Jharkhand Assembly Election 2019: तोरपा में नए चेहरों ने संघर्ष को बनाया रोमांचक

Jharkhand Assembly Election 2019. तोरपा में कुछ चर्चित व कई नए चेहरे जोर आजमाइश कर रहे हैं। इस सीट से लगातार 5 बार झारखंड पार्टी के एनई होरो का कब्जा रहा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 24 Nov 2019 03:26 PM (IST) Updated:Sun, 24 Nov 2019 03:26 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: तोरपा में नए चेहरों ने संघर्ष को बनाया रोमांचक
Jharkhand Assembly Election 2019: तोरपा में नए चेहरों ने संघर्ष को बनाया रोमांचक

तोरपा, सुनील सोनी। तोरपा विधानसभा का चुनाव इस बार भी काफी दिलचस्प होगा। यह विस क्षेत्र हमेशा अपने संघर्ष के लिए जाना जाता रहा है। इस बार यहां कुल 9 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें कई चर्चित तो कई नए चेहरे भी शामिल हैं। इस विधानसभा सीट पर बिहार विधानसभा के समय से ही लगातार 5 बार झारखंड पार्टी के एनई होरो का कब्जा रहा था। अब झारखंड पार्टी विखंडित नजर आ रही है। वर्ष 2000 व 2005 में झापा की झोली से छिन कर भाजपा के कोचे मुंडा ने इस पर कब्जा जमा लिया था।

2009 और 2014 में भाजपा के कोचे मुंडा को हराकर झामुमो के पौलुस सुरीन विधायक बने, लेकिन इस बार सीटिंग विधायक पौलुस सुरीन को झामुमो ने किनारे कर दिया है। टिकट नहीं मिलने के कारण पौलुस सुरीन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं झामुमो के टिकट पर मुखिया संघ के अध्यक्ष सुदीप गुडिय़ा मैदान में हैं। इससे विधानसभा का मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। भाजपा से कोचे मुंडा पांचवीं बार पौलुस सुरीन तीसरी बार मैदान में है। देखा जाए तो मुकाबला कड़ा है।

लेकिन चुनावी दंगल में एक नए चेहरे झामुमो से सुदीप गुडिय़ा के आने से विधानसभा का समीकरण कुछ अलग दिख रहा है। झापा एनोस गुट के सुभाष कोनगाड़ी, झाविमो के मार्शल मुंडू, जदयू से सुधीर डांग, लोजपा के अविनाशी मुंडू, झापा रिलन होरो गुट कुलन पतरस आइंद एवं निर्दलीय सहदेव बड़ाइक भी लड़ाई को अलग मोड़ देने के लिए मैदान में प्रयासरत हैं। हालांकि बहुजन समाज पार्टी के जय सिंह का पर्चा रद होने पर कोचे मुंडा राहत की सांस ले रहे हैं।

जय सिंह चेरो, रौतिया, बड़ाइक सहित कई जाति के वोटरों को अपने पक्ष में कर सकते थे। अब इन वोटरों को अन्य दलों के प्रत्याशी लुभाने की कोशिश करेंगे। इस विधानसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण हावी रहता है। इसके आगे विकास और बेहतरी के दावे का बहुत ही कम असर करता है।

क्षेत्र में प्रत्याशियों और पार्टी का पूरा ध्यान इस ओर भी है कि सभी जाति के मतदाताओं को अपने पक्ष में किया जाए। गैर भाजपाइयों के वोटरों को एकजुट करने में सभी प्रत्याशी पूरी ताकत ताकत झोंकने को आतुर हैं। क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति की बहुलता है। सरना धर्म सहित जीईएल व आरसी तथा सीएनआइ चर्च के लोगों का वोट निर्णायक रहता है।

तीन बड़े मुद्दे

सिंचाई : तोरपा विधानसभा कृषिप्रधान क्षेत्र है, लेकिन सिंचाई की सुविधा नहीं के बराबर है। इस कारण किसान के खेतों में पानी नहीं पहुंच पाता।

पलायन व मानव तस्करी

क्षेत्र में उद्योग धंधे नहीं रहने के कारण काफी संख्या में बेरोजगार युवक युवतियां रोजगार के लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा आदि जगहो पर जाते हैं। वहीं मानव तस्करी की स्थिति भी गंभीर बनी है।

पर्यटन स्थलों का विकास नहीं

तोरपा विस क्षेत्र में पर्यटन की काफी संभावनाएं हैं। अगर उन्हें विकसित किया जाए तो पर्यटन क्षेत्र में झारखंड का नाम होगा।

'मेरा दस साल का कार्यकाल काफी उपलब्धियों से भरा है। मेरे कार्यकाल में सड़क पुल पुलिया का निर्माण, बानो में डिग्री कॉलेज, तोरपा में बहुद्देशीय भवन का निर्माण हुआ। जनता सब जानती है। उन पर मुझे पूरा भरोसा है।' -पौलुस सुरीन, निर्दलीय प्रत्याशी।

'विधानसभा क्षेत्र के लोग बदहाल हैं। विकास के नाम पर कोरम पूरा किया गया है। आज भी युवाओं का रोजगार के अभाव में पलायन जारी है। जनता का विकास करने लिए मुझे फिर से चुनाव मैदान में लाया गया है। चुनाव जीत कर क्षेत्र में विकास की गंगा बहा दी जाएगी।' -कोचे मुंडा भाजपा प्रत्याशी।

'मैं हर गांव के लोगों के सुख-दुख का भागीदार रहा हूं। लोगों की समस्याओं के समाधान में आगे रहा हूं। अब जनता बदलाव चाहती है। भाजपा के शासन काल में विकास नहीं हुआ है। इस बार जनता के कहने पर चुनाव मैदान में हूं।' -सुदीप गुडिय़ा झामुमो प्रत्याशी।

2014 के परिणाम

पौलुस सुरीन -झामुमो -32003 वोट

कोचे मुंडा -भाजपा -31960 वोट

कुल वोटर- 179784

पुरुष मतदाता - 90111

महिला मतदाता - 89673

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