Jharkhand Assembly Election 2019: आक्रामक तेवर लिए झारखंड नाप रहे हेमंत, बदलाव की पुरजोर कोशिश

Jharkhand Assembly Election 2019. झामुमो ने भाजपा से सीधे मुकाबले को अपना लक्ष्य बनाया है। हेमंत सोरेन ने बदलाव रैलियों के माध्यम से माहौल बनाना शुरू कर दिया है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 09:40 PM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 08:55 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: आक्रामक तेवर लिए झारखंड नाप रहे हेमंत, बदलाव की पुरजोर कोशिश
Jharkhand Assembly Election 2019: आक्रामक तेवर लिए झारखंड नाप रहे हेमंत, बदलाव की पुरजोर कोशिश

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Assembly Election 2019 झारखंड मुक्ति मोर्चा ने विधानसभा चुनाव में भाजपा से सीधे मुकाबले को अपना लक्ष्य बनाया है। लगभग एक माह से इसी मुहिम के तहत नेता प्रतिपक्ष सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष राज्य की खाक छान रहे हैं। उन्होंने बदलाव रैलियों के माध्यम से चुनाव घोषित होने के पहले ही माहौल बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि यह अप्रत्याशित नहीं है। राज्य में सत्तासीन भाजपा ने काफी पहले से चुनावी मुहिम चला रखा है। कांग्रेस

हेमंत सोरेन के समक्ष यह चुनौती है कि वे मुख्य विपक्षी दल का नेता होने के कारण सत्तापक्ष को ललकार सकें। कांग्रेस सरीखी राष्ट्रीय पार्टियां यहां चुनाव में मुख्य भूमिका में नहीं है। कांग्रेस ने काफी पहले ही इसे मानते हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व को लिखित तौर पर स्वीकार लिया था। कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर उरांव ने इस लाइन से इतर हटने की कोशिश की तो झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें टका सा जवाब देते हुए कहा कि पार्टी सीधे आलाकमान से बात करती है।

प्रदेश अध्यक्ष की पसंद-नापसंद अपनी जगह है। जाहिर है हेमंत सोरेन इस बात को लेकर निश्चिंत हैं कि कांग्रेस उन्हें छोडऩे का जोखिम नहीं उठाएगी। बदलाव रैलियों में जुट रही भारी भीड़ से खुद हेमंत सोरेन भी खासे उत्साहित हैं। उनका कहना है कि भाजपा की काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ेगी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लोगों का ध्यान मूल मुद्दे से भटकाना चाहते हैं। भाजपा कश्मीर में धारा-370 सरीखे मुद्दे उठाकर झारखंड में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, जो कभी संभव नहीं है।

अपनी सभाओं में हेमंत सोरेन सत्ता में आने पर लुभावनी घोषणाएं भी पेश कर रहे हैं। इसमें बेरोजगारी भत्ता से लेकर बड़े पैमाने पर नौकरियों की बरसात का वादा है तो आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने का शिगूफा भी। वे झारखंडी अस्मिता का सवाल उठाते हुए उसे अस्तित्व से जोड़ते हैं। लडऩे-मरने के भी वादे करते हैं। एक मायने में विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्व की कड़ी परीक्षा भी है।

भाजपा का इरादा उनके दल में सेंधमारी करने का है। कुछ विधायक टूटकर जा सकते हैं जबकि भाजपा के वैसे विधायक झारखंड मुक्ति मोर्चा का रूख कर सकते हैं जिनके टिकट पर खतरा मंडरा रहा है। हेमंत सोरेन जिलों में बदलाव रैलियों का समापन रांची में बड़ी रैली से करेंगे, जिसके लिए 19 अक्टूबर की तिथि की घोषणा हो चुकी है। उस वक्त तक राज्य में विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हो सकती है।

झामुमो का चुनावी एजेंडा सरकार बनी तो पांच लाख लोगों को नौकरी, बेरोजगारों को भत्ता। 25 करोड़ तक के सरकारी टेंडर झारखंड के लोगों को। महिलाओं को रोजगार में 50 प्रतिशत आरक्षण। पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण।

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