Warisnagar Election 2020: जदयू की राह को रोकने में जी-जान से जुटी थी लोजपा, जानिए पूरा समीकरण
Warisnagar Election News 2020 अशोक कुमार मुन्ना जदयू की ओर से एक बार फिर मैदान में हैं। जबकि महागठबंधन से भाकपा माले प्रत्याशी फूलबाबू सिंह चुनाव लड़ रहे। वहीं पूर्व मंत्री गजेन्द्र प्रसाद सिंह की पत्नी डॉ. उर्मिला सिन्हा भी इस बार मैदान में हैं।
समस्तीपुर,जेएनएन। समस्तीपुर जिले का वारिसनगर सीट शुरू से ही समाजवादियों का गढ रही है। इस सीट से पहले राजद के प्रत्याशी जीतते रहे हैं। इधर, पिछले कुछ चुनावों से जदयू का कब्जा रहा है। अशोक कुमार मुन्ना जदयू की ओर से एक बार फिर मैदान में हैं। जबकि महागठबंधन से भाकपा माले प्रत्याशी फूलबाबू सिंह चुनाव लड़ रहे । सबसे बड़ी बात यह है कि राजद से बगावत कर पूर्व मंत्री गजेन्द्र प्रसाद सिंह की पत्नी डॉ. उर्मिला सिन्हा भी इस बार मैदान में हैं। वह लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। इसके अलावा रालोसपा समेत अन्य प्रत्याशियों ने भी अपने उम्मीदवार उतारे। हर बार जदयू का मुकाबला महागठबंधन खासकर राजद के साथ ही होता रहा है। इस बार का मुकाबला कुछ अलग था। लोजपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतारकर इस बार की लड़ाई को त्रिकोण बनाने की कोशिश की थी। अब देखना है कि इस बार किसके सिर पर जीत का सेहरा बंधता है। इस बार 57.19 फीसद मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया।
2020 के प्रमुख प्रत्याशी
अशोक कुमार, जदयू
फूलबाबू सिंह, भाकपा माले
डॉ. उर्मिला सिन्हा, लोजपा
2015 के विजेता, उपविजेता और मिले मत :
अशोक कुमार (जदयू) : 92,687
चंदेश्वर राय (लोजपा) : 34,114
2010 विजेता, उपविजेता और मिले मत :
अशोक कुमार (जदयू) : 46,245
गजेन्द्र प्रसाद सिंह (राजद) : 26,745
2005 विजेता, उपविजेता और मिले मत :
महेश्वर हजारी (लोजपा) : 33,565
भिखर बैठा (राजद) : 29,886
कुल वोटर : 3,18,783
पुरुष वोटर : 1,69,182 (53.712 प्रतिशत)
महिला वोटर : 1,49,590 (49.925 प्रतिशत)
ट्रांसजेंडर वोटर : 11 (0.00345 प्रतिशत)
जीत का गणित :
जहां तक इस विधानसभा क्षेत्र के कुल वोटरों का प्रश्न है तो तीन लाख अठारह हजार के करीब हैं। इनमें करीब 95 फीसद जनसंख्या गांवों में रहती है, जबकि 5 फीसद शहरों में। अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमश: 19.53 और 0.02 है। इस सीट पर कोइरी, कुर्मी, राजपूत, यादव, दुसाध आदि जातियों का अच्छा-खासा प्रभाव है। खासकर कुर्मी, कोइरी एवं राजपूत यहां निर्णायक माने जाते हैं।
प्रमुख मुद्दे :
1. बाढ का स्थायी निदान : इस विधानसभा का अधिकांश क्षेत्र बाढ प्रभावित है। हर साल यहां के लोग बाढ से बुरी तरह प्रभावित होते हैं। संयोग है कि पिछले तीन-चार सालों से इस क्षेत्र में बाढ नहीं आयी है। इस बाढ से निवटने का अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल सका है।
2. जलजमाव किसानों की बड़ी समस्या : इस विधानसभा क्षेत्र के कई चौर हैं जहां जलजमाव की समस्या रहती है। जल निकासी का प्रबंध नहीं होने से किसानों को खेती-बारी करने में काफी दिक्कत होती है।
3. सड़कों की जर्जरता : इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या सड़कों की जर्जरता है। मुख्य सड़कें तो बन गई हैं लेकिन छोटी-छोटी सड़कें आज भी जर्जर हैं। जिसके कारण लोगों को परेशानी होती है।