Jharkhand Election 2019: माओवादियों के घरों में लोकतंत्र के जयकारे, परिजन दिखा रहे वोट बहिष्कार को ठेंगा
Jharkhand Assembly Election 2019 माओवादियों की एक आवाज पर जहां गांव के गांव वोट बहिष्कार कर देते थे वहां अब उनका खौफ नहीं रहा। झारखंड की हवा का रुख बदला-बदला सा है।
रांची, [दिलीप कुमार]। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड की हवा का रुख बदला-बदला सा है। माओवादियों की एक आवाज पर जहां गांव के गांव वोट बहिष्कार कर देते थे, वहां अब उनका खौफ नहीं रहा। अब वहां के लोगों को भी विकास चाहिए। यही कारण है कि माओवादियों की विचारधारा को उनके घरों में ही चुनौती मिल रही है। माओवादियों के वोट बहिष्कार को उनके परिजन ही ठेंगा दिखा रहे हैं। उनके घरों में लोकतंत्र के जयकारे लग रहे हैं और गांव के गांव लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बन रहे हैं। गुरुवार को तीसरे चरण के मतदान के दौरान यह स्पष्ट देखने को मिला।
सरायकेला-खरसावां के ईचागढ़ विधानसभा क्षेेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमनदिरी के बूथ संख्या 81 एक बड़ा उदाहरण है। यहां माओवादियों ने वोट का बहिष्कार किया था। कुख्यात दस लाख रुपये के इनामी माओवादी महाराज प्रमाणिक के पिता जरासिंधु प्रमाणिक व माता नीलमणि देवी ने ही माओवादियों, खासकर अपने बेटे, के फरमान को ठुकरा दिया और अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह भी कहा कि उन्हें लोकतंत्र में गहरी आस्था है और उन्होंने झारखंड की बेहतरी के लिए वोट किया है। बेटे ने जो राह पकड़ी है, वह विकास के लिए कहीं से भी उचित नहीं है।
महाराज प्रमाणिक के माता-पिता का यह कदम माओवादियों के जन विरोधी नीतियों पर जोरदार तमाचा रहा। यह वही महाराज प्रमाणिक है, जिसपर आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों की हत्या, आइइडी ब्लास्ट कर जवानों को जख्मी करने सहित दर्जनभर से अधिक नक्सल कांड दर्ज हैं। माओवाद पर वोट के चोट की यह तो बानगी मात्र है। ऐसे कई दृष्टांत झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 में दिखे हैं जो पूर्व के कई दशक में कभी नहीं दिखे।
कुछ अन्य मामले, जिसमें माओवादियों के परिजन खुलकर मतदान किए
हार्डकोर इनामी नक्सलियों के माता-पिता प्रजातांत्रिक व्यवस्था से जुड़ रहे हैं। यह शुभ संकेत है। अब नक्सल से मोह भंग हो रहा है, इसका सुखद व दूरगामी परिणाम मिलेगा। कमल नयन चौबे, डीजीपी, झारखंड।