आजाद जीतकर विज पहुंचे थे विधानसभा, बंसी लाल और चौटाला को दिया था समर्थन
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अंबाला छावनी सीट से जीत दर्ज करने वाले इकलौतेआजाद उम्मीदवार रहे हैं। सुषमा की सीट खाली होने के बाद भाजपा ने विज को मैदान में उतारा था।
पानीपत/अंबाला, [दीपक बहल]। अंबाला विधानसभा की पांच सीटें बेशक घटकर चार रह गई, लेकिन आजाद उम्मीदवार को अंबाला के मतदाताओं ने मात्र अंबाला छावनी सीट से ही जीत का तोहफा दिया। छावनी सीट से अनिल विज दो बार बतौर आजाद उम्मीदवार जीतकर विधानसभा तक पहुंचे। जनता के विकास कार्य न रुकें और सरकार की छावनी पर मेहरबानी भी बनी रही, इसलिए बंसी लाल और चौटाला सरकार को बाहर से समर्थन देते रहे। यही कारण रहा है कि चौटाला और बंसी लाल सरकार भी विज पर मेहरबान रही और अलग-अलग तोहफे मिले।
वर्ष 1996 में बनी बंसी लाल सरकार के कार्यकाल में विज ने बाहर से समर्थन दिया, जबकि इस दौरान अंबाला छावनी को नया बस स्टैंड भी मिला। इसी तरह वर्ष 1999 में ओम प्रकाश चौटाला सीएम बने तो विज ने इस सरकार को भी बाहर से समर्थन जारी रखा। चौटाला के कार्यकाल में अंबाला छावनी को राजकीय कालेज व नहरी पानी योजना मिली।
हर विस चुनाव में औसतन 12 आजाद उम्मीदवारों ने आजमाई किस्मत
अंबाला छावनी विधानसभा सीट की बात करें, तो हर चुनाव में औसतन बारह आजाद उम्मीवारों ने चुनाव लड़ा है। हालांकि यह कभी जीत नहीं पाए, जबकि इन में से कइयों की तो जमानत तक जब्त हुई हैं। अनिल विज ही ऐसे आजाद उम्मीदवार रहे, जो दो बार जीते और विधानसभा में अपनी जगह बना सके।
भाजपा से मनमुटाव पर विज ने बनाई भी अपनी पार्टी
कभी भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर जीतने के बाद एक समय ऐसा भी आया, जब भाजपा और विज में मनमुटाव हो गया। इसी के चलते अनिल विज ने विकास परिषद के नाम से अपनी ही पार्टी का गठन कर लिया। 8 अक्तूबर 2007 को अंबाला छावनी के 62ए, शास्त्री कालोनी के पते पर यह पार्टी रजिस्टर्ड की गई थी। इसमें अनिल विज प्रधान, सतपाल ढल उपप्रधान, सीपी शर्मा व ललता प्रसाद महासचिव, सतपाल भाटिया कोषाध्यक्ष थे।
सुषमा के राज्य सभा में सदस्य बनने पर विज की हुई थी एंट्री
अंबाला छावनी विधानसभा से विधायक रहते सन 1990 में राज्य सभा की सदस्य बनकर भेज दिया गया था। विधायक पद से इस्तीफा दिया, जिसके बाद अनिल विज को भाजपा ने टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था। हालांकि राजनीति की शुरुआत 1970 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के महासचिव बनने से हुई थी। विज ने 1974 में स्टेट बैंक आफ इंडिया ज्वाइन किया था। 1990 में अंबाला सीट से सुषमा स्वराज के राज्यसभा में चले जाने के कारण यह सीट खाली हो गई थी। सुषमा स्वराज के चले जाने के बाद विज को इस सीट पर विधायक का चुनाव लडऩे का आफर मिला और उन्होंने नौकरी छोड़ दी। बैंक की नौकरी छोड़कर वे फुल टाइम नेता बन गए और 1990 में पहला चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
विज ने बनाई थी जीत की हैट्रिक
विज ने 1990 में पहली बार चुनाव लड़ा था। उसके बाद वर्ष 1990, 1996, 2000 में लगातार जीत हासिल की। हालांकि इसके बाद 2004 का चुनाव हार गए, लेकिन 2009 में बतौर आजाद और वर्ष 2014 में भाजपा की टिकट पर जीत हासिल की।