बारिश में कहर बरपातीं जीवनदायिनी नदियां, जनप्रतिनिधि उदासीन

विधानसभा चुनाव की तिथि नजदीक आ चुकी है। सभी दल अपने प्रत्याशी को बेहतर बता रहे हैं। कुछ उम्मीदवारों के पास नए वादे व घोषणाएं हैं। कुछ पूर्व के कार्य को हीं सही करार नहीं देते हैं। कुछ प्रत्याशी अलग ढंग से नई कहानी गढ़ने में लगे हैं। पर क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में नदियों का कटाव रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 11:15 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 11:15 PM (IST)
बारिश में कहर बरपातीं जीवनदायिनी नदियां, जनप्रतिनिधि उदासीन
बारिश में कहर बरपातीं जीवनदायिनी नदियां, जनप्रतिनिधि उदासीन

बगहा । विधानसभा चुनाव की तिथि नजदीक आ चुकी है। सभी दल अपने प्रत्याशी को बेहतर बता रहे हैं। कुछ उम्मीदवारों के पास नए वादे व घोषणाएं हैं। कुछ पूर्व के कार्य को हीं सही करार नहीं देते हैं। कुछ प्रत्याशी अलग ढंग से नई कहानी गढ़ने में लगे हैं। पर, क्षेत्र की मुख्य समस्याओं में नदियों का कटाव रहा है। नदियों के कहर से कृषि भूमि का कटाव तो होता ही है। कई गांवों का अस्तित्व समाप्त होने को है। लेकिन, इस ओर कोई ध्यान नहीं देता। हालांकि मतदाता ऐसे उम्मीदवार की तलाश कर रहे हैं, जो अपने वादे पर खरा उतरे। इसलिए वोटर सुन सबकी रहे हैं। पर, आश्वासन के सिवा कुछ पक्का वादा नहीं कर रहे हैं। बता दें कि प्रखंड में करीब आधा दर्जन नदियां गुजरती हैं। बरसात के चार महीने तक सभी नदियां उफान पर होती हैं। इन नदियों का पानी तटवर्ती गांवों में घुसकर मुश्किलें खड़ी करता है। कहीं कृषि भूमि का कटाव होता है तो कहीं रतजगा कर ग्रामीण घरों में घुसे पानी को निकलने में बीता देते हैं। मसान नदी में बरसात के दिनों में ऊफान के कारण कई लोगों की जान भी चली गई है। वहीं दर्जनों माल मवेशी भी बह गए हैं। जो इस क्षेत्र की प्रमुख समस्या है। आधा दर्जन नदियों से प्रभावित होते दर्जनों गांव

क्षेत्र से कापन, मसान, सिगहा, ढोंगही, सुखौड़ा, रघिया आदि नदियां गुजरती हैं। बरसात के दिनों में इसमें ऊफान आ जाती है। इससे गोबरहिया, मदरहवा टोला, चंपापुर, नरकटिया, दायर, गर्दी, सेमरहनी, अवरहिया, चमरडीहा बड़गांव, हरिहरपुर, कुम्हिया, बड़ा बेलवा, इमरती कटहरवा, बलुआ, सिगाही, पथरी, मनचंगवा, हरपुर, शिवपुरवा, धनरपा, मुहई, सेरहवा, इनारबरवा आदि गांव प्रभावित होते हैं। इसमें से कुछ जगहों पर कृषि भूमि का कटाव होता है तो कई जगहों पर फसलें जलजमाव के कारण खराब हो जाती हैं। कहीं नदियों से सड़कों का कटाव होता है तो कुछ पुल-पुलिया ही ध्वस्त हो गए हैं। यही नहीं कुछ तटवर्ती गांवों के लोग बरसात के दिनों में रतजगा तक करते हैं। जिन्हें ऊंचे स्थलों पर शरण लेना पड़ता है। जलस्तर कम होने पर इनकी घर वापसी होती है। हुआ है काम, अभी और जरूरत

ऐसा नहीं हैं कि इस दिशा में काम नहीं हुआ है। हरिहरपुर के पास पायलट चैनल, पारकोपाइन बांध, जिओ बैग, बांस पाइलिग आदि कार्य हुआ है। पुलिया के समीप पक्का गाइड बांध का निर्माण भी हुआ है। पर, जनता इसे नाकाफी बताती है। अभी धनरपा, सेरहवा के साथ मनचंगवा समेत कई स्थलों पर कार्य नहीं हो सका है। जिसकी मांग बराबर उठती रही है। कहते हैं ग्रामीण

बलुआ के अशोक कुमार का कहना है कि सालों से बरसात में कई एकड़ फसल खराब हो जाती है। यह नदियों को व्यवस्थित नहीं करने से हुआ है। गुदगुदी के सोमनाथ का कहना है कि पक्का गाइड बांध जबतक नहीं बन जाता है, तबतक यह समस्या दूर नहीं होगी। प्रत्येक चुनाव में केवल आश्वासन दिया जाता है। इधर इनारबरवा के राजन तिवारी का कहना है कि प्रत्येक वर्ष बांस पाइलिग व कटावरोधी कार्य में जितना खर्च होता है, उतना में पक्का बांध बन जाता। पर, यह कार्य नहीं किया जाता है।

----------------------- कुछ गांवों के किनारे पक्के बांध की आवश्यकता है। इसके बारे में लगातार प्रयास किया जा रहा है। कुछ स्थलों पर कार्य कराया गया है। जिससे कई गांवों को राहत मिली है।

भागीरथी देवी, विधायक

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