जयाप्रदा की जबरदस्त घेरेबंदी से कठिन हुई आजम की राह

चुनावी जंग का विजेता कौन होगा यह अनुमान लगाना आसान नहीं है लेकिन जयाप्रदा की घेरेबंदी ने आजम की बेचैनी बढा दी है।

By Narendra KumarEdited By: Publish:Sun, 21 Apr 2019 02:09 PM (IST) Updated:Sun, 21 Apr 2019 02:09 PM (IST)
जयाप्रदा की जबरदस्त घेरेबंदी से कठिन हुई आजम की राह
जयाप्रदा की जबरदस्त घेरेबंदी से कठिन हुई आजम की राह

रामपुर(संजय मिश्र)। लोकसभा की रामपुर सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां और फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा आमने-सामने हैं। सपा के टिकट पर दो बार सांसद रह चुकीं जयाप्रदा भाजपा की उम्मीपदवार हैं। आजम से उनके रिश्ते काफी तल्ख हैं। राज्यसभा सदस्य अमर सिंह यहां जयाप्रदा के समर्थन में डेरा डाले हैं। उनके आने से रामपुर की सियासत गरमा गई है। आजम-अमर की अदावत जगजाहिर है। अमर सिंह जनसभाएं कर उन पर निशाना साध रहे हैं। इस चुनावी जंग का विजेता कौन होगा यह अनुमान लगाना आसान नहीं है लेकिन, जयाप्रदा की घेरेबंदी ने आजम की बेचैनी बढा दी है।

अपने विवादित बयानों के कारण आजम ही यहां सबसे बडा चुनावी मुद़दा हैं। विरोधी उन्हें हर मंच पर घेरते हैं। चार दिन पूर्व आजम ने जयाप्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इस पर देश भर में उनकी आलोचना हुई। शिकायत चुनाव आयोग तक पहुंची। उनकी टिप्पणी को महिला सम्मान के खिलाफ बताते हुए भाजपा ने इसे बडा मुद़दा बना दिया है। अमर व जयाप्रदा हर जनसभा में आजम पर बेहद तीखे हमले बोल रहे हैं। आजम के खिलाफ उनकी टिप्पणियों पर खूब तालियां बजती हैं। दोनों ओर से कोई भी हमले का एक भी मौका नहीं छोडना चाहता। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुरादाबाद की जनसभा में बिना नाम लिए आजम को दलित विरोधी ठहराया था। उन्होंने कहा था कि बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर को भूमाफिया बताने वाले नेता का प्रचार मायावती कैसे करेंगी। शनिवार को बसपा सुप्रीमो मायावती एवं सपा अध्यनक्ष अखिलेश यादव ने रामपुर में संयुक्त रैली कर आजम के लिए वोट मांगा। उन्हें विकास कराने वाला नेता बताया। दोनों ने मोदी-योगी की सरकार को निशाने पर रखा। प्रचार के अंतिम दिन रविवार को जयाप्रदा के समर्थन में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जनसभा करेंगे। जाहिर है उनके निशाने पर आजम खां ही होंगे।

चुनाव के दौरान आजम पर दर्ज हुए दस मुकदमे

अपने विवादास्पद बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले आजम खां नामांकन कराने के बाद से कई बार आपत्तिजनक टिप्प णी कर चुके हैं। उनके खिलाफ विभिन्न थानों में दस मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। उनमें आठ मुकदमें तो आपत्तिजनक टिप्पणी के ही हैं। चुनाव आयोग न सिर्फ उन्हे नोटिस जारी कर चुका है बल्कि उनके प्रचार करने पर 72 घंटे की पाबंदी भी लगा चुका है। शुक्रवार को ही पाबंदी की अवधि समाप्त हुई है।

आजम के खिलाफ बोलते हुए चुकी हैं जयाप्रदा

आजम पहली बार लोकसभा का चुनाव चुनाव लड़ रहे हैं। उनके समर्थक जिताने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं तो विरोधी हराने के लिए एकजुट हो रहे हैं। जयाप्रदा उन्हें कड़ी टक्कर दे रही हैं। वे सांसद रहते अपने साथ आजम द्वारा किए गए कथित दुव्र्यहार को मुद़दा बना रही हैं। अपने उत्पीाडन के जुडे प्रसंग सुनाते तीन बार मंच पर ही रो चुकी हैं। बदला के रूप में वह आजम पर अपनी जीत मांगती हैं। उनका यह भावुक अंदाज जनता को लुभा रहा है।

