Tarari Election 2020 : नक्‍सल की चुनौती से मुश्किल से उबरा है तरारी, यहां भाजपा और माले की टक्‍कर

Tarari Election News 2020 आरा जिले के अंतर्गत तरारी विधानसभा क्षेत्र का इलाका घनघोर रूप से नक्‍सल समस्‍या का शिकार रहा है। अब यहां हालात बदले हैं। इस सीट पर भाजपा और माले में मुकाबले के आसार हैं। पूर्व विधायक सुनील पांडेय इस बार निर्दलीय मैदान में हैं।

By Shubh NpathakEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 05:25 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 09:02 PM (IST)
Tarari Election 2020 : नक्‍सल की चुनौती से मुश्किल से उबरा है तरारी, यहां भाजपा और माले की टक्‍कर
नक्‍सल की चुनौती से मुश्किल से उबरा है तरारी, यहां भाजपा और माले की टक्‍कर

आरा, जेएनएन। Tarari Election News 2020 : तरारी विधानसभा सीट बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक है। यह भोजपुर जिले का हिस्‍सा है। यह क्षेत्र आरा लोकसभा सीट के अंतर्गत आता है। 1951 में हुए यहां पहले चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के देवीदयाल राम विधायक बने थे। 2015 में यहां सीपीआई एम के सुदामा प्रसाद विधायक बने। यहां कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों का अच्‍छा प्रभाव है। यह इलाका नक्‍सल समस्‍या से भी प्रभावित रहा है। तरारी में सूर्य भगवान का प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर चौदहवी शताब्दी के पूर्व का बताया जाता है। प्रथम चरण में 28 अक्‍टूबर को यहां मतदान हुआ।

प्रमुख प्रत्‍याशी

1. कौशल कुमार विद्यार्थी, भाजपा

2. सुदामा प्रसाद, भाकपा माले

3. संतोष सिंह, रालोसपा

4. सुनील कुमार पांडेय, निर्दलीय

प्रमुख मुद्दे

1. सड़क -  तरारी तक जाने वाली अधिकांश सड़कों की स्थिति खस्ताहाल है । चाहे कुरमुरी से नहर के समानांतर तरारी प्रखंड मुख्यालय तक जाने वाली सड़क हो या भाया सेदहा-तरारी सड़क, सबकी हालत खराब है । जेठवार-करथ-तरारी पथ की स्थिति किसी से छुपी नहीं है । ये सड़कें इस काबिल नहीं हैं कि कोई वाहन बैलगाडी से ज्यादा रफ्तार में दौड सके ।

2. सिंचाई - तरारी विधानसभा क्षेत्र में सहार, तरारी व पीरो प्रखंड के जो इलाके शामिल हैं, वहां सिचाई के लिए नहरें तो हैं, लेकिन ये अक्सर वक्त पर किसानों को धोखा दे जाती हैं । खासकर खरीफ सीजन में जब खेतों के पटवन की जरूरत होती हैं तब यहां की नहरें खुद पानी के लिए तरसती हैं । समुचित रख रखाव व मरम्मती के अभाव में नहरों के टूटे तटबंध रबी मौसम में किसानों के लिए अभिशाप बन जाते हैं। तब नहर का पानी अनावश्यक रूप से खेतों में जमा होकर अच्छी रबी फसल पाने के अरमानों पर पानी फेर देता है ।

3. रोजगार - जिले के इस सुदूरवर्ती इलाके में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनी हुई है । यहां के प्रतिनिधि भले इस क्षेत्र को रोजगार का हब बनाने की बातें करते हों पर जमीनी हकीकत यह है कि यहां आज तक सूई का एक कारखाना भी नहीं लगाया गया । ऐसे में बेरोजगारी का दंश झेल रहे यहां के युवा कभी नक्सली गतिविधियों में लिप्त हुए तो कभी अपराध का सहारा लेने को विवश हो गए। युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार की तमाम कवायदें यहां कागजों तक सिमट कर रह गई ।

4. शिक्षा - तरारी विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत सहार व तरारी प्रखंडों में शिक्षा व्यवस्था बदतर स्थिति में है । सरकारी प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की स्थिति यह है कि यहां बच्चे व शिक्षक स्लेट की प्लेट में ही उलझ कर रह गए हैं । हाई स्कूलों के हालात भी कम बदतर नहीं है वही उच्च शिक्षा के लिए क्षेत्र के प्रतिभाओं को आज भी बडे शहरों का रूख करना पडता है । तकनीकी शिक्षा के लिए यहां आईटीआई या ऐसे दूसरे संस्थानों का अभाव यहां के लोगों को खटकता है ।

5. चिकित्‍सा -  तरारी विधानसभा क्षेत्र में चार-पांच सीएचसी, एपीएचसी व दर्जनों उप स्वास्थ्य केंद्र स्थापित हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश स्वास्थ्य केंद्र साधनों व चिकित्सकों के अभाव में खुद बीमार हैं । 90 फीसद स्वास्थ्य उप केंद्रों के ताले शायद ही कभी खुलते हैं । प्रखंड मुख्यालयों में स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति कुछ खास अच्छी नहीं है । यहां चिकित्सकों की कमी और संसाधनों का अभाव आज भी यथावत बरकरार है । ऐसे में क्षेत्र के लोगों को नीम हकीमों के भरोसे रहना पड़ता है ।

प्रमुख तथ्‍य

पुरुष मतदाता -  1,62,578

महिला मतदाता - 1,40,621

अन्य - 9

कुल मतदाता - 3,03,208

लिंग अनुपात - 864

वर्ष - कौन जीता - कौन हारा

2015 - सुदामा प्रसाद, सीपीआइ - गीता पांडे, एलजेपी

2010 - नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय, जदयू - अदिब रिजवी, राजद

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