Loksabha Election 2019 : शिवपाल से भंग हो रहा मोह, भाजपा का दामन थाम सकते हैं शिव कुमार बेरिया

सोशल मीडिया पर कन्नौज से भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक के साथ तस्वीर वायरल प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने की चर्चा।

By AbhishekEdited By: Publish:Fri, 26 Apr 2019 10:47 AM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 10:47 AM (IST)
Loksabha Election 2019 : शिवपाल से भंग हो रहा मोह, भाजपा का दामन थाम सकते हैं शिव कुमार बेरिया
Loksabha Election 2019 : शिवपाल से भंग हो रहा मोह, भाजपा का दामन थाम सकते हैं शिव कुमार बेरिया

कानपुर, जेएनएन। समाजवादी पार्टी छोड़कर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) में पहुंचे पूर्व मंत्री शिवकुमार बेरिया का यहां से भी मोहभंग होता दिख रहा है। पांच बार के विधायक रहे बेरिया अब भाजपा में जा सकते हैैं। चर्चा है कि वह 27 अप्रैल को कन्नौज में प्रधानमंत्री मोदी की रैली के दौरान भाजपा का दामन थाम सकते हैं।

पूर्व मंत्री के भाजपा में जाने के कयास को हवा मिली कन्नौज से भाजपा उम्मीदवार सुब्रत पाठक के साथ उनकी एक तस्वीर वायरल होने से। चर्चा है कि बेरिया जिन उम्मीदों के साथ प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) में शामिल हुए थे, वो अब पूरी होती नहीं दिख रही हैैं। कारण यह भी है कि खुद प्रसपा मुखिया शिवपाल यादव ही अब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रति नरम रुख रखे हुए हैैं। उन्होंने डिंपल यादव के खिलाफ कन्नौज से प्रत्याशी तो घोषित किया लेकिन उसे नामांकन नहीं करने दिया।

इस घटनाक्रम के बाद बेरिया को यहां अपना सियासी भविष्य ठीक नहीं दिख रहा है। यही सोचकर वह सुब्रत पाठक से मिले हैैं। हालांकि, बेरिया समर्थकों का कहना है कि वायरल हुई फोटो तब की है, जब पूर्व मंत्री की बैठक के दौरान सुब्रत वोट मांगते हुए आ पहुंचे। समर्थकों का दावा है कि बेरिया 26 को रमईपुर में होने जा रही शिवपाल यादव की सभा में शामिल होंगे। हालांकि, बेरिया खुद भाजपा में जाने के सवाल पर पत्ते नहीं खोल रहे हैैं।

लोहिया की विचारधारा को मानने वाले बेरिया पहली बार 1989 में जनता दल के टिकट पर सीसामऊ से विधायक चुने गए थे। जनता दल से विघटन के बाद सपा का गठन हुआ तो यहां आए और 1991, 1993 व 2002 में बिल्हौर और 2012 में रसूलाबाद सीट से विधायक चुने गए। 2017 में फिर बिल्हौर सीट से चुनाव लड़े, पर जीत नहीं पाए। चार माह पूर्व सपा से निष्कासित किए गए तो शिवपाल यादव की पार्टी में पहुंच गए।  

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