जब टिकट की अदला-बदली के खेल में बाजी मार ले गए आनंद शर्मा, विरोधी भी रह गए थे हैरान
टिकट घोषित होते ही विनय गुप्ता ने बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अपना कार्यालय खोल दिया और प्रचार शुरू कर दिया। उस वक्त भाजपा का टिकट तब आनंद शर्मा को मिला था।
बल्लभगढ़ (सुभाष डागर)। राजनीति में भाग्य और आका का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है। इसकी बानगी विधानसभा चुनाव 1996 में बल्लभगढ़ के मतदाताओं को देखने को मिली। बल्लभगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी मूलचंद शर्मा कर रहे थे और इनेलो सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने चुनाव लड़ाने की घोषणा विनय गुप्ता के नाम की कर दी।
विनय गुप्ता ओल्ड फरीदाबाद के रहने वाले हैं और उनके बड़े भाई ओमप्रकाश गुप्ता की इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला से अच्छी दोस्ती थी। जिले में गुप्ता, चौटाला के सबसे नजदीकी लोगों में आते थे। मूलचंद शर्मा भी इनेलो में वरिष्ठ नेताओं की पंक्ति में आते थे और वह बल्लभगढ़ से विधानसभा चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके थे। पांच वर्ष से लगातार सक्रिय थे।
इधर टिकट घोषित होते ही विनय गुप्ता ने बल्लभगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अपना कार्यालय खोल दिया और प्रचार शुरू कर दिया। भाजपा का टिकट तब आनंद शर्मा को मिला था और कांग्रेस के प्रत्याशी पूर्व विधायक राजेंद्र सिंह बीसला थे। पूरे क्षेत्र के मतदाताओं को ये पता चल गया कि इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अपने दोस्त ओमप्रकाश गुप्ता के कहने पर उनके छोटे भाई विनय गुप्ता को टिकट दे दी है। एक सप्ताह तक विनय गुप्ता ने प्रचार किया। इधर शहर में मूलचंद शर्मा का अच्छा रसूख था।
मूलचंद व्यापारियों को साथ लेकर पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला के पास दिल्ली गए। चौटाला ने शहर के व्यापारियों के कहने पर विनय गुप्ता से पूछा कि वे बल्लभगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो विनय गुप्ता ने कहा कि यदि मूलचंद शर्मा बल्लभगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उन्हें बल्लभगढ़ से टिकट दे दी जाए। तब चौटाला ने मूलचंद शर्मा को बल्लभगढ़ से और विनय गुप्ता को मेवला महाराजपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का टिकट दिया था। इस तरह से रातों रात टिकट बदल गया।
टिकट के इस एक सप्ताह के खेल का भाजपा के प्रत्याशी आनंद शर्मा को लाभ मिला। आनंद शर्मा हरियाणा विकास पार्टी और भाजपा के संयुक्त प्रत्याशी थे। ब्राह्मण समुदाय के मतदाता मूलचंद शर्मा समर्थक भी टिकट न मिलने से निराश होकर आनंद शर्मा के साथ जुड़ गए थे। परिणाम ये हुआ कि आनंद शर्मा विधायक बन गए।