भले ही सपा का गढ़ रहा हो आजमगढ़, लेकिन यहां की जनता ने हर पार्टी को आजमाया है

इस बार अखिलेश के सामने भाजपा उम्मीदवार के रूप में भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ होंगे। आजमगढ़ से वह 20 अप्रैल को नामांकन करेंगे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 09:09 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 01:34 PM (IST)
भले ही सपा का गढ़ रहा हो आजमगढ़, लेकिन यहां की जनता ने हर पार्टी को आजमाया है
भले ही सपा का गढ़ रहा हो आजमगढ़, लेकिन यहां की जनता ने हर पार्टी को आजमाया है

विकास ओझा, आजमगढ़। प्रतिष्ठापरक आजमगढ़ (सदर) संसदीय सीट से पिता मुलायम सिंह यादव की विरासत को संभालते हुए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को पर्चा दाखिल कर दिया। नामांकन से पहले ही उन्होंने आजमगढ़ को लेकर यह बात कही थी कि अगर वहां की जनता चाहेगी तो चुनाव लड़ेंगे। वैसे भी समाजवादियों का दूसरा घर आजमगढ़ ही है। दूसरी तरफ 2014 लोकसभा चुनाव से पूर्व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी यहां से चुनाव लड़ने से पहले कहा था कि इटावा दिल है तो आजमगढ़ मेरी धड़कन है। मुलायम सिंह यादव को इस सीट पर जीत मिली। हालांकि बड़ी जीत नहीं। अंतर महज 63 हजार वोट का ही रहा। भाजपा के रमाकांत यादव ने सपा के पसीने छुड़ा दिए थे।

इस बार अखिलेश के सामने भाजपा उम्मीदवार के रूप में भोजपुरी सिनेस्टार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ होंगे। आजमगढ़ से वह 20 अप्रैल को नामांकन करेंगे। रोड शो व जनसभा के माध्यम से वह कई बार आजमगढ़ से अपने बचपन से रिश्ते की बात कह चुके हैं। उन्होंने यहां तक कहा है कि जीत मिली तो यहीं घर बनाकर बस जाऊंगा।

ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election 2019 : हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के चक्रव्यूह में फंसी भोपाल की लड़ाई

बहरहाल, रिश्ते की चाशनी में सियासत डूबी हुई है। जनता किसको आजमाएगी, यह तो वक्त बताएगा। बहरहाल, आजमगढ़ भले सपा का गढ़ है पर समय-समय पर सभी पार्टियों को यहां के लोगों ने आजमाया। इस सीट का महत्व इसी से समझा जा सकता है कि यहां से चुने गए प्रतिनिधियों ने केंद्र की राजनीति में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। हालांकि शुरुआती लोकसभा चुनावों के दौरान यह सीट कांग्रेसियों के गढ़ के रूप में मानी जाती थी लेकिन एक समय ऐसा भी आया कि इसने बारी-बारी सबको आजमाया।

इस सीट से छह बार कांग्रेस, चार बार बसपा, तीन बार सपा और एक बार भाजपा के अलावा जनता पार्टी, जनता एस के उम्मीदवार चुने गए। इस हाई प्रोफाइल सीट से कांग्रेस से जीतने वाले चंद्रजीत यादव तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में केंद्रीय मंत्री रहे। 2014 के चुनाव में इसी सीट से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने भी जीत दर्ज की। हालांकि, मोदी लहर में केंद्र में भाजपा की सरकार बनी। इसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री व मध्य प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल रामनरेश यादव ने भी जीत दर्ज की थी। भाजपा की झोली में भी पहली बार यह सीट 2009 के आम चुनाव में गई थी जिसमें बसपा, सपा के बाद भाजपा में शामिल हुए पूर्व सांसद रमाकांत यादव विजेता बने थे।

2019 के आम चुनाव में पिता की विरासत संभालने के साथ ही चौथी बार सांसद बनने की चाहत से सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनाव मैदान में हैं। बसपा से गठबंधन के बाद यह सीट सपा के खाते में गई है। कांग्रेस ने यहां कोई प्रत्याशी नहीं उतारा है। भारतीय समाज पार्टी समेत अन्य छोटी पार्टियां अभी मैदान में उतरकर ताल ठोकेंगी। इस सीट पर मतदाता किसको अहमियत देगा, इसके लिए अभी इंतजार करना होगा।

आजमगढ़ की धरती

पवित्र तमसा नदी के किनारे यहां महर्षि दुर्वासा व दत्तात्रेय ने तपस्या की थी। अल्लामा शिब्ली द्वारा स्थापित एशिया की प्रसिद्ध शिब्ली अकादमी यहां है। राहुल सांकृत्यायन की इस धरती से कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, गुरु भक्त सिंह भक्त, शायर कैफी आजमी, पंडित छन्नू लाल मिश्र जैसी विभूतियां निकलीं।

चुनाव की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

chat bot
आपका साथी