नवाब खानदान के निशाने पर भी आजम

चुनावी राजनीति से पहली बार दूर हुआ नवाब खानदान भी आजम को ही मुद़दा बना रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी के साथ वह भी पूरे दमखम से लगा है। इस खानदान के लोग नौ बार रामपुर से सांसद रह चुके हैं। लोकसभा के पहले चुनाव को छोड़ बाकी सभी चुनावों में नवाब खानदान के लोग ही कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे हैं। कांग्रेस ने पहली बार राष्ट्रीय सचिव संजय कपूर के रूप में यहां हिंदू प्रत्याशी मैदान में उतारा है। वह दो बार विधायक रह चुके हैं। ज्यादातर आजम विरोधी नेता एकजुट हो रहे हैं। कुछ तो बसपा व रालोद छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश महासचिव पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए आसिम खां कहते हैं कि आजम खां ने मंत्री रहते रामपुर के अनेक बेकसूर लोगों को जेल भिजवाया। उनका समर्थन कैसे कर सकते। इसलिए उनका साथ नहीं दे सकते। पूर्व विधायक अफरोज अली खां का कहना है कि आजम खां ने सपा सरकार में मंत्री रहते तानाशाह की तरह काम किया। जनता इसकी सजा देगी। आजम समर्थक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मशकूर अहमद मुन्ना और नगर पालिका अध्यक्ष के पति अजहर खां कहते हैं कि आजम खां ने मंत्री रहते रामपुर को विकास के मामले में मिसाल बना दिया। इसलिए वह रामपुर की पसंद हैं।

आजम भी फूटफूटकर रोये

शुक्रवार को आजम के प्रचार पर लगी 72 घंटे की पाबंदी हटी । उसी रात रुपये बांटने की शिकायत के आधार पर प्रशासन ने आजम के विधायक बेटे अब्दुल्ला के मित्र जिया के घर पर छापेमारी कर दी। इस कार्रवाई ने आजम को सकते में डाल दिया। वह इस कदर दुखी हुए कि देर शाम हुई जनसभा में प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए फूट फूटकर रोये। रामपुर की सियासत में आजम पहली बार इस तरह रोये।

रामपुर में सपा के तीन विधायक

सियासी समीकरण पर गौर करें तो रामपुर संसदीय क्षेत्र के पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर सपा के विधायक हैं। शहर से खुद आजम खां नौवीं बार विधायक बने हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार -टांडा सीट से विधायक हैं। आजम के दोस्त नसीर अहमद खां भी चमरौआ सीट से विधायक है। दो सीटों पर भाजपा का कब्जा है। भाजपा इस समीकरण में भी आजम की जबरदस्तस घेरेबंदी कर रही है। आजम विरोधी मतों को जोडने के लिए पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है।

पहली बार कांग्रेस का हिंदू प्रत्याशी

रामपुर सीट पर मुस्लिम आबादी सबसे अधिक है। यहां सांसद और विधायक भी ज्यादातर मुस्लिम ही रहे हैं। मौलाना अबुल कलाम यहां के पहले सांसद चुने गए। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी पहले ऐसे मुसलमान हैं जो भाजपा के टिकट पर सबसे पहले यहां से लोकसभा सदस्य बने। उनसे पहले देश में कोई मुसलमान भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव नहीं जीता था। रामपुर का नवाब खानदान भी सियासत में बुलंदी पर रहा है। इस परिवार के सदस्य नौ बार सांसद चुने गए हैं। बेगम नूर बानो दो बार सांसद रही हैं, जबकि उनके पति जुल्फिकार अली कां उर्फ मिक्की मियां पांच बार सांसद चुने गए।

लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजे

प्रत्याशी पार्टी प्राप्त मत

1-डा. नैपाल सिंह भाजपा 358616

2-नसीर अहमद खां सपा 335181

3-नवाब काजिम अली खां कांग्रेस 15646

chat bot
आपका साथी