Bihar Assembly Election 2020: बाढ़ में ध्वस्त सड़कें कोसी और सीमांचल में बता रही विकास की कहानी
कोसी और सीमांचल में बाढ़ व कटाव से आवागमन अब भी दुरूह है। 2017 में आई सैलाब में ध्वस्त हो चुकी सड़कें व पुल-पुलिया विकास की कहानी बयां कर रही है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। और न ही यह मुद्दा बन सका है।
किशनगंज, जेएनएन। बहादुरगंज विधानसभा का क्षेत्र का टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र हमेशा उपेक्षित रहा है।
त्रस्त इस इलाके में आवागमन अब भी दुरूह है। 2017 में आई सैलाब में ध्वस्त हो चुकी सड़कें व पुल-पुलिया विकास की कहानी बयां कर रही है। तीन साल बाद भी ध्वस्त सड़कों का मरम्मती नहीं किए जाने से हजारों की आबादी को जान जोखिम में डालकर आवागमन करने की मजबूरी है। हालांकि चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है। वोट के लिए नेतागण दस्तक भी देने लगे हैं। ऐसे में कोरा आश्वासन का दौर भी शुरू हो जाएगा। चुनाव बीतते ही फिर आश्वासन के सहारे पांच साल काटना होगा।
टेढ़ागाछ प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत कालपीर पंचायत के बीबीगंज हाट से नयाटोला, कंचनबाड़ी, सिरपूटोला जाने वाली सड़क 2017 की बाढ़ में ही जगह-जगह ध्वस्त हो चुका था। इन सड़कों की मरम्मती को लेकर तीन साल बाद भी कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी। अब जबकि चुनाव सिर पर है तो ग्रामीण भी नेताजी से हिसाब मांगने को तैयार हैं। मनोज कुमार ङ्क्षसह, डॉ. श्याम दास, अजय ङ्क्षसह, पंसस विपतलाल मंडल, वार्ड सदस्य राजेश कुमार, अशोक पांडेय, जवाहर साहनी आदि ग्रामीणों ने बताया कि वर्षों से संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाकर थक चुके हैं। आखिरकार सड़क की मरम्मती कार्य शुरू नहीं हो पााया। यही वजह है कि ग्रामीणों में नाराजगी व्याप्त है। महज बीबीगंज हाट से पांच सौ मीटर के दुरी पर पंचायत भवन के पास सड़क ध्वस्त हो गया। बरसात में लोग नाव के सहारे आवाजाही करते हैं। डायवर्सन का निर्माण तो कराया गया था लेकिन उसका भी हाल बेहाल हैं। उबड़ खाबड़ होने की वजह से डायवर्सन चलने लायक नहीं है। अक्सर इस सड़क पर छोटी-छोटी दुर्घटनाएं घटित हो रही है। लगभग पांच हजार की आबादी के लिए यही एक मात्र सड़क है, जो बीबीगंज हाट व जिला मुख्यालय से लोगों को जोड़ती है। बगल में पंचायत भवन कार्यालय भी है। इसी सड़क पर आगे बढऩे पर अस्पताल के पास सड़क दो जगहों पर ध्वस्त है। वहां भी लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अभी बारिश नहीं है तो गाड़ी से उतर कर ग्रामीण किसी प्रकार से आवागमन कर पाते हैं। लेकिन बारिश के मौसम लोग बड़ी मुश्किल हालात में केला का थंभ का नाव बनाकर आवागमन करते हैं।