Bihar Assembly Election 2020: पीएम मोदी और राहुल गांधी की मौजूदगी से बिहार चुनाव में बदल सकती है चर्चा
मोदी सामान्यतया विकास के साथ साथ राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात करते हैं। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और तेज तर्रार चुनावी रणनीतिकार हैं। अगर राहुल गांधी फिसले और चाहे अनचाहे चुनावी चर्चा को मोदी पर मोड़ दिया तो महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकती है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जंगलराज, विकास, रोजगार और चेहरे के मुद्दे पर बिहार में चल रही तेज बहस के बीच शुक्रवार का दिन अहम हो सकता है। दरअसल, इस चुनाव में यह पहला मौका होगा जब राजग के स्टार प्रचारक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता राहुल गांधी दोनों ही बिहार में होंगे। ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि शुक्रवार के बाद मुद्दे कितने बदलते हैं। जाहिर तौर पर महागठबंधन में यह बेचैनी भी होगी कि कहीं 'चर्चा का चेहरा' न बदल जाए।
अब तक विपक्षी नेताओं की ओर से मोदी को चर्चा से रखा गया है दूर
अब तक महागठबंधन नेताओं की ओर से भरपूर सतर्कता बरती गई है कि प्रधानमंत्री मोदी को चर्चा का विषय न बनने दिया जाए। पिछले कई चुनावों में विपक्षी दलों और साथियों को इसका अहसास हो गया है कि लोकसभा ही नहीं विधानसभाओं में भी मोदी न सिर्फ आकर्षण के बिंदु होते हैं बल्कि वोट को प्रभावित भी करते हैं। शायद यही कारण है कि बिहार में विपक्षी दलों की ओर से कोई नेता मोदी या केंद्र सरकार पर बोलने से बच रहा है।
तेजस्वी ने सिर्फ नीतीश कुमार शासन को बनाया निशाना
महागठबंधन के मुख्यमंत्री उम्मीदवार तेजस्वी की ओर से सिर्फ नीतीश कुमार शासन को निशाना बनाया जा रहा है। दोनों ओर से व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। नीतीश जाहिर तौर पर लालू राज की याद दिलाते हैं तो तेजस्वी पंद्रह साल की सत्ताविरोधी लहर पर सवार होना चाहते हैं। जबकि नीतीश और जदयू के लिए परेशानी का सबब बने लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान मोदी की लोकप्रियता को अपना अस्त्र बना कर घूम रहे हैं। पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को है और उससे पहले शुक्रवार को मोदी चुनाव अभियान में उतर रहे हैं। शुक्रवार को वह बिहार में तीन रैलियां करेंगे। जबकि राहुल की दो रैलियां होनी हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यही चुनाव अभियान का रोचक बिंदु हो सकता है। मोदी सामान्यतया विकास के साथ साथ राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर बात करते हैं। वह एक कुशल राजनीतिज्ञ और तेज तर्रार चुनावी रणनीतिकार हैं। अगर राहुल गांधी फिसले और चाहे अनचाहे चुनावी चर्चा को मोदी पर मोड़ दिया तो महागठबंधन के लिए मुश्किल हो सकती है। हालांकि राहुल की स्वाभाविक आक्रामकता को देखते हुए इससे इनकार करना भी मुश्किल है कि राहुल का भाषण नीतीश सरकार से ज्यादा मोदी सरकार पर केंद्रित हो।
महागठबंधन के लिए डर यह है कि कहीं चेहरा ही मोदी न बन जाएं। ध्यान रहे कि मोदी बिहार में लगभग एक दर्जन रैलियां करने वालें है और इसमें जदयू की सीटें भी शामिल होंगी। जबकि राहुल गांधी लगभग आधा दर्जन सभाएं कर सकते हैं। प्रधानमंत्री की कई सभाएं नीतीश कुमार के साथ होंगी। जबकि राहुल और तेजस्वी की संयुक्त सभाओं को लेकर अब तक स्पष्टता नहीं है।