Jharkhand Assembly Election 2019 : झारखंड के इस द्वार में दिखती पश्चिम बंगाल की सियासी छाया

ओम बोस्को के दरवाजे पर ताला लटक चुका है। मैथन मोड़ की चाय दुकान पर लोग मजाकिया अंदाज में कहते हैं उधर लाल झंडा और इधर लाल सलाम तो किसी भी कंपनी की चिमनी का धुआं बंद हो जाएगा।

By MritunjayEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 06:42 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 06:42 AM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019 : झारखंड के इस द्वार में दिखती पश्चिम बंगाल की सियासी छाया
Jharkhand Assembly Election 2019 : झारखंड के इस द्वार में दिखती पश्चिम बंगाल की सियासी छाया

मैथन [अश्विनी रघुवंशी]। मैथन डैम। मां कल्याणेश्वरी का यहां भव्य मंदिर है। एक ओर झारखंड तो दूसरी ओर बंगाल। यह इलाका निरसा विधानसभा क्षेत्र में आता है, लिहाजा बंगाल की सियासी हवाएं यहां का पारा भी ऊपर नीचे करती हैं। यही कारण है कि वामदलों का कभी गढ़ रहे बंगाल से सटी इस विधानसभा से कभी गुरुदास चटर्जी विधायक होते थे। अब उनके पुत्र अरूप चटर्जी माक्र्सवादी समन्वय समिति (मासस) से विधायक हैं। हालांकि, बंगाल के उधर हो या इधर, घरों में पद्म (कमल) फूल की आकृतियां भी दिखने लगी हैं। कारण बंगाल के आसनसोल से बाबुल सुप्रियो की राजनीतिक  धुन भी झारखंड की इस सीमा में सुनाई देने लगी हैं।

मैथन में मां कल्याणेश्वरी देवी के मंदिर से दो रास्ते निकलते हैं, एक बंगाल के आसनसोल होकर कोलकाता तो दूसरा मिहिजाम, जामताड़ा होकर देवघर से दुमका तक जाता है। कभी बंगाल का शोक रही दामोदर नदी को समृद्धि का सबब बनाने को यहीं मैथन बांध बनाया गया। क्षेत्रफल 65 वर्ग किमी। हर तरफ पानी। इसी पानी के बीच झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा विभाजित है। न इधर की नाव उधर न उधर की इधर। यहां से कुछ आगे बढ़ें तो झारखंड का पहला गांव है, काली पहाड़ी। दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) के कमांड एरिया को छूता हुआ। गांव के लोग उसी सड़क से गुजरते हैं, जो मैथन बांध के ऊपर से जाती है। डेढ़ किमी लंबी। पश्चिम बंगाल के कल्याणेश्वरी के गुलजार खान बताते हैं कि होश संभालने के बाद से डैम की सड़क पर कभी गड्ढे नहीं देखे थे। अब तीन साल से सिर्फ गड्ढे दिख रहे हैं, सड़क नहीं। वह भी तब जब हर साल यहां लाखों पर्यटक आते हैं। जर्जर सड़क ने हमारी आजीविका को छीन ली, क्योंकि पर्यटक कम हो गए हैं। उम्मीद थी कि झारखंड में विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले सड़क बन जाएगी। नहीं बनी, सभी मायूस हैं।

कालीपहाड़ी के अश्विनी कुमार मंडल एवं गुरुदास बाउरी का भी यही दर्द है। दरअसल, मैथन बांध को अत्याधुनिक करने का काम शुरू किया गया तो मुख्य सड़क टूटती गई। यह सड़क बंगाल व झारखंड को जोड़ती है। सड़क बनाने की जवाबदेही डीवीसी की है। न झारखंड सरकार कुछ कर सकती है, न बंगाल। मैथन बांध में पहाड़ी के भीतर 60 मेगा वाट जल विद्युत का उत्पादन होता है। मैथन डैम के किनारे डीवीसी एवं टाटा पावर का संयुक्त उद्यम मैथन पावर लिमिटेड भी है। यहां भी बिजली बनती है। पास में ही चिरकुंडा इलाका है। दो साल पहले तक झारखंड के किसी और इलाके से चिरकुंडा में किसी के घर अतिथि आते थे तो लोग निर्बाध बिजली पर इतराते थे। दो साल से चिरकुंडा में दो से तीन घंटे बिजली गुल रहने लगी है। चिरकुंडा के बुजुर्ग सुमन मंडल कहते हैं, चिराग तले अंधेरा। जीटी रोड से मिहिजाम की तरफ नहीं जाएंगे तो यह आसनसोल, रानीगंज, दुर्गापुर होकर कोलकाता जाएगी। इसी मार्ग पर झारखंड का अंतिम गांव है, मेढ़ा। कस्बा जैसा।

उधर बंगाल की तरफ डिबूडीह गांव है। दोनों तरफ बड़ा औद्योगिक इलाका और कोयले की खदानें। दिन रात राष्ट्रीय उच्च पथ पर ट्रकों की कतार और चिल्लपों। पेट चलाने के लिए सबके लिए कुछ न कुछ रास्ता निकल जाता है। झारखंड के सीमावर्ती इलाके के गांव सिंग बस्ती, बडज़ोर, मंगलपारा, ढुनागुडू के लोगों की जिंदगी उतनी आसान नहीं है। बलुआ जमीन है। सरकारी चापाकल गाडऩे पर भी पानी नहीं मिलता। लोग बराकर नदी में चुआ बनाते हैं, धीरे धीरे जमा होने वाले पानी को छान कर पीते हैं। महिलाएं दूर से पानी लाती हैं। मुखिया सारथी मरांडी कहती हैं, स्पंज आयरन की कंपनी भूमि मिनरल्स का घेराव कर हम लोगों ने 900 फीट तक बोङ्क्षरग कराई, ताकि बड़ी आबादी को पीने का पानी मिले। बोङ्क्षरग हुई। पानी नहीं मिला। पता नहीं, कब तक घर घर जलापूर्ति होगी।

असल बात। बंगाल की सीमा से निरसा औद्योगिक इलाका शुरू होता है, गोविंदपुर तक। महज चार साल पहले यहां ओम बेस्को कंपनी का उद्घाटन हुआ था। रेलवे के उपकरण बनने शुरू हुए। खुद मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया था। घोषणा हुई थी कि मेट्रो का कोच भी बनेगा। सौ से अधिक युवाओं को रोजगार मिलना भी शुरू हो गया था। अब उस कंपनी के दरवाजे पर ताला लटक चुका है। मैथन मोड़ की चाय दुकान पर लोग मजाकिया अंदाज में कहते हैं, उधर लाल झंडा और इधर लाल सलाम तो किसी भी कंपनी की चिमनी का धुआं बंद हो जाएगा।

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