बिहार चुनाव : दरभंगा की जाले सीट पर जातीय समीकरणों की भट्ठी में पक रही मुद्दों की राजनीति

Bihar Elections 2020 एनडीए से भाजपा के जीवेश कुमार मिश्रा के सामने कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मश्कूर अहमद उस्मानी। जाले विधानसभा क्षेत्र में इस बार छात्र राजनीति की उपज हैं एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशी।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 01:54 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 01:54 PM (IST)
बिहार चुनाव : दरभंगा की जाले सीट पर जातीय समीकरणों की भट्ठी में पक रही मुद्दों की राजनीति
जनता अपने मुद्दे लेकर बैठी है। वहीं, नेता उन मुद्दों के बीच अपना फार्मूला साध रहे।

दरभंगा, [ संजय कुमार उपाध्याय]। मिथिला की राजनीति में विकास और जन मुद्दे प्रभावी रहे हैं। हर विधानसभा का अपना मिजाज है। जाले विधानसभा का इतिहास बताता है कि विकास की भूख के बीच यहां के लोगों ने बदलाव खूब किए। लेकिन, इस बार के चुनाव में जातीय समीकरणों की भट्ठी में मुद्दों की राजनीति पक रही। जाले संपूर्ण और सिंहवाड़ा प्रखंड की 12 पंचायतों को मिलाकर बने इस विधानसभा क्षेत्र के लोगों को अधवारा समूह की नदियों ने खूब प्रताडि़त किया है। सो, हर बार की तरह इस बार चुनाव आसान नजर नहीं आता।

एनडीए के उम्मीदवार भाजपा के वर्तमान विधायक जीवेश कुमार मिश्र के सामने महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी छात्र संगठन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मश्कूर अहमद उस्मानी हैं। दोनों छात्र राजनीति की उपज हैं। जीवेश अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से निकले हैं, जबकि डॉ. मश्कूर अलीगढ़ की छात्र राजनीति से। नतीजा यहां का चुनाव बेहद रोमांचक है। जनता अपने मुद्दे लेकर बैठी है। वहीं, नेता उन मुद्दों के बीच अपना फार्मूला साध रहे।

हर पांच साल पर बदलाव

मतदाताओं ने यहां हर बार चेहरा बदला है। करीब-करीब सभी दलों के लोगों को यहां से मौका मिला। वैसे इस क्षेत्र पर पूर्व रेल मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता ललित नारायण मिश्र के पुत्र विजय कुमार मिश्र एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा के टिकट पर विधायक रहे। वर्ष 2014 में हुए उपचुनाव में उनके पौत्र ऋषि मिश्र भी यहां के विधायक हुए। लेकिन, बदले समीकरणों में 2015 के चुनाव में भाजपा के टिकट पर जीवेश कुमार मिश्र जीत गए। ऋषि हारकर कांग्रेस में चले गए। इस बार कांग्रेस ने उनका टिकट काट दिया है। सो, यह बात भी इलाके के लोगों के बीच चर्चा में है।

नदियों की तरह बल खाकर चल रही राजनीति

स्थानीय लोग बताते हैं कि जाले विधानसभा क्षेत्र करीब 40 किलोमीटर के दायरे में फैला है। जब भी चुनाव आता है तो विकास की बात होती है। लेकिन, अंतत: मुद्दे जातीय राजनीति का रंग ले लेते हैं। क्षेत्र में मुस्लिम, ब्राह्मण, वैश्य, भूमिहार और यादव सभी जातियों के वोट हैं। कई जातियां निर्णायक की भूमिका में रहती हैं। लेकिन, इस बार के चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर नदियों की तबाही और विकास के मुद्दे ज्यादा प्रभावी हैं। ऐसे में मुद्दों की राजनीति नदियों की तरह बल खाकर चल रही है। 

मतदाता

कुल मतदाता : 312088

पुरुष : 165525

महिला : 146558

अन्य : 05

पिछले तीन बार के चुनाव परिणाम

2005

विनर : रामनिवास प्रसाद (राजद)

रनर : विजय कुमार मिश्र (भाजपा)

2010

विनर : विजय कुमार मिश्र (भाजपा)

रनर : रामनिवास प्रसाद (राजद)

2015

विनर : जीवेश कुमार मिश्र (भाजपा)

रनर : ऋषि मिश्रा (जदयू)

जाले से चुने गए विधायक

1952 : अब्दुस्समी नदवी (कांग्रेस)

1957 : शेख ताहिर हुसैन (कांग्रेस)

1962 : एक नारायण चौधरी (कांग्रेस)

1967 : खादिम हुसैन (सीपीआइ)

1969 : तेजनारायण राउत (जनसंघ)

1972 : खादिम हुसैन (सीपीआइ)

1977 : कपिलदेव ठाकुर (जनता पार्टी)

1980 : अब्दुल सलाम (सीपीआइ)

1985 : लोकेशनाथ झा (कांग्रेस)

1990 : विजय कुमार मिश्र (कांग्रेस)

1995 : अब्दुल सलाम (भाकपा)

2000 : विजय कुमार मिश्र (भाजपा)

2005 : रामनिवास प्रसाद

2010 : विजय कुमार मिश्र (भाजपा)

2015 : जीवेश कुमार मिश्र (भाजपा)

इस बार के मुख्य प्रत्याशी

भाजपा : जीवेश कुमार मिश्र

कांग्रेस : डॉ. मश्कूर अहमद उस्मानी

पीडीए : अमन कुमार झा (जाप)

जीडीएसएफ : मो. सफदर इमाम (रालोसपा)

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