Jharkhand Assembly Election 2019: बे-पानी मंडल डैम में गोते लगा रहे मुद्दे Daltonganj Ground Report

Jharkhand Assembly Election 2019. 25 वर्षों बाद डैम का काम चालू होने की घोषणा मात्र से क्षेत्र में उम्मीदों का नया सवेरा दिख रहा है। डैम की ऊंचाई घटने से लोगों ने राहत की सांस ली।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 08:10 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 08:10 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: बे-पानी मंडल डैम में गोते लगा रहे मुद्दे Daltonganj Ground Report
Jharkhand Assembly Election 2019: बे-पानी मंडल डैम में गोते लगा रहे मुद्दे Daltonganj Ground Report

मंडल डैम से विशेष संवाददाता आशीष झा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जबसे मंडल डैम का शिलान्यास किया है, लोगों में मन में कई उम्मीदें जग गई हैं। भले ही डैम में आपको घुटने भर पानी मिले, कहीं-कहीं इतना भी नसीब नहीं लेकिन अभी से दर्जनों मुद्दे इस डैम में गोते लगाते दिख रहे हैं। आखिर उम्मीदों का नया सवेरा जो हुआ है। पूरी तरह से नक्सल प्रभावित इस इलाके में पिछले दो-तीन साल से उग्रवादियों और नक्सलियों का कोई मूवमेंट नहीं दिखा है। डैम के एक ओर मनिका विधानसभा क्षेत्र है तो दूसरी ओर डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र। डालटनगंज क्षेत्र में किसानों की अधिकता होने के कारण लोगों के लिए मंडल डैम बड़ा मुद्दा है और जल्द से जल्द लोग इसका निर्माण चाहते हैं ताकि कृषि को मदद मिल सके। उत्तर कोयल परियोजना के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने 1622 करोड़ रुपये खर्च करने की स्वीकृति दी है।

30 करोड़ की प्रारंभिक लागत वाली यह परियोजना अब 2391 करोड़ में पूरी होगी जिसमें 769 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। हालांकि खर्च की गई राशि से बने निर्माण तेजी से खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। अफसरों और कर्मियों के लिए बने आवासों से हर वह चीज निकाल कर बाजार में बेच दी गई है जिसकी कुछ कीमत मिलती है। मसलन खिड़कियां और दरवाजे गायब हैं, एसबेस्टस की छत लापता है और चोर ईंट तक उखाड़ कर ले गए। अब आवास के नाम पर पत्थरों का ढांचा और आम के कुछ पेड़ मिलते हैं। हर घर, हर अंगने में एक-दो आम के पेड़ आपको उस वक्त की सोच का एहसास कराती है।

खौफ की याद दिलाती हैं नक्सली वारदातों की निशानियां

आसपास के इलाकों की तरह यहां भी मुद्दों की भरमार है, लेकिन आजकल हर बात को मंडल डैम से जोड़कर देखा जाने लगा हैं। डैम बनेगा तो सिंचाई होगी, रोजगार मिलेगा, पर्यटन बढ़ेगा, व्यवसाय को नया आयाम मिलेगा आदि...आदि। बातें तो यहां तक कि नक्सली अब पूरी तरह से भाग जाएंगे। चारों ओर जंगल और पहाड़ से घिरे पलामू के इस इलाके में नक्सली आसानी से वारदातों को अंजाम देकर बगल के राज्यों छत्तीसगढ़ अथवा बिहार में प्रवेश कर जाते थे और उन्हें पकडऩा मुश्किल होता था।

मंडल डैम पहुंचने के रास्ते में सड़क के किनारे लगी पुलिस गाड़ी के चालक संजय प्रसाद की प्रतिमा यह याद दिलाती है कि किस तरह लैंडमाइंस विस्फोट कर दर्जनों जवानों और ग्रामीणों की अलग-अलग वारदातों में हत्या हुई है। इलाके में नक्सल नियंत्रण के बाद प्रतिमा की देखरेख करने वाला भी कोई नहीं रह गया। अगर कोई राह दिखाने वाला ना हो तो झाडिय़ों में छिपी इस प्रतिमा को ढूंढना भी मुश्किल है। खैर, लोग इसी से खुश हैं कि नक्सली प्रभाव क्षेत्र में कम हुआ है। जर्जर सड़क है लेकिन सबको पता है कि इसका टेंडर हो गया है। सड़क बनते ही इलाके के पर्यटन स्थल बनने में देर न लगेगी।

खदानों के बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी

क्षेत्र में रोजगार भी मुद्दा है और खदानों के बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी इससे भी बड़ी समस्या है। चैनपुर प्रखंड में सोबरा ग्रेफाइट माइंस वर्षों से बंद है। खनिज निगम के अधीन सेमरा, सलतुआ, खाम्ही, गंगटी आदि बंद माइंस के कारण हजारों मजदूर बेरोजगारी झेल रहे हैं। डालटनगंज प्रखंड में सुवा आईरन ओर माइंस लगभग 40 वर्षों से बंद है, मानासोती-लेदवाखांड़ ग्रेफाइट माइंस खनिज निगम के अधीन संचालित था लेकिन अब बंद है। इससे हजारों की संख्या में मजदूर बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। इसी प्रकार सेवाडी ग्रेफाइट माइंस वर्षों से बंद है तो राजहरा कोलियरी के उद्घाटन होने के 10 महीने बाद भी उत्पादन शुरू नहीं हो सका है। जाहिर सी बात है इन लोगों को भी काम नहीं मिल रहा। इतनी बड़ी संख्या में कुशल मजदूरों की बेरोजगारी कहीं ना कहीं क्षेत्र में एक बड़ी समस्या के तौर पर उभर कर आ रही है।

शहीदों की मजारों पर ... : लगभग दस वर्ष पूर्व मंडल डैम की ओर जानेवाली पुलिस टीम को लैंड माइंस से उड़ा दिया गया था। इसमें मारे गए चालक संजय प्रसाद की प्रतिमा स्थापित की गई थी लेकिन नक्सली गतिविधि बंद हुई तो देखरेख भी बंद हो गई। अब इस हाल में है शहीद चालक की प्रतिमा।

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