Bihar Election 2020: पांच साल टिकने वाला नेता चुनिए, 10 मिनट का ओटीपी नहीं
बिहार विधानसभा चुनाव में जीत-हार का एक गणित सोशल मीडिया पर भी लगाया जा रहा है। इंटरनेट पर थोड़ा आकलन करें तो यहां हर सीटों की चर्चा कर नफा-नुकसान की बातें जारी हैं। यूजर तर्क-कुतर्क कर अपने-अपने प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं।
पटना, ऑनलाइन डेस्क। बिहार विधानसभा चुनाव में जीत-हार का एक गणित सोशल मीडिया पर भी लगाया जा रहा है। इंटरनेट पर थोड़ा आकलन करें तो यहां हर सीटों की चर्चा कर नफा-नुकसान की बातें जारी हैं। यूजर तर्क-कुतर्क कर अपने-अपने प्रत्याशियों का समर्थन कर रहे हैं।
बिहार विधानसभा का चुनाव 243 सीटों के लिए हो रहा। प्रत्याशी करीब एक हजार से अधिक होंगे ही, मगर इंटरनेट पर जिक्र दस मिनट का छिड़ गया है। समझाते हैं कैसे। माइक्रों ब्लॉगिंग साइट पर तुलिका का ट्वीट काफी वायरल हो रहा है। लिखती हैं, ईवीएम पर बटन दबाने के बाद मोबाइल पर ओटीपी आना चाहिए। आखिर पता तो चले कि वोट किसे जा रहा है। वैसे भी हम पांच साल के लिए अपना नेता चुन रहे हैं, 10 मिनट के लिए ओटीपी (वन टाइन पासवर्ड) थोड़ी न।
ब्रजेश भी इस ट्वीट को साझा कर अपनी हामी भरते हैं। कहते हैं कि बात में तो दम है। मेरे जनप्रतिनिधि का हाल तो कुछ ऐसा ही है। पांच साल पहले हुए चुनाव के बाद उन्हें कभी देखा नहीं। सुमित का कहना है कि ऐसे नेताओं की जब तक विदाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं। शिवम ने पोस्ट किया, विधायक जी से दूरी, जनता के लिए है बेहद जरूरी। जानकर बने सावधान रहें।
जगदीश विश्वनोई सोशल मीडिया पर जनसभा की तस्वीर पोस्ट करने वालों को सचेत कर रहे हैं। कहते हैं कि गेहूं उगाने वाला नहीं आटा पैदा करने वाला नेता चाहिए। सचिन कुमार कहते हैं कि कोरोना से मैंने ये सीखा है कि आंख बंदकर वोट नहीं देना है। जिस राज्य में शिक्षक बच्चों को छिप-छिपकर पढ़ाए और नेता खुलेआम चुनावी रैली करे, इससे बड़ा दुर्भाग्य का क्या हो सकता है। इंस्टाग्राम पर बिहार विधानसभा चुनाव से जुड़े एक ट्रेंड पर निखिल लिखते हैं, दौरे-ए-चुनाव में हर कोई इंसान नजर आता है, जब खत्म हो जाए वोटिंग तब हर कोई रोटी के लिए परेशान नजर आता है।