Nautan Election 2020: पश्चिम चंपारण की इस सीट पर विक्षुब्धों की गतिविधियों पर टिकी जीत-हार
Nautan Election 2020 भाजपा के सीटिंग विधायक नारायण प्रसाद टिकट लेकर पुन पूरे दमखम के साथ मैदान में डटे। वहीं जब यह सीट भाजपा के कोटे में चली गई तो जदयू की पूर्व विधायक मनोरमा प्रसाद ने बागी तेवर अख्तियार किया और निर्दलीय बन उम्मीदवारी ठोक दी।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। पश्चिमी चंपारण जिले के नौतन विधानसभा क्षेत्र में इस बार की चुनावी बयार काफी दिलचस्प बही। यहां के मतदाता राजनीतिक रूप से काफी प्रखर रहे हैं और अंत समय तक राजनीतिक दलों के नेताओं और राजनैतिक विश्लेषकों के लिए यह अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है कि आखिर ऊंट किस करवट बैठने वाला है। इस बार की परिस्थितियां भी कोई इससे जुदा नहीं हैं। वोटर खामोश होकर मताधिकार का प्रयोग । ऐसे परिदृश्य में भाजपा के सीटिंग विधायक नारायण प्रसाद भाजपा का टिकट लेकर पुन: पूरे दमखम के साथ मैदान में डटे। वहीं जब यह सीट भाजपा के कोटे में चली गई तो जदयू की पूर्व विधायक मनोरमा प्रसाद ने बागी तेवर अख्तियार किया और निर्दलीय बन उम्मीदवारी ठोक दी।
भाजपा उम्मीदवार नारायण प्रसाद की जीत की राह में भितरघात की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा रहा। क्योंकि पार्टी के कई दिग्गज यहां से टिकट की आस लगाए थे और अब निराशा हाथ लगने पर भितरघात कर सकते हैं। कांग्रेस के शेख कामरान यहां से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। भितरघात की आशंका से तो महागठबंधन भी वंचित नहीं है।
यहां से बैरिया निवासी शंकर चौधरी और जिला परिषद के पूर्व अध्यक्ष अमर यादव ने भी राजद का टिकट लेकर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रखी थी। जबकि बैरिया के प्रमुख मधुसूदन तिवारी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडऩा चाहते थे। अब देखना है कि राजनीतिक महत्वाकांक्षा रखने वाले पार्टी और गठबंधन की जीत की खातिर त्याग की भावना रखते हैं या उनका मोहभंग पार्टी की जीत की राह में रोड़े अटकाएगा। यहां कुल 15 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। मतदान संपन्न होने के बाद सबकी नजर अब 10 तारीख पर है। यहां 60.57 फीसद लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया।
2020 के प्रमुख प्रत्याशी :
नारायण प्रसाद, भाजपा
शेख मोहम्मद कमरान, कांग्रेस
नंद किशोर कुशवाहा, रालोसपा
मनोरमा प्रसाद, निर्दलीय
प्रमुख मुद्दे :
1. बाढ़ विस्थापित : दियारे में बाढ़ एवं कटाव, विस्थापितों की समस्याओं को कोई नहीं सुन रहा। इससे उनमें आक्रोश है।
2.जल विद्युत परियोजना : मथैली जल विद्युत परियोजना को लेकर यहां के लोगोंं में काफी उत्साह था। लेकिन उस परियोजना पर ग्रहण लगने से फिलहाल निराशा का आलम है।
3. तटबंध सुदृढ़ीकरण : चंपारण तटबंध के सुदृढ़ीकरण की योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है।
4. जर्जर सड़क : यहां से बेतिया को जाने वाली सड़क अत्यंत जर्जर हाल में है।आम लोगों के लिए यह काफी तकलीफदेह है।