haryana assembly election 2019: चुनावी बिसात बिछनी शुरू, बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियां अपार

हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। अब टिकटों के ऐलान की बारी है। टिकट के दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं के यहां परिक्रमा शुरू कर दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 10:23 AM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 08:33 AM (IST)
haryana assembly election 2019: चुनावी बिसात बिछनी शुरू, बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियां अपार
haryana assembly election 2019: चुनावी बिसात बिछनी शुरू, बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियां अपार

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। अब टिकटों के ऐलान की बारी है। टिकट के दावेदारों ने अपने राजनीतिक आकाओं के यहां परिक्रमा शुरू कर दी। पिछले चुनाव में मोदी लहर पर सवार हो पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई भाजपा हो या फिर कांग्रेस, जजपा, इनेलो और आप, सभी कमर कसकर चुनावी रण में उतर पड़े हैं। प्रदेश तीन भागों में बंटा है। जीटी रोड बेल्ट जो सोनीपत-पानीपत से लेकर पंचकूला तक है।

मध्य हरियाणा जिसके बीच से सिरसा से बहादुरगढ़ जाने वाला नेशनल हाईवे 10 गुजरता है, जो पहले नेशनल हाईवे 9 था। शेष हिसास दक्षिण हरियाणा है। तीनों भागों और उनकी प्रकृति को ध्यान में रखकर ही सभी दल रणनीति बनाएंगे। सत्तारूढ़ भाजपा ने लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप, पांच नगर निगम और जींद उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा ने जहां 75 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है, वहीं बिखरे विपक्ष के सामने चुनौतियों का अपार अंबार लगा है। इस बार के चुनाव में मुख्य मुकाबला राष्ट्रीय दलों में है, जबकि क्षेत्रीय दल वजूद की लड़ाई लड़ते नजर आएंगे।

पिछले चुनाव की अपेक्षा इस बार राजनीतिक परिस्थितियां काफी बदली हुई हैं, लेकिन जिस तरह से विपक्ष बिखरा हुआ है, उससे भाजपा को अपने मिशन-75 पार की राह आसान नजर आ रही है। चौधरी देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के परिवार में राजनीतिक विघटन भाजपा की राह आसान कर रहा है। ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इनेलो की बागडोर उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला संभाले हैं तो इनेलो की कोख से निकली जननायक जनता पार्टी की बागडोर चौटाला के बड़े बेटे अजय सिंह और पोते दुष्यंत चौटाला के हाथ में है। रही बात कांग्रेस की तो वहआधा दर्जन खेमों में बंटी है।

आलाकमान ने हालांकि कद्दावर दलित नेता कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को तीन अहम जिम्मेदारी सौंपी हैं, लेकिन सभी धड़ों को एकजुट करना आसान नहीं। प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए गए अशोक तंवर, किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव हों या फिर कुलदीप बिश्नोई और रणदीप सुरजेवाला, भाजपा को कांग्रेस की फूट रास आ सकती है।

पूर्व सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी से अलग होने के बाद जजपा से गठबंधन करने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अब अकेले चुनाव में उतर रही है। लोकसभा चुनाव में बसपा से गठबंधन के कारण लोसुपा उम्मीदवार अधिकतर स्थानों पर तीसरे स्थान पर रहे थे, लेकिन अब समीकरण बदल गए हैं। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार है। आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष नवीन जयहिंद कई उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने भी चुनाव लड़ने का एलान कर रखा है, जिसकी टिकटों का फैसला भाजपा हाईकमान को करना है।

अब विधायक नहीं, मतदाताओं की बारी

राजनीतिक तिकड़मबाजी से बेफिक्र मतदाताओं के दिल में क्या है, यह अभी तो साफ नहीं है, लेकिन चुनावी रण में कूदने वाले इन दलों को मतदाताओं ने अपनी कसौटी पर जरूर परखना शुरू कर दिया है। तमाम राजनीतिक दलों की तैयारी को देखें तो कहा जा सकता है कि भाजपा इसमें सबसे आगे है। कांग्रेस चुनाव की दिशा तय कर रही है, जबकि इनेलो व जजपा का चुनाव गति पकड़ने की तैयारी में है। कांग्रेस की बसपा के साथ मेल मिलाप की कोशिशें फेल हो गई हैं। आम आदमी पार्टी का भरोसा यदि कोई दल जीतने में कामयाब होता है तो यह उसके लिए बोनस होगा। हालांकि इस संभावना कम ही नजर आती है। जजपा से आप का समझौता टूट ही चुका है। बसपा ने ही यह घोषणा कर रखी है कि वह अकेले ही सभी 90 सीटों पर उतरेगी।

भाजपा में पहली बार सीएम का चेहरा मनोहर लाल

यह पहली बार है जब भाजपा मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ रही है। वर्ष 2014 में पहली बार बहुमत की सरकार संभालने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल को शुरू में राजनीति का नया खिलाड़ी माना जाता था। अब यही मनोहर लाल राजनीति के माहिर खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो गए। भाजपा में मनोहर लाल नीति निर्धारक की भूमिका में हैं। 47 सीटों को बढ़ाकर 75 पार ले जाने का लक्ष्य हासिल करने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मनोहर लाल को फ्री-हैंड दिया है।

सैलजा-हुड्डा की जोड़ी पर टिकी कांग्रेस की आस

पिछले पांच सालों में बिखराव का शिकार रही कांग्रेस की उम्मीदें सैलजा-हुड्डा की नई जोड़ी पर टिकी हैं। कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस के कांग्रेस में विलय के बावजूद पार्टी खेमेबाजी से उबर नहीं पाई। दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनकी टीम का पूरा समय अशोक तंवर को प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी से हटाने में बीत गया। आखिर में जाकर हुड्डा को अपनी मुहिम में सफलता मिली, लेकिन इतने कम समय में पार्टी नेताओं का मनोबल ऊंचाई तक पहुंचाना आसान नहीं। गुटों में बंटी कांग्रेस 2019 का चुनाव कितनी जिम्मेदारी और एकजुटता से लड़ पाएगी, इस पर सबकी निगाह टिकी है।

कांटों भरा होगा चौटाला परिवार का सफर

पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के परिवार के बिखराव को खत्म करने के प्रयास सिरे नहीं चढ़े हैं। चाचा अभय सिंह चौटाला और भतीजे दुष्यंत चौटाला के बीच राजनीतिक मतभेदों के चलते इनेलो टूट गई और जननायक जनता पार्टी का जन्म हुआ। इसे मजबूरी कहें या फिर जरूरत, अब भी समय है। यदि चौटाला परिवार एकजुट नहीं हो पाता तो इन दलों का सियासी सफर कांटों भरा होगा।

सक्रिय हुए नवीन जयहिंद और राजकुमार सैनी

हरियाणा में तेजी से पैठ बना रही आम आदमी पार्टी स्वच्छ छवि के उम्मीदवारों की घोषणा कर माहौल को अपने पक्ष में बनाने की कोशिश में है। भिवानी जिले की सिवानी मंडी के रहने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का हरियाणा से पुराना नाता है। आम आदमी पार्टी ने पिछला विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा था। इस बार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पंडित नवीन जयहिंद ने प्रचार आरंभ कर दिया है।

हरियाणा की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पंजाब की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें 

chat bot
आपका साथी