Loksabha Election 2019 : मुसलमान हमारे वोट नहीं इंसान हैं, भारत माता की संतान हैं
लोकसभा चुनाव 2019 में अब दो खेमा खुलकर सामने आ गया है। एक ओर पीएम मोदी हैं तो दूसरी ओर अन्य। ऐसे में धर्म और जातिगत कार्ड का भी खेल जोरों पर है।
वाराणसी [अशोक सिंह] । 'कुछ राजनीतिक दलों द्वारा मुस्लिम समुदाय से भाजपा के खिलाफ मतदान करने की सलाह दी जा रही है। मुस्लिम मतदाताओं को अपना मत सकारात्मक तरीके से देना चाहिए। भाजपा को हराना ही एक मात्र उद्देश्य किसी समुदाय के मतदान का आधार नहीं होना चाहिए। मुस्लिम मत नहीं मिलने पर भी भाजपा जीतेगी। इस कारण नकारात्मक मतदान बेमानी है। हम चाहते हैं कि मुसलमान भाजपा को वोट दें। वे अपने विवेक का प्रयोग करें और सोचें कि क्या उनके साथ भाजपा ने कोई भेदभाव किया है। मुसलमान हमारे लिए वोट नहीं इंसान हैं, भारत माता की संतान हैं। -अटल बिहारी वाजपेयी
लोकसभा चुनाव 2019 में अब दो खेमा खुलकर सामने आ गया है। एक ओर पीएम मोदी हैं तो दूसरी ओर अन्य। ऐसे में धर्म और जातिगत कार्ड का भी खेल जोरों पर है। यह खेल हर चुनाव में होता है। बयानबाजी भी खुलकर होने लगी है। हालात इस कदर बिगड़ गए कि चुनाव आयोग को कार्रवाई तक करनी पड़ जा रही है। आयोग ने बसपा सुप्रीमो मायावती और भाजपा नेता मेनका गांधी पर 48 घंटे सभा करने पर रोक लगा दी तो वहीं कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को नोटिस जारी किया है।
आज की ही तरह परिस्थितियां देश में 2002 में भी थीं। केंद्र में भाजपा की अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली व उत्तर प्रदेश में राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली सरकार थी। फर्क इतना था कि तब विधानसभा का चुनाव था और अब लोकसभा चुनाव है। उस समय भी मुसलमानों को भाजपा से चेताने और वोट नहीं करने की बात की जाती थी। इसे मुसलमानों में सबसे उदार भाजपा नेता और तीसरी बार प्रधानमंत्री रहते अटल बिहारी वाजपेयी ने भी महसूस किया था। उन्होंने वाराणसी की धरती पर ही बहुत ही सधे शब्दों में इसे व्यक्त किया था। जिस पर भाजपा का डर दिखाने वालों ने देश भर में बवाल खड़ा कर दिया था।
अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण के कायल सेवानिवृत्त राजेंद्र प्रसाद सिंह आस-पास की उनकी सभी सभा में पहुंचते थे। वह बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2002 में भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में सभा करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी टाउनहाल के मैदान में पहुंचे थे। अटल जी को सुनने के लिए पूरा मैदान खचाखच भरा हुआ था। टाउनहाल की सभा में बहुत से मुसलमान टोपी से अपनी उपस्थित दर्शा रहे थे। अटल जी जब अपने रौ में आए तो मुसलमानों के समर्थन के विषय पर बोलते हुए कहा कि कुछ राजनीतिक दल मुसलमानों को यह समझा रहे हैं कि भाजपा को वोट मत दो क्योंकि भाजपा मुसलमान विरोधी है। राजेंद्र बताते हैं कि सभा के बाद अटल जी के बयान पर किसी को कोई आपत्ति नहीं हुई। शहर के सभी प्रतिष्ठित अखबारों ने इसे सामान्य बयान के रूप में लिया।
यहां तक कि तिल का ताड़ बना देने वाली इलेक्ट्रानिक मीडिया ने भी पूरे बयान को गंभीरता से नहीं लिया। एक मात्र अखबार ने पूरी बात में से ''मुसलमान हमें मत न दें तो भी हम जीतेंगे'' को हेडिंग के रूप में प्रथम पेज पर प्रकाशित किया। इसके बाद तो पूरे देश में अगले दिन बवाल खड़ा हो गया। वाजपेयी का फैन होने की वजह से राजेंद्र को सब कुछ पूरी तरह से याद है। बताते हैं कि वाजपेयी के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह जैसे लोग सामने आ गए। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने तो राष्ट्रपति से प्रधानमंत्री वाजपेयी का इस्तीफा तक मांग लिया। एक मुस्लिम धर्म गुरु ने तो इसे मुसलमानों को धमकी देना बताया। कहा कि यह मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की साजिश है। हिंदू अब इस साजिश को खुलकर मूर्त रूप देने लगे हैं। कुछ संगठनों ने कहा कि यह हिंदुओं के मतों को एक जुट करने के लिए साजिश के तहत दिया गया बयान है।
इस्लामिक सेंटर के मौलाना ने तो यहां तक कहा कि अटल ने साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए सोच समझ कर इस प्रकार का बयान दिया है। राजेंद्र कहते हैं कि वाजपेयी ने जो शब्द कहे उनका आशय कुछ भी गलत नहीं था। वाजपेयी के पूरे बयान को समग्र रूप से देखना चाहिए। विपक्षी मात्र इसलिए घबरा गए थे क्योंकि मुसलमान वाजपेयी को भाजपा में सबसे उदार नेता मानते रहे हैं। कहीं सच में मुसलमान आत्मचिंतन कर भाजपा को न वोट कर दें। इसलिए वाजपेयी पर हमला कर मुसलमानों को बरगलाने का प्रयास किया गया। इसका प्रमाण यह है कि बवाल मचने के बाद मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के एक मौलाना ने कहा कि अटल जी तो दिल से चाहते हैं कि मुसलमान उनके साथ आएं।