Bihar Election 2020: महानंदा की तहर शांत है किशगनंज में सियासत की धारा

सीमांचल में इस बार मतदाताओं के मौन से समीकरण उलझता नजर आ रहा है। इस बार वोटर अपना पत्ता नहीं खोल रहे हैं। इससे नेताओं की परेशानी बढ़ गई है। - कांग्रेस भाजपा और एआइएमआइएम के बीच यहां त्रिकोणात्मक लड़ाई है।

By Abhishek KumarEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 10:23 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 10:23 PM (IST)
Bihar Election 2020: महानंदा की तहर शांत है किशगनंज में सियासत की धारा
कांग्रेस, भाजपा और एआइएमआइएम के बीचकिशनगंज में त्रिकोणात्मक लड़ाई है।

किशनगंज, जेएनएन। किशनगंज विधानसभा को दो पाटों में बांटने वाली महानंदा नदी आजकुल बिल्कुल शांत है। महानंदा की कलकल बह रही धारा की तरह चुनावी बयार में सियासत में एक तरह की शांति छाई है। मतदान तिथि नजदीक आ रही है तो प्रत्याशियों और राजनीतिक दलों की बेचैनी थोड़ी बढ़ी जरूर है। मगर मतदाताओं की खामोशी समीकरणों को उलझा रही है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक मतदाता मौन दिख रहे हैं। कुरेदने पर बस इतना ही कहते हैं कि आखिरी समय में निर्णय लिया जाएगा। प्रत्याशियों का कर्तव्य है कि हर किसी से मिलकर अपने पक्ष में मतदान की अपील करें। वो कर भी रहे हैं मगर हम सबको वोङ्क्षटग दिन के ही निर्णय लेना है।

कांग्रेस के गढ़ में 2019 के उपचुनाव में कब्जा जमा चुके एआइएमआइएम की वजह से इस बार त्रिकोणात्मक लड़ाई है। भाजपा से स्वीटी सिंह, कांग्रेस से इजहारूल हुसैन और एआइएमआइएम से कमरूल होदा मैदान में हैं। किशनगंज प्रखंड के चार, पोठिया के 22 पंचायत और किशनगंज नगर परिषद क्षेत्र वाले इस विधानसभा में 293,493 मतदाता हैं। अल्पसंख्यक बहुल इस सीट पर 2010 और 15 में कांग्रेस को जीत मिली थी। इससे पूर्व इस सीट पर राजद का कब्जा था। लेकिन इस दफे तीनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्क्र है। तीनों प्रत्याशी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं। कांग्रेस जहां अपनी खोई हुई जमीन वापस लेने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो एआइएमआइएम सीट पर कब्जा बरकरार रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। वहीं भाजपा से मैदान में डटी स्वीटी ङ्क्षसह लगातार चौथी बार मैदान में हैं। विगत तीन चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा है। इस दफे एक बार फिर से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर दमखम दिखा रहीं हैं। चुनावी गहमागहमी चरम पर है। प्रचार प्रसार जोर शोर से चल रहा है। मगर मतदाताओं के मौन से प्रत्याशियों की जान सांसत में हैं।

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