Bihar Chunav 2020: दूसरे चरण में इन 4 खास सीटों पर टिकीं कांग्रेस की निगाहें
Bihar Chunav 2020 बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में कांग्रेस 24 सीटों पर जोर आजमाइश कर रही है। दूसरे ही चरण में कांग्रेस के चार पुराने नेताओं की किस्मत का फैसला भी होना है। इनमें से दो तो ऐसे प्रत्याशी हैं जिनके विधानसभा क्षेत्र तक बदल गए हैं।
पटना, राज्य ब्यूरो। बिहार विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में कांग्रेस 24 सीटों पर जोर आजमाइश कर रही है। दूसरे ही चरण में कांग्रेस के चार पुराने नेताओं की किस्मत का फैसला भी होना है। इनमें से दो तो ऐसे प्रत्याशी हैं जिनके विधानसभा क्षेत्र तक बदल गए हैं। जिन चार पुराने पार्टी नेताओं की किस्मत दांव पर है उनमें डॉ. अशोक कुमार, विजय शंकर दुबे, अमिता भूषण के अलावा कृपानाथ पाठक शामिल हैं।
डॉ. अशोक कुमार कांग्रेस के निवर्तमान विधायक हैं। 2015 में रोसड़ा से चुनाव जीतने वाले अशोक को इस बार पार्टी ने कुशेश्वरस्थान से अपना उम्मीदवार बनाया है। रोसड़ा से पार्टी ने नागेंद्र पासवान को अपना उम्मीदवार बनाया है। इसी प्रकार विजय शंकर दुबे 2015 में मांझी से चुनाव जीते थे। मांझी सीट इस बार सीपीएम के पास है। जहां से सत्येंद्र प्रसाद यादव चुनाव मैदान में हैं। दुबे को मजबूरी में महाराजगंज से चुनाव लड़ना पड़ रहा है।
इनके अलावा दूसरे चरण में महिला कांग्रेस अध्यक्ष अमिता भूषण और पार्टी के पुराने नेता कृपानाथ पाठक की किस्मत भी दांव पर है। अमिता भूषण ने 2015 के चुनाव में बेगूसराय से पार्टी के लिए जीत दर्ज की थी। इस बार भी वे बेगूसराय से ही चुनाव मैदान में हैं। कृपानाथ पाठक लंबे अंतराल के बाद चुनाव मैदान में हैं। काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें करीब 40 वर्षों के बाद किस्मत आजमाने का मौका मिला है। कृपानाथ पाठक फुलपरास से चुनाव मैदान में हैं।
बिहार चुनाव में रिकॉर्ड बनाने से चूकी कांग्रेस : राजीव रंजन
कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा है कि पिछले आम चुनावों के बाद राजद के कारण कांग्रेस इस चुनाव में भी एक नया कीॢतमान स्थापित करने से चूक गई। अगर राजद के सामने आत्मसमर्पण नहीं किया होता तो कांग्रेस देश की पहली ऐसी राष्ट्रीय पार्टी होती जिसकी सभी विधानसभा सीटों पर जमानत जब्त हो गई होती।
यह बात कांग्रेस भी जानती है। यही कारण है कि हर चुनाव में यह राजद को गीदड़-भभकी देने से शुरुआत करती है और अंत में घुटने टेक कर नतमस्तक हो जाती है। राजद की संगत के ही कारण आज बिहार में इनके पास एक भी नेता नहीं बचा है, जिसका जमीन और जनता से जुड़ाव हो। इनकी स्थिति ऐसी है कि इन्हें सामान्य बयानों के लिए भी दूसरे राज्यों से नेता बुलाने पड़ रहे हैं।