इन 3 कारणों से सुभाष चोपड़ा और कीर्ति आजाद पर सोनिया गांधी ने लगाया दांव

Delhi Assembly Election 2020 कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुभाष चोपड़ा पर दांव लगाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 09:03 PM (IST) Updated:Thu, 24 Oct 2019 09:30 AM (IST)
इन 3 कारणों से सुभाष चोपड़ा और कीर्ति आजाद पर सोनिया गांधी ने लगाया दांव
इन 3 कारणों से सुभाष चोपड़ा और कीर्ति आजाद पर सोनिया गांधी ने लगाया दांव

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। शीला दीक्षित के निधन के बाद 20 जुलाई से खाली पड़े दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Delhi Pradesh Congress Committee) अध्यक्ष पद पर आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद बृहस्पतिवार को सुभाष चोपड़ा (Subhash Chopra) की नियुक्ति हो गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Congress president Sonia Gandhi) ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सुभाष चोपड़ा पर दांव लगाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है। इसके साथ ही कीर्ति आजाद (Kirti Azad) को दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 के लिए चुनाव प्रचार समिति का प्रभारी बनाकर भाजपा और आम आदमी पार्टी के सामने भी चुनौती पेश कर दी है। 

आइये 3 प्वाइंट्स में जानते हैं कि आखिर सोनिया गांधी ने दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और चुनाव प्रचार समिति की कमान कीर्ति आजाद को ही क्यों दी?

स्थानीय को दी तरजीह

1. बताया जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कीर्ति आजाद के मुकाबले दिल्ली निवासी सुभाष चोपड़ा को तरजीह इसलिए क्योंकि वह स्थानीय हैं और दिल्ली की राजनीति में कई दशकों से सक्रिय हैं। जहां आम आदमी पार्टी मुखिया अरविंद केजरीवाल हरियाणा के हिसार से ताल्लुक रखते हैं, तो भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी बिहार-यूपी से संबंध रखते हैं। ऐसे में सुभाष चोपड़ा स्थानीय होने के नाते सोनिया गांधी को ज्यादा भाए।

पंजाबी-पूर्वांचली गठजोड़

2. सोनिया गांधी ने सुभाष चोपड़ा को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाकर पंजाबी वोटर्स को साधने की कोशिश की है, तो कीर्ति आजाद को दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार समिति का प्रभारी बनाकर पूर्वांचल के वोटर्स पर भी नजर रखी है। कांग्रेस मानकर चल रही है कि अगर पूर्वांचल और पंजाबी वोटर्स का साथ मिला तो पार्टी दिल्ली में न केवल मजबूती से लड़ेगी, बल्कि अच्छी खासी सीटें भी हासिल कर सकती है।

3. शांत स्वभाव होगा सकारात्मक पहलू

वरिष्ठ कांग्रेस नेता सुभाष चोपड़ा शांत स्वभाव के माने जाते हैं। वह शीला दीक्षित की सरकार के दौरन जून, 2001 से दिसंबर, 2003 तक दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष भी रहे। इस दौरान पद की गरिमा के मद्देनजर उनके स्वभाव और काम की भी सराहना हुई। इसके अतिरिक्त वह पढ़ाई-लिखाई के लिए जाने जाते हैं।

भाजपा पर रहे हैं हमलावर

लोकसभा चुनाव के वक्‍त उन्‍होंने भाजपा पर अपने घोषणापत्र के 125 वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही रोजगार सहित बुनियादी सुविधाओं के लिए भी काम नहीं करने की बात कह कर भाजपा को घेरा था। नेशनल स्पोर्टस क्लब ऑफ इंडिया में हुए एक पत्रकार वार्ता के दौरान उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों को रोजगार देने से लेकर देश की अर्थव्यवस्था में सुधार, देश और दिल्ली में ढांचागत संरचना का निर्माण, झुग्गीवालों को घर देने जैसे तमाम वादे शामिल थे। लोगों को आश्वासन दिया गया था कि विदेशों में जमा काला धन भारत लाकर उसे आम लोगों में वितरित किया जाएगा। इनमें से भाजपा ने किसी को पूरा नहीं किया।

आम आदमी पार्टी पर साधा था निशाना

चोपड़ा ने कहा था कि भाजपा और आम आदमी पार्टी की नूरा कुश्ती में दिल्ली की जनता पिस रही है। उन्होंने आम आदमी पार्टी के पूर्ण राज्य के मुद्दे को भी दिल्लीवासियों को गुमराह करने वाला बताया था।

यह भी जानिए सुभाष चोपड़ा के बारे में सुभाष चोपड़ा कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ चुके हैं। ब्रिटेन से कानून की भी पढ़ाई कर चुके हैं दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।  दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति में वह कोषाध्यक्ष के अतिरिक्त महासचिव और उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं सुभाष चोपड़ा पहले भी कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं।

कीर्ति आजाद के बारे में जानिए बिहार में जन्मे कीर्ति आजादी नामी क्रिकेटर भी रहे हैं।  वह दिल्ली के गोल मार्केट विधानसत्रा क्षेत्र से विधायक और दरभंगा से 3 बार सांसद भी रहे हैं। बेबाक टिप्पणी के लिए जाने जाते हैं। कीर्ति आजाद ने बतौर क्रिकेटर 1980 से 1986 तक क्रिकेट खेला। इस दौरान कुल 7 टेस्ट मैच और 25 एकदिवसीय मैचों में टीम इंडिया का हिस्सा रहे।

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