Jharkhand Assembly Election 2019: लोहरदगा में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष के सामने वर्तमान प्रदेश अध्‍यक्ष

Jharkhand Election 2019. भाजपा-कांग्रेस और आजसू तीनों के लिए हॉट सीट बनी है लोहरदगा। लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा के टिकर पर चुनाव लड़ रहे हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 18 Nov 2019 04:09 PM (IST) Updated:Mon, 18 Nov 2019 04:09 PM (IST)
Jharkhand Assembly Election 2019: लोहरदगा में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष के सामने वर्तमान प्रदेश अध्‍यक्ष
Jharkhand Assembly Election 2019: लोहरदगा में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, पूर्व प्रदेश अध्‍यक्ष के सामने वर्तमान प्रदेश अध्‍यक्ष

लोहरदगा, [विक्रम चौहान]। लोहरदगा विधानसभा सीट पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। महामुकाबले में कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत, वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर रामेश्वर उरांव के साथ-साथ आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष कमल किशोर भगत के लिए यह सीट नाक का सवाल बनी है। भाजपा और आजसू के बीच गठबंधन को लेकर चल रही खींचतान के केंद्र में भी लोहरदगा सीट शुरू से ही रही। लोहरदगा विधायक सुखदेव भगत ने हाल में ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की है। इस बार वह भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

उधर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और लोहरदगा के पूर्व सांसद डॉ. रामेश्वर उरांव खुद लोहरदगा विधानसभा सीट से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। दूसरी ओर आजसू के कार्यकारी अध्यक्ष और लोहरदगा के पूर्व विधायक कमल किशोर भगत ने इस बार चुनाव में अपनी पत्नी नीरू शांति भगत को उतारा है। ऐसे में भाजपा, आजसू और कांग्रेस के बीच मुकाबला बेहद रोचक हो चुका है। तीनों बड़े नेताओं की साख यहां दांव पर लगी हुई है। बताने की जरूरत नहीं कि कांटे की लड़ाई में लोहरदगा विधानसभा सीट इस बार कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो चुकी है।

चुनावी समीकरण में यहां बने वर्तमान हालात साल 2009 और 2014 की तस्वीर की याद दिला रहे हैं। लोहरदगा के मतदाताओं के लिए भी इस बार परीक्षा की घड़ी है। आदिवासी बहुल लोहरदगा विधानसभा क्षेत्र में कई ऐसे बड़े मुद्दे हैं जो ना सिर्फ स्थान स्थानीय तौर पर महत्वपूर्ण हो जाते हैं, बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी इन मुद्दों का महत्व है। इन्हीं मुद्दों के सहारे प्रत्याशियों ने चुनावी मैदान में अपना दमखम दिखाने की कोशिश की है। सुखदेव भगत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद कांग्रेस पार्टी में एक प्रकार की शून्यता आ गई थी।

ऐसे में राज्यसभा सांसद धीरज प्रसाद साहू के कंधे पर लोहरदगा में कांग्रेस की पहचान को बनाए रखने की बड़ी जिम्मेवारी थी। धीरज प्रसाद साहू के करीबी माने जाने वाले रामेश्वर उरांव को खुद लोहरदगा विधानसभा सीट से उतारकर पार्टी ने सुखदेव भगत से मुकाबले की तैयारी की है। दोनों नेताओं के बीच मुकाबला देखना रोचक होगा। आजसू पार्टी की ओर से चुनावी मैदान में कूदना भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए गले की हड्डी बन गया है। आजसू पार्टी अपने कैडर वोट के सहारे इस बार चुनाव मैदान में फतह करना चाहती है।

कमल किशोर भगत के जेल से बाहर आने के बाद नीरू शांति भगत को चुनाव मैदान में उतार कर आजसू पार्टी ने साल 2009 और 2014 के चुनाव को दोहराने की कोशिश की है। कांग्रेस पार्टी यदि इस चुनाव में जीत हासिल करती है तो जनता के बीच संदेश साफ तौर पर जाएगा कि लोहरदगा में कांग्रेस पार्टी का अपना आधार है।

कांटे की टक्कर में इस बार भी लोहरदगा में त्रिकोणीय मुकाबला नजर आ रहा है। जातीय समीकरण की बात करें तो लोहरदगा में आदिवासी वोटरों को समेटने को लेकर हर राजनीतिक दल और प्रत्याशी की कोशिश होती है। वजह साफ है कि यहां पर 55 प्रतिशत मतदाता आदिवासी हैं। लोहरदगा में किसी भी राजनीतिक दल के लिए जीत का आधार उसके कैडर वोटर ही हैं। फिलहाल लोगों को इन तीन दलों के बीच महामुकाबले के परिणाम का इंतजार है।

कुल वोटर : 244381

महिला वोटर : 120723

पुरुष वोटर : 123658

बूथ : 324

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