की केंद्रीय समिति में ओडिशा राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।

पप्पू यादव
राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पहली बार लोक सभा चुनाव 1991 में जीता, उसके बाद 1996, 1999 और 2004 में भी अलग अलग चुनाव क्षेत्रों से एसपी, एलजेपी और आरजेडी पार्टी से चुनाव जीते। यही नहीं पप्पू यादव 2015 के बेस्ट परफॉर्मिंग सासंद भी रहे हैं।

अभिजीत मुखर्जी
अभिजीत मुखर्जी एक भारतीय राजनेता है। वे वर्तमान में पश्चिम बंगाल के जंगीपुर लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद है। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता है। उन्‍होंने 2012 में भी इसी सीट सीपीआई-एम के प्रत्‍याशी को हराकर चुनाव जीता था। वह पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पुत्र भी हैं।  

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