Jharkhand Assembly Election 2019: जनता की अदालत से पहले कानूनी मोर्चे पर नेताजी, दो पूर्व मंत्री ने जेल से ही ठोकी ताल
Jharkhand Assembly Election 2019 कुछ जनप्रतिनिधियों ने अपने मामले में झारखंड हाई कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है ताकि उनका मामला लंबा खींचता रहे और उनके चुनाव लड़ने पर कोई रोक न लगे
रांची, [मनोज कुमार सिंह]। राज्य में विधानसभा चुनाव की हलचलें तेज होने के साथ ही ऐसे जनप्रतिनिधियों की धड़कने तेज हो गई हैं, जिनके खिलाफ मामले निचली अदालतों में लंबित हैं। जनता की अदालत से पहले उन्हें अदालती मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है। कई लोगों को इसमें सफलता भी मिली है, तो कई को निराशा हाथ लगी है।
कुछ जनप्रतिनिधियों ने पहले ही अपने मामले में झारखंड हाई कोर्ट से स्थगन आदेश ले रखा है, ताकि उनका मामला लंबा खींचता रहे और उनके चुनाव लडऩे पर कोई रोक न हो पाए। दरअसल, जब से सुप्रीम कोर्ट ने दो या दो साल से अधिक की सजा पर चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है, जनप्रतिनिधि अपने लंबित मामलों के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण में पहुंच रहे हैं और मामले में स्थगन आदेश प्राप्त कर रहे हैं।
जेल में बंद, पर चुनाव लड़ने की मिली इजाजत
दो पूर्व मंत्री बंधु तिर्की और गोपाल कृष्ण पातर उर्फ राजा पीटर अभी जेल में बंद हैं। लेकिन, उन्होंने चुनाव लडऩे के लिए अदालत से अनुमति मांगी और अदालत ने उनके आवेदन पर विचार करने के बाद उन्हें नामांकन करने की छूट प्रदान करते हुए सुरक्षा के इंतजाम का भी आदेश दिया है। एक कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन भी अदालत के आदेश के बाद चुनावी मैदान में ताल ठोकेगा। अदालत की इजाजत पर वह 18 नवंबर को अपना नामांकन दाखिल करेगा।
हरिनारायण व कोड़ा नहीं लड़ पाएंगे चुनाव
पूर्व मंत्री हरिनारायण राय को मनी लांड्रिंग मामले में सात साल की सजा मिली है। इसके खिलाफ उन्होंने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। उन्हें जमानत तो मिल गई, लेकिन कोर्ट ने उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप को देखते हुए उन्हें चुनाव लडऩे की इजाजत नहीं दी। इसी तरह, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राहत नहीं दी। हालांकि, अदालत ने उनके मामले में चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है।
बेटी को जीत दिलाने बाहर निकले एनोस एक्का
पारा टीचर हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पूर्व मंत्री एनोस एक्का को कुछ दिनों पहले ही हाई कोर्ट से जमानत मिली है। सजा के चलते न तो एनोस एक्का स्वयं चुनाव लड़ सकते हैं और न ही उनकी पत्नी मेनन एक्का। इसलिए कोलेबिरा से अपनी विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपनी बेटी आइरिन एक्का को मैदान में उतारा है। वे जमानत लेकर अपनी बेटी को चुनाव मैदान में जीत दिलाने की कोशिश में जुट गए हैैं।