Jharkhand Assembly Election 2019: मनिका में समस्‍याएं हैं पर शिकायतें नहीं

Jharkhand Assembly Election 2019. नेतरहाट में धरती मां की गोद में सिकुड़ते हुए समा जाता है सूरज। सीना तान के खड़े पहाड़ों और हजारों हेक्टेयर के जंगल रोमांचित करते हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 03:09 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 03:09 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: मनिका में समस्‍याएं हैं पर शिकायतें नहीं
Jharkhand Assembly Election 2019: मनिका में समस्‍याएं हैं पर शिकायतें नहीं

मनिका विधानसभा के नेतरहाट से आशीष झा। धरती मां अपनी गोद में सबको जगह देती है। सबको रहने खाने-पीने का इंतजाम देती है। कहीं खान-खदान से तो कहीं खेत-खलिहान से। लेकिन झारखंड की धरती पर एक ऐसी भी जगह है जहां इसकी गोद में एक पिघलता हुआ लावा सिकुड़ते हुए समा जाता है। इस अद्भुत अकल्पनीय दृश्य को देखने के लिए सैकड़ों किलोमीटर दूर से हजारों की संख्या में सैलानी नियमित तौर पर आते हैं और सुबह एवं शाम को मां की गोद में अठखेलियां करते सूरज को देखते हैं।

सूरज जिस रास्ते जाते हैं उसी रास्ते सुबह में प्रकट होते हैं लेकिन दोनों ही स्थितियों में आपको अपना नजरिया बदलना होता है और स्थान भी। प्रकृति की इस अद्भुत दृश्य को अपनी आंखों में सहेज कर रखने वाले लोगों के लिए मानो अन्य जरूरतें किसी काम की ना हों। यही कारण है कि चुनावी मौसम में जहां चारों ओर लोगों की अपनी-अपनी मांगे हैं वहीं यह इलाका शांत है, निश्चिंत है और निर्भीक भी। ऐसा लग रहा है जैसे विकराल समस्याएं भी धरती मां की गोद में समा गई हैं और किसी को कोई परेशानी नहीं है।

विधायक आए कि नहीं, समय पर सरकारी सुविधाएं मिली या नहीं आदि तमाम राजनीतिक बातें यहां गुम हैं। सड़कें दुरुस्त हैं, सब मस्त हैं। राजधानी रांची से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर लातेहार जिले का नेतरहाट राज्य के सबसे बेहतर और प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में एक है। समुद्र तल से 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस इलाके से राज्य को ही नहीं पूरे देश की प्रतिभाओं को निखारा जाता है।

नेतरहाट आवासीय विद्यालय अपनी प्रतिभाओं का लोहा भी मनवा चुका है। यहीं पर जंगल वारफेयर स्कूल सैन्य कुशलता की एक अलग पाठशाला है जहां से नव नियुक्त जवानों को जंगलों में लड़ाई के लिए आवश्यक युद्ध कला में पारंगत किया जाता है। प्रकृति की गोद में बैठे नेतरहाट के लोगों के सामने समस्याएं जरूर हैं लेकिन आसपास की आबादी इतनी सहज है कि आपको कुछ बताती नहीं। सज्जन जन आपको दिन-ब-दिन की समस्याओं की जानकारी तक नहीं होने देंगे।

हां, कुछ बोलने वाले लोग भी हैं पर उनका नजरिया या लहजा शिकायती नहीं है। नेतरहाट बस स्टैंड बरटोली के निकट नाश्ते की दुकान चलाने वाले जनेश्वर महज पांचवीं पास हैं। उन्हें इस बात का तनिक भी मलाल नहीं कि जहां से पूरे देश की प्रतिभाएं निखरती हैं उस नेतरहाट आवासीय विद्यालय के निकट वह अनपढ़ की तरह क्यों रह गए। वह अकेले नहीं, उनके जैसे गांव में कई हैं। युवा जनेश्वर अपनी उपलब्धियों से और दुकान से संतुष्ट हैं। कहीं कोई शिकायत नहीं।

शिकायत नहीं होने का एक बड़ा कारण यह भी है कि उनके आसपास की आबादी इसी तरह की शिक्षा से लैस है। उन्हें यहां पढ़ रहे युवकों से ना तो विद्वेष है और ना ही यहां आने वाले सैलानियों को वे हीन भावना से देखते हैं। युवा जनेश्वर यह जानकर खुश होते हैं कि कुछ पत्रकार चुनाव कवर करने आए हैं। अभी हाल में हुए लोकसभा चुनाव में किसे वोट दिया, यह सवाल सुनते ही मोदी का नाम लेते हैं। सांसद और विधायक को तो वे जानते ही नहीं। नेतरहाट प्रवेश करते ही जयराम पांडे की पान दुकान है।

जयराम बताते हैं कि इलाके में पानी की समस्या धीरे-धीरे विकराल रूप धारण कर रही है। गर्मियों में लोगों को बहुत परेशानी होती है और इस लिहाज से व्यवस्था बहुत कमजोर है। फिल्टर प्लांट काम नहीं करता और अक्सर लोगों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। हाल के दिनों में कुछ होटल और बिल्डिंग बने हैं जहां बोरिंग का पानी है जिससे लोगों को मदद हो जाती है। नेतरहाट से निकलकर चारों ओर आपको मनिका विधानसभा का ही इलाका मिलेगा।

महुआडांड़ के रास्ते में एक छोटी सी दुकान से हाथियों के झुंड ने चावल की एक बोरी उड़ा ली। यहां भी भीड़ में अफसोस है लेकिन शिकायत नहीं। क्षेत्र में हाथियों का आना कुछ उसी तरह से है जैसे बिना मौसम का बारिश होना। लोग यही सोच कर संतुष्ट रहते हैं कि इसे रोकना किसी के वश में नहीं। महुआडांड़ से छिपादोहर तक लगभग 60 किमी की दूरी में सिर्फ जंगल है। इस दौरान हमारे साथ बिहार मूल के दो सिपाही भी होते हैं जिनकी बातों में बिहार से जुड़ी पार्टियों की चिंता अधिक है।

सड़क कहीं-कहीं टूटी भी दिखती है। हिरण, सियार से लेकर हाथी तक दिख जाते हैं लेकिन इंसानों का आना-जाना कम है। छिपादोहर में बढ़ई रामकुमार शर्मा की चिंता यह है कि जंगल से लकड़ी काटने पर रोक है। उनका काम कुछ सुस्त पड़ा हुआ है। रास्ते मे ही पलामू ब्याघ्र परियोजना का क्षेत्र मिलता है। कुल मिलाकर मनिका विधानसभा क्षेत्र में प्रकृति के कई अद्भुत नज़ारे हैं जो आपको और यहां के लोगों को दिन-ब-दिन की परेशानियों से रू-ब-रू कम ही होने देती है।

चुनाव का परिणाम जो भी हो, ये वादियां आपको बार-बार बुलाएंगीं। पिछले 5 वर्षों में मनिका विधानसभा क्षेत्र नक्सलियों के प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त हो गया है और चंद महीनों से नक्सलियों का मूवमेंट भी कहीं नहीं दिख रहा है। बरवाडीह में पेशे से पत्रकार अर्जुन इसकी तस्दीक करते हैं और कहते हैं कि अब कहीं आने-जाने में लोगों को डर नहीं लगता।

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