Jharkhand Election 2019: माओवादियों के घरों में लोकतंत्र के जयकारे, परिजन दिखा रहे वोट बहिष्कार को ठेंगा

Jharkhand Assembly Election 2019 माओवादियों की एक आवाज पर जहां गांव के गांव वोट बहिष्कार कर देते थे वहां अब उनका खौफ नहीं रहा। झारखंड की हवा का रुख बदला-बदला सा है।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 09:11 AM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 09:11 AM (IST)
Jharkhand Election 2019: माओवादियों के घरों में लोकतंत्र के जयकारे, परिजन दिखा रहे वोट बहिष्कार को ठेंगा
Jharkhand Election 2019: माओवादियों के घरों में लोकतंत्र के जयकारे, परिजन दिखा रहे वोट बहिष्कार को ठेंगा

रांची, [दिलीप कुमार]। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड की हवा का रुख बदला-बदला सा है। माओवादियों की एक आवाज पर जहां गांव के गांव वोट बहिष्कार कर देते थे, वहां अब उनका खौफ नहीं रहा। अब वहां के लोगों को भी विकास चाहिए। यही कारण है कि माओवादियों की विचारधारा को उनके घरों में ही चुनौती मिल रही है। माओवादियों के वोट बहिष्कार को उनके परिजन ही ठेंगा दिखा रहे हैं। उनके घरों में लोकतंत्र के जयकारे लग रहे हैं और गांव के गांव लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बन रहे हैं। गुरुवार को तीसरे चरण के मतदान के दौरान यह स्पष्ट देखने को मिला।

सरायकेला-खरसावां के ईचागढ़ विधानसभा क्षेेत्र के उत्क्रमित मध्य विद्यालय अमनदिरी के बूथ संख्या 81 एक बड़ा उदाहरण है। यहां माओवादियों ने वोट का बहिष्कार किया था। कुख्यात दस लाख रुपये के इनामी माओवादी महाराज प्रमाणिक के पिता जरासिंधु प्रमाणिक व माता नीलमणि देवी ने ही माओवादियों, खासकर अपने बेटे, के फरमान को ठुकरा दिया और अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यह भी कहा कि उन्हें लोकतंत्र में गहरी आस्था है और उन्होंने झारखंड की बेहतरी के लिए वोट किया है। बेटे ने जो राह पकड़ी है, वह विकास के लिए कहीं से भी उचित नहीं है।

महाराज प्रमाणिक के माता-पिता का यह कदम माओवादियों के जन विरोधी नीतियों पर जोरदार तमाचा रहा। यह वही महाराज प्रमाणिक है, जिसपर आधा दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों की हत्या, आइइडी ब्लास्ट कर जवानों को जख्मी करने सहित दर्जनभर से अधिक नक्सल कांड दर्ज हैं। माओवाद पर वोट के चोट की यह तो बानगी मात्र है। ऐसे कई दृष्टांत झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 में दिखे हैं जो पूर्व के कई दशक में कभी नहीं दिखे।

कुछ अन्य मामले, जिसमें माओवादियों के परिजन खुलकर मतदान किए

जमशेदपुर के पूर्व सांसद सुनील महतो की 2007 में हत्या में फरार इनामी माओवादी रामप्रसाद मार्डी उर्फ सचिन के पटमदा के गांव में भी मतदान को लेकर इसबार उत्साह रहा है। द्वितीय चरण के चुनाव में यहां भी माओवादियों ने वोट का बहिष्कार किया था। इसके बावजूद वहां के लोगों ने खुलकर मतदान किया था। सचिन की मां पनसारी मार्डी, पिता सनातन मार्डी, भाई छुटुलाल मार्डी मतदान केंद्र पर पहुंचे और वोट डाले। उनके साथ सचिन की दीदी फूलमनी मार्डी भी थी। सबने यही कहा कि नक्सलियों के वोट बहिष्कार से कुछ लेना-देना नहीं है। गांव का विकास हो, इसके लिए वोट किया। जो भी सरकार बने काम करे, ताकि युवाओं को रोजगार मिले और वे भटके नहीं। द्वितीय चरण के मतदान के दौरान ही गुड़ाबांदा के मुचरिशोल मध्य विद्यालय के बूथ संख्या 190 में कुख्यात नक्सली कान्हू मुंडा की मां पंचमी मुंडा व पत्नी बैसाखी मुंडा ने मतदान किया था। पत्नी बैसाखी आंगनबाड़ी सेविका हैं। कुख्यात कान्हू मुंडा पूर्वी सिंहभूम जिले के घाटशिला अनुमंडल के गुड़ाबांधा थाना क्षेत्र के नक्सल प्रभावित जियान का रहने वाला है। उसने अपने दस्ते के 12 सदस्यों के साथ 15 फरवरी 2017 को जमशेदपुर में आत्मसमर्पण किया था। कुख्यात पूर्व नक्सली व तमाड़ से झारखंड पार्टी (झापा) के प्रत्याशी कुंदन पाहन की पत्नी व दो भाभियों ने भी वोट डालकर नक्सल चुनौती को वोट देकर ठेंगा दिखा दिया है।

हार्डकोर इनामी नक्सलियों के माता-पिता प्रजातांत्रिक व्यवस्था से जुड़ रहे हैं। यह शुभ संकेत है। अब नक्सल से मोह भंग हो रहा है, इसका सुखद व दूरगामी परिणाम मिलेगा। कमल नयन चौबे, डीजीपी, झारखंड।

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