Chhattisgarh Election Result 2018 : इस बार उइके को महंगा पड़ा दलबदल

Chhattisgarh Election Result 2018 : एक बार फि‍र साबित हुआ कि रामदयाल उइके जिस पार्टी में जाते हैं उसकी सरकार नहीं बनती है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Tue, 11 Dec 2018 10:04 PM (IST) Updated:Tue, 11 Dec 2018 10:04 PM (IST)
Chhattisgarh Election Result 2018 : इस बार उइके को महंगा पड़ा दलबदल
Chhattisgarh Election Result 2018 : इस बार उइके को महंगा पड़ा दलबदल

कोरबा। पाली-तानाखार विधानसभा सीट से तीन बार विधायक रहे भाजपा प्रत्याशी रामदयाल उइके को आखिरकार दल बदलना महंगा पड़ा। इस तरह हारेंगे इसकी कल्पना भी उन्होंने शायद दल बदलने के वक्त नहीं की रही होगी। इसके पहले जब भी वे दल बदले, भले ही उस पार्टी की सरकार नहीं बनी, लेकिन वे चुनाव जीतते रहे हैं।

ऐन चुनाव के समय कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन का थामने के बाद चुनाव हार गए बल्कि सरकार भी भाजपा की चली गई। मोहित केरकेट्टा के जीत ने यह भी साबित कर दिया है कि पाली-तानाखार रामदयाल का नहीं बल्कि कांग्रेस का है।

राज्य गठन के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए मरवाही से अपनी सीट छोड़ने वाले भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने वर्ष 2003 में यहां से चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। लगातार तीन बार विधायक रहे उइके ऐन चुनाव के पूर्व कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। 1993 से लगातार तीसरे स्थान पर रही भाजपा ने इस सीट को हथियाने रामदयाल उइके को मैदान में उतारा।

इसके साथ नया समीकरण तेजी से बना। कांग्रेस ने अंतिम क्षणों में मोहित केरकेट्टा को मैदान में उतारा और उन्होंने यह जीत हासिल की। यहां लगातार तीन बार विधायक रहे रामदयाल उइके को पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस मेंे रह कर रामदयाल ने पिछले चुनाव में 69450 मत हासिल किए था। वहीं तीसरे स्थान पर रही भाजपा को 33594 वोट मिले थे।

ऐसी स्थिति में यह स्पष्ट हो गया कि रामदयाल की हार नहीं बल्कि भाजपा की हार है और केरकेट्टा ने नहीं बल्कि कांग्रेस ने जीत हासिल की है। रामदयाल के साथ यह मिथक भी रहा है कि वे जिस पार्टी से विधायक चुने जाते हैं, उसकी सरकार नहीं बन पाती है। वर्तमान में भी यही स्थिति निर्मित हुई। अविभाजित मध्यप्रदेश में उइके मरवाही से भाजपा से विधायक चुने गए थे, उस वक्त मध्यप्रदेश में कांग्रेस के दिग्विजय सिंह की सरकार थी।

यहां यह बताना लाजिमी होगा कि पाली-तानाखार विधानसभा की जीत का रास्ता गोंडवाना आदिवासी समाज की गलियों होकर गुजरता है। दो लाख 12 हजार 232 मतदाता वाले इस विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 37 हजार गोंड़ समाज के मतदाता हैं यानी जिसने इस समाज को साध लिया, उसकी जीत सुनिश्चित हो जाती है। मजेदार बात यह है कि पाली-तानाखार में जिस नेता ने दल बदला, उसकी राजनीति उतनी चमकी। वर्ष 1977 के बाद जो भी यहां से विधायक बने, वे अपने दल बदल लिए।

भाजपा से अमोल सिंह सलाम विधायक चुने गए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। वर्ष 1985 में भाजपा ने हीरासिंह मरकाम को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की, पर बाद में भाजपा छोड़कर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बना ली। इस पार्टी से विधायक भी चुने गए और राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी हुई है। उधर भाजपा से कांग्रेस में आए अमोल सिंह सलाम 1998 में चुनाव लड़े, पर हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें उपकृत कर राज्य सेवा आयोग का सदस्य बनाया।

राज्य गठन के बाद भी यह स्थिति बरकरार रही। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए मरवाही से अपनी सीट छोड़ने वाले भाजपा विधायक रामदयाल उइके ने वर्ष 2003 मंे यहां से चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। लगातार तीन विधायक रहने के साथ ही उइके का राजनीतिक कद बढ़ा और प्रदेश कांग्रेस में कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया गया।

उइके रहते तो मंत्री के दावेदार रहते

रामदयाल उइके यदि कांग्रेस में ही रहते तो उनका चुनाव जीतना तय था। इसके साथ ही उनके मंत्री बनने का रास्ता खुल जाता। तीन बार कांग्रेस से विधायक बन चुके थे। मंत्री पद पर उनकी मजबूत दावेदारी रहती। 15 साल के वनवास से तंग आकर ही सत्ताधारी भाजपा के पाले में गए थे, लेकिन हाय रे किस्मत दगा दे गई।

बात किस्मत की चल पड़ी है तो यह भी बता दें कि कांग्रेस ने रामदयाल के छोड़ने पर अचानक से मोहित लाल केरकेट्टा को मैदान में उतारा था। कांग्रेस में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे, बल्कि कुछ समय के लिए जोगी कांग्रेस के साथ चले गए थे, लेकिन उनकी किस्मत में विधायक की कुर्सी लिखी हुई थी।  

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