Lok Sabha Election 2019 : बीता भोंपू और नगाड़ा का दौर, अब हाईटेक हुआ चुनाव

पहले के दौर में लोक सभा और विधान सभा चुनाव में लोगों की भीड़ जुटाने के लिए भोंपू और नगाड़े का प्रयोग होता था। अब चुनाव प्रचार हाईटेक हो गया है। आईटी सेल तक चल रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 23 Apr 2019 07:46 PM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 10:26 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019 :  बीता भोंपू और नगाड़ा का दौर, अब हाईटेक हुआ चुनाव
Lok Sabha Election 2019 : बीता भोंपू और नगाड़ा का दौर, अब हाईटेक हुआ चुनाव

प्रयागराज : वह जमाना और था। चुनाव प्रचार का तरीका बेहद वर्तमान की अपेक्षा अलग था। उस समय चाहे लोक सभा का चुनाव हो अथवा विधान सभा का, प्रचार और प्रसार के लिए पुराने तरीके अपनाए जाते थे। चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों की सभाओं में भीड़ जुटाने और प्रत्याशी के प्रचार के लिए भोंपू, नगाड़े, घंटे आदि बजते थे। समय के साथ प्रचार के तरीके बदले। यह बदलाव 2004 से शुरू हुआ। अब स्थिति यह है कि राजनीति पार्टियां आईटी सेल तक चला रही हैैं। वर्तमान में लोकसभा हो अथवा विधानसभा के चुनाव, सब हाईटेक हो चले हैं। 

 1957 तक के चुनावी सभाओं में भीड़ जुटाना आसान नहीं होता था
आजादी के बाद 1951-52 में देश में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए। तब प्रचार-प्रसार के माध्यम बेहद सीमित थे। चुनावी सभाओं में भीड़ जुटाना आसान नहीं होता था। मनोरंजन के साधन भी कम थे, सो राजनीति पार्टियों के कार्यकर्ता और प्रत्याशियों के समर्थक भीड़ जुटाने के लिए भोंपू, नगाड़े, घंटे आदि का सहारा लेते थे। मांगलिक कार्यक्रमों में उस दौरान इस तरह के वाद्य यंत्रों का ही प्रचलन था, इसलिए चुनाव में इसका इस्तेमाल कर भीड़ जुटाई जाती थी। यह तरीका 1957 तक के चुनाव में अपनाया गया।

1962 से 1973 तक चुनाव प्रचार के तरीकों में आई कुछ तब्दीली 

प्रचार के तरीकों में 1962 से 1973 के बीच कुछ बदलाव आया। राजनीतिक पार्टियां ग्रामीण इलाकों में भीड़ जुटाने के लिए बिरहा आदि गायन कराने लगीं। शहर में लाउडस्पीकर के जरिए उस दौर के प्रसिद्ध फिल्मी गीत बजाए जाने लगे। 

1977 के चुनाव में रोड शो की परंपरा शुरू हुई, ग्लैमर दिखने लगा

वर्ष 1977 के चुनाव में रोड शो की परंपरा शुरू हुई। इसमें फिल्मी सितारों का आगमन होने लगा। उनके ग्लैमर से भीड़ जुटने लगी। समाजवादी नेता केके श्रीवास्तव बताते हैं कि 1977 में इलाहाबाद संसदीय सीट से जनता पार्टी से जनेश्वर मिश्र प्रत्याशी थे। इमरजेंसी में लंबे समय तक जेल में रहने के बाद लौटे जनेश्वर को हर कोई देखना चाहता था। ऐसे में पार्टी की ओर से निर्णय लिया गया कि एक बस की छत पर मंच बनाकर जनेश्वर को उस पर बिठाया जाए और यह बस पूरे शहर में घूमे। हुआ भी यही। जनेश्वर का यह रोड शो जिस भी सड़क से निकला, उन्हें देखने के लिए जबरदस्त भीड़ जुटी। 

और 2004 से चुनाव हुआ हाईटेक

वर्ष 2004 में चुनाव पूरी तरह हाइटेक हो गया। विभिन्न टीवी चैनलों से लेकर समाचार पत्रों तक में प्रत्याशियों के विज्ञापन प्रकाशित होने लगे। 

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