CG Chunav 2018 : किसानों के मुद्दे अचानक प्रभावी, नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें

CG Chunav 2018 छत्‍तीसगढ़ में करीब सालभर से अलग-अलग मुद्दों को लेकर आंदोलित रहे हैं किसान।

By Hemant UpadhyayEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 07:27 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 07:27 PM (IST)
CG Chunav 2018 : किसानों के मुद्दे अचानक प्रभावी, नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें
CG Chunav 2018 : किसानों के मुद्दे अचानक प्रभावी, नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें

रायपुर। छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण की 72 विधानसभा सीटों पर मतदान की घड़ी नजदीक आते ही राज्य का अन्नदाता अचानक सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है। तारीखें गवाह हैं कि प्रदेश के किसान लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत रहे, जेल गए और लाठियां भी खाईं।

तब न भाजपा सरकार ...और न ही किसी दूसरे राजनीतिक दल ने उनकी सुध ली थी। लेकिन मौका चुनाव का है और छत्तीसगढ़ की बहुसंख्य आबादी खेती-किसानी पर निर्भर है। ऐसे में चुनाव के दौरान किसानों की याद आना स्वाभाविक है।

कांग्रेस को लगा कि किसान सरकार से नाराज हैं तो उसने अपने घोषणापत्र में किसानों के हित में तमाम घोषणाएं कर डालीं। भाजपा पहले ही बोनस बांट रही है इसलिए उसे भरोसा था कि किसान पार्टी के पक्ष में बने रहेंगे। हालांकि चुनाव आते ही विपक्ष इस मुद्दे पर बाजी पलटने की कोशिश में लग गया।

अब समर्थन मूल्य फिर से बड़ा मुद्दा बनकर खड़ा हो गया है और इसने सभी दलों के नेताओं पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। कांग्रेस-जकांछ-आप सभी ने किसानों को धान का समर्थन मूल्य 25 से 2600 रुपये तक देने का वादा किया है। धान का समर्थन मूल्य, केंद्रीय मूल्य एवं लागत आयोग तय करता है। इसकी एक प्रक्रिया होती है, लेकिन वादे तो हैं और वादों का क्या।

बहरहाल, भाजपा को देर से समझ में आया कि कहीं ऐसा न हो कि किसान दूसरे दलों के झांसे मेें आ जाएं। अब पार्टी समर्थन मूल्य बढ़ाने का फामूर्ला भी बता रही है और बोनस का भी। भाजपा के शीर्ष नेता अब कह रहे हैं कि -भाजपा ही ऐसी पार्टी है जो 26 सौ क्या, 27 सौ भी समर्थन मूल्य दे सकती है। जाहिर है, दल कोई भी हो, किसान सबके लिए अहम हैं। भले ही चुनाव के बाद उनकी सुध फिर कोई न ले।

इस खेल में अभी तो किसान ही आगे

किसानों को लेकर जो खेल हो रहा है उसमें बाजी फिलहाल किसानों के पास ही है। सरकार ने इस बार किसानों को समर्थन मूल्य में जोड़कर बोनस देने की योजना बनाई। इससे उन्हें प्रति क्विंटल 2050 रुपये मिलेंगे। धान खरीद भी 15 नवंबर की बजाय एक नवंबर से शुरू करा दी गई। इसके जवाब में कांग्रेस यह घोषणा लेकर आ गई कि अगर हमारी सरकार आई तो दस दिन में कर्ज माफ हो जाएगा, इसके अलावा धान का समर्थन मूल्य भी 25 सौ रुपये मिलेगा। अब हालत यह है कि धान खरीदी केंद्रों पर धान पहुंच ही नहीं रहा है।

किसानों का कहना है कि अभी क्यों बेचें। नई सरकार आएगी तो कर्ज माफ हो जाएगा। अभी बेचेंगे तो भुगतान से पहले पुराना कर्ज काट लिया जाएगा। हालत यह है कि किसान मजबूरी में ही धान लेकर जा रहे हैं। खरीदी केंद्रों में जितना धान आना चाहिए, नहीं आ रहा है।

विपक्ष याद दिला रहा पुराना वादा

भाजपा ने पिछले चुनाव से पहले वादा किया था कि धान का समर्थन मूल्य 21 सौ देंगे और प्रति क्विंटल तीन सौ रुपये बोनस अलग से देंगे। सरकार बनने के बाद दो साल बोनस नहीं दिया गया। अब विपक्ष ने इसे सरकार के खिलाफ मुद्दा बना दिया है। इधर, सरकार याद दिला रही है कि अब तो किसानों की हालत सुधरी है, कांग्रेस के समय तो धान भिगोकर लिया जाता था।  

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