बिहार विधानसभा चुनाव 2020 : ढाक के साथ मोदी थाप, पर कोसी के पांचू को पता नहीं छाप...
कोसी क्षेत्र में चुनावी माहौल गर्म है। पर कोसी के ग्रामीण दुर्गा रविदास व पांचू रविदास को चुनाव मैदान में कौन-कौन हैं यह पता नहीं है। पूछने पर पांचू ने दिमाग पर जोर देते हए ठेठ ग्रामीण भाषा में कहा कि- एक तरफ तो मोदिए जी छौं।
कटिहार [प्रकाश वत्स]। मां दुर्गा का पट खुल चुका है...। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच ढाक की गूंज से भक्ति का नया रंग हर तरफ बिखरा हुआ था। शहर के बीचोबीच बनिया टोला दुर्गा मंदिर के सामने वाली सड़क से चुनावी महासंग्राम के सैनिकों की टुकड़ी भी बीच-बीच में गुजर रही थी। प्राणपुर प्रखंड क्षेत्र के रोशना से आए दुर्गा रविदास व पांचू रविदास इन सब से बेफिक्र बस ढाक पीटने में मगन थे।
मंत्रों का शोर थमने पर उनकी ढाक की गूंज भी थोड़ी ढीली पड़ी। निगाहें कद्रदान को तलाश रही थी और मंदिर पहुंचने वाले लोग मां की प्रतिमा को...। टोकते ही एक साथ दुर्गा व पांचू की अंदर की खुशियां चेहरे पर उतर आई। बात धंधा-पानी से शुरू हुई। दोनों ने एक स्वर से कहा अबकी दशहरा भी मंदा है...। छठ तक मंदी से उबरने की उम्मीद भी नहीं...। तीन दिन के लिए आठ हजार रुपये की करार पर यहां ढाक बजाने आए हैं। हर साल 15 से 20 हजार की करार पर पश्चिम तक जाते थे। इस कोरोना से सब चौपट कर दिया है। खेतीबारी से लेकर मजदूरी तक पर आफत...।
बात सरकती हुई चुनाव तक पहुंची। उन्होंने कहा मालूम है कुछ दिन बाद चुनाव होने वाला है। चुनाव मैदान में कौन-कौन हैं, इस सवाल पर दोनों की मासूम खिलखिलाहट बहुत कुछ कह रही थी...। पांचू ने दिमाग पर जोर देते हए ठेठ ग्रामीण भाषा में कहा कि- एक तरफ तो मोदिए जी छौं, दोसरो के छय अभी पता नहीं नय...! मोदी जी काम करय वाला छौं...। छाप के सवाल पर कहा कि छाप याद नय छौं... घर में फोटो छय उकरे में छापो छय...। वोट ककरा देबय ई समाज के बैठक के बाद तय हेतय...।
अब दुर्गा भी मुखर हो चुके थे। कहने लगे सब कुछ ठीके छौं... काम भी भेलय छय... हमरा सिनी कय इंदिरा आवास भी मिललौ छय...। अनाज-पानी भी मिलय छय, लेकिन सब कुछ में खाय-पीये वाला बढ़ी गेल छौं...। दुर्गा के कहने का मतलब कल्याणकारी योजनाओं में भी बिचौलिए की बढ़ी सक्रियता से था। दुर्गा के इस बात से पांचू भी पूर्णत: सहमत थे। यह कसक दोनों के दिलों को जला रही थी, लेकिन मोदी प्रेम की मरहम से वे इसे संभालने की कोशिश कर रहे थे...। इसी बीच शंख बजने की घड़ी भी आ गई और आयोजकों की आवाज पर दुर्गा व पांचू फिर से ढाक को ताल देने में जुट गए...